छिंदवाड़ा। मध्यप्रदेश में कुछ महीनों में विधानसभा चुनाव है. ऐसे में राजनीतिक दलों के कई दिग्गज नेता एमपी आकर चुनावी सभाएं कर रहे हैं. इसी क्रम में 1 जुलाई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शहडोल दौरे पर आए. जहां उन्होंने सभा को संबोधित करते हुए शिवराज सरकार की जमकर तारीफ की, लेकिन इन तारीफों की हकीकत कुछ और ही कहानी बयां करती है. दरअसल, जिस विश्वविद्यालय के नाम पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आदिवासियों के गौरव बढ़ाने की बात कहते हुए मध्यप्रदेश सरकार की तारीफों के कसीदे शहडोल में पढ़े, वो विश्वविद्यालय खुद की बिल्डिंग के लिए तरस रहा है. यूनिवर्सिटी खुलने के 4 साल बाद भी किराए के 2 कमरों में विश्वविद्यालय संचालित किया जा रहा है.
शहडोल में बोले पीएम, शिवराज ने बढ़ाया आदिवासियों का गौरव: 1 जुलाई को शहडोल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने भाषण में कहा था कि मध्य प्रदेश के लोगों ने एक परिवार के रवैये को साक्षात देखा है. शहडोल संभाग में केंद्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय खुला, उसका नाम भी उन्होंने अपने परिवार के नाम पर रख दिया, जबकि शिवराज की सरकार द्वारा छिंदवाड़ा विश्वविद्यालय का नाम महान क्रांतिकारी राजा शंकर शाह के नाम पर किया गया है. कांग्रेस ने आदिवासियों का अपमान किया. उसकी भरपाई हमने की है. हमने आदिवासियों को सम्मान दिया. हमारे लिए आदिवासी नायकों का सम्मान आदिवासी युवाओं का सम्मान है.
बिल्डिंग को मोहताज यह स्कूल: साल 2019 में छिंदवाड़ा विश्वविद्यालय के नाम से यूनिवर्सिटी खोल दी गई और सारना में 120 एकड़ जमीन भी बिल्डिंग बनाने के लिए सरकार के द्वारा आवंटित की गई. बाद में साल 2021 में भाजपा की शिवराज सिंह सरकार ने विश्वविद्यालय का नाम बदलकर राजा शंकर शाह विश्वविद्यालय कर दिया, लेकिन 4 साल बीत जाने के बाद भी अब तक बिल्डिंग के लिए फंड नहीं आया है. पिछले 4 सालों से विश्वविद्यालय शासकीय स्वशासी पीजी कॉलेज की लाइब्रेरी बिल्डिंग में संचालित किया जा रहा है. जिसमें परीक्षा लेने का काम और एकेडमिक गतिविधियां ही संचालित हो पा रही है.
क्लास भी नहीं हो पाई शुरु, सिर्फ परीक्षा ले रहा विश्वविद्यालय: जब विश्वविद्यालय खुलता है तो विश्वविद्यालय में कक्षाओं की भी शुरुआत होती है, लेकिन बिल्डिंग नहीं होने की वजह से विश्वविद्यालय सिर्फ परीक्षाएं कराने तक ही सीमित हो गया है. शासकीय स्वशासी पीजी कॉलेज की लाइब्रेरी के लिए बनाई गई करीब 6000 वर्ग फीट की बिल्डिंग में राजा शंकर शाह विश्वविद्यालय 4 सालों से संचालित हो रहा है.
स्टाफ को बैठने के लिए भी कम पड़ रही जगह: राजा शंकर शाह विश्वविद्यालय में छिंदवाड़ा, बैतूल, सिवनी सहित बालाघाट जिले के 131 कॉलेज संबंधित है. कॉलेजों में एग्जाम कराने रिजल्ट जारी करने के साथ ही अन्य कामों के लिए स्टाफ कम पड़ रहा है. सीमित जगह होने की वजह से विश्वविद्यालय में दस्तावेज भी जमीन पर पड़े हुए हैं. अधिकतर विश्वविद्यालय का काम आउटसोर्स कर्मचारियों के भरोसे चल रहा है. विश्वविद्यालय में रिसर्च सेंटर खोलना था, लेकिन बिल्डिंग नहीं होने की वजह से शुरू नहीं हो पाया है.
सरकार को भेजा गया है प्रस्ताव: राजा शंकर शाह विश्वविद्यालय के कुलसचिव मेघराज निनामा ने बताया कि विश्वविद्यालय के कामों का संचालन करने में बिल्डिंग की कमी सामने आ रही है. इसके लिए उच्च स्तर के अधिकारियों सहित प्रशासन को प्रस्ताव बनाकर भेजा जा चुका है. जल्द ही इसके लिए उच्च अधिकारियों के आदेश के बाद कार्य किया जाएगा. कुलसचिव ने बताया कि जमीन आवंटित कर दी गई है, लेकिन बिल्डिंग बनाने के लिए फंड और सरकार के आदेश का इंतजार किया जा रहा है.
राजनीतिक दांव-पेच में उलझ गई विश्वविद्यालय की बिल्डिंग: पूर्व सीएम कमलनाथ और छिंदवाड़ा सांसद नकुल नाथ हमेशा भाजपा की शिवराज सरकार पर छिंदवाड़ा के साथ भेदभाव का आरोप लगाते हैं. विश्वविद्यालय के फंड में कटौती का आरोप लगाते कमलनाथ कहते हैं कि छिंदवाड़ा में शिक्षा का स्तर ऊंचा उठे और छिंदवाड़ा शिक्षा का हब बनेगा, उनका सपना था, लेकिन शिवराज सिंह सरकार ने अब तक बिल्डिंग के लिए फंड उपलब्ध नहीं कराया है. वहीं इस मामले में भाजपा के जिला अध्यक्ष विवेक बंटी साहू ने कहा है कि जब 15 महीने कमलनाथ की सरकार थी. उन्होंने अपने लोगों को फायदा पहुंचाने के लिए हर प्रोजेक्ट में निर्धारित रकम से ज्यादा का बजट पास किया था, लेकिन फंड जारी नहीं किया था. भाजपा सरकार ने जिस कार्य के लिए जितनी राशि की जरूरत है उतना फिर से जारी किया है, जल्दी सारना में 120 एकड़ जमीन में विश्वविद्यालय की बिल्डिंग बनकर तैयार हो जाएगा.