नई दिल्ली : आयुष मंत्रालय (Ministry of AYUSH) की ओर से जारी एक बयान में कहा गया कि आयुष मंत्रालय ने आयुष-64 (AYUSH-64 medicine) दवा प्रौद्योगिकी 46 कंपनियों को हस्तांतरित (Technology transferred to 46 companies) की है. इससे पहले केवल सात कंपनियों के पास दवा का लाइसेंस था जिसका इस्तेमाल मलेरिया के इलाज के लिए किया जाता था.
वैश्विक महामारी के प्रकोप के दौरान कोरोना वायरस संक्रमण के खिलाफ प्रभावी पाए जाने के बाद, 39 नई कंपनियों को नये लाइसेंस दिए गए, यानी कि प्रौद्योगिकी उनको हस्तांतरित की गई है. आयुष-64, आयुष मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले प्रतिष्ठित अनुसंधान संस्थान, सीसीआरएएस द्वारा विकसित किया गया है.
यह दवा मलेरिया के इलाज के लिए 1980 में विकसित की गई थी. मार्च 2020 में कोविड की पहली लहर के दौरान कुछ वैज्ञानिक अध्ययनों में इसे कोविड-19 के हल्के और बिना लक्षण वाले और हल्के से मध्यम संक्रमण के मामलों में प्रभावी पाया गया.
इसमें वायरस से लड़ने, शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने और बुखार कम करने के गुण भी हैं, जिससे रोगियों को जल्दी ठीक होने में मदद मिलती है. कोविड की पहली लहर के दौरान, आयुष मंत्रालय और वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद (Central Council of Research in Ayurvedic Sciences) द्वारा एक क्लिनिकल ट्रायल किया गया था, जिसमें यह पता चला था कि आयुष-64 कोरोना वायरस रोगियों के लिए एक लाभकारी दवा है.
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बयान में बताया गया कि अब तक आठ क्लिनिकल परीक्षण किए गए हैं जिसमें घर में पृथक वास में रह रहे 63,000 मरीजों को दवा दी गई और दवा लाभकारी साबित हुई.
(पीटीआई-भाषा)