कोलकाता : मनरेगा बकाया को लेकर पश्चिम बंगाल सरकार और केंद्र सरकार के बीच का विवाद सुलझ सकता है. बता दें, मनरेगा विवाद को लेकर केंद्र और राज्य सरकार आमने-सामने हैं. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी इस मुद्दे पर लगातार केंद्र सरकार पर प्रहार करती रही हैं. पिछले दिनों TMC के नेताओं ने इस मुद्दे को लेकर राजधानी दिल्ली में केंद्र सरकार के खिलाफ जोरदार प्रदर्शन किया था.
वहीं, राजभवन के सूत्रों ने बताया कि राज्यपाल सीवी आनंद बोस के हस्तक्षेप के बाद केंद्र सरकार को मनरेगा के बकाए को लेकर पश्चिम बंगाल सरकार के साथ गतिरोध का समाधान मिलने की संभावना है. अभिषेक बनर्जी सहित टीएमसी नेताओं ने राज्यपाल सी वी आनंद बोस के साथ बैठके की, जिसके बाद राज्यपाल ने ग्रामीण विकास और पंचायती राज मंत्री गिरिराज सिंह से इस मामले में हस्तक्षेप की मांग की थी.
अधिकारियों ने संकेत दिया कि बकाया जल्द ही जारी होने की संभावना है, लेकिन उन्होंने कोई समयसीमा नहीं दी है. हालांकि, बकाए का भुगतान कुछ शर्तों पर निर्भर करेगा, जैसे ऑडिटेड रिपोर्ट प्रस्तुत करना. केंद्र सरकार ने पहले कहा था कि निर्देशों का पालन ना करने के कारण ग्रामीण नौकरी योजना के लिए धन बंगाल को जारी नहीं किया गया था. मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि केंद्र सरकार के निर्देशों का पालन ना करने के कारण महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम, 2005 की धारा 27 के प्रावधान के अनुसार पश्चिम बंगाल राज्य का फंड 9 मार्च, 2022 से रोक दिया गया है. बंगाल में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस ने इस महीने की शुरुआत में दिल्ली में प्रदर्शन किया था, साथ ही धरना भी दिया था.
बता दें, राजभवन ने 2,700 करोड़ रुपये से अधिक के बकाये के भुगतान की मांग की है टीएमसी के राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बनर्जी ने 19 अक्टूबर को कहा था कि अगर राज्य के मनरेगा बकाए के संबंध में केंद्र से जवाब नहीं मिला तो पार्टी एक बड़ा आंदोलन शुरू करेगी, जिसमें पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भी भाग लेंगी.