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मौनी अमावस्या 2022: श्रद्धालुओं ने हरकी पैड़ी पर लगाई आस्था की डुबकी - Uttarakhand Mauni Amavasya

आज माघ अमावस्या है जिसे मौनी अमावस्या भी कहा जाता है. माघ मास में अमावस्या का अपना खास महत्व (Significance of Mauni Amavasya) है. इस दिन गंगा में देवताओं का वास रहता है. इसलिए, गंगा स्नान करना अन्य दिनों की अपेक्षा अधिक फलदायी होता है.

मौनी अमावस्या 2022
मौनी अमावस्या 2022
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Published : Feb 1, 2022, 12:09 PM IST

हरिद्वार : मौनी अमावस्या के मौके पर आज हरिद्वार का मुख्य घाट हरकी पैड़ी पर श्रद्धालुओं ने आस्था की डुबकी (Ganga bath in Haridwar harki paudi) लगाई. इस मौके पर तड़के से ही हरकी पैड़ी पर स्नान के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंच रहे हैं और पतित पावनी मां गंगा में आस्था की डुबकी लगा रहे हैं. हिंदू पंचांग के मुताबिक, माघ कृष्ण अमावस्या को मौनी अमावस्या भी कहा जाता है. इस दिन माघ का दूसरा शाही स्नान भी होता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, मौनी अमावस्या शनि देव और पितरों से संबंधित है. कहते हैं कि जिस दिन सूर्य और चंद्रमा का मिलन एक ही राशि में होता है, उस दिन अमावस्या होती है.

श्रद्धालुओं ने हरकी पैड़ी पर गंगा में लगाई आस्था की डुबकी

मौनी अमावस्या का महत्व : मौनी अमावस्या को सभी अमावस्या तिथियों में सर्वश्रेष्ठ माना जाता है. शास्त्रों में मौनी अमावस्‍या के दिन प्रयागराज के संगम में स्‍नान का विशेष महत्‍व बताया गया है. कहा जाता है कि इस दिन यहां पर देव और पितरों का संगम होता है. माघ महीने में देवता प्रयागराज आकर संगम में स्‍नान करते हैं.

पढ़ें : श्रीजगन्नाथ मंदिर एक फरवरी से खुलेगा

साथ ही पितृलोक से पितृगण भी संगम में स्‍नान करने आते हैं. इस तरह देवता और पितरों का इस स्थान पर संगम होता है. ज्योतिष मानते हैं कि इस दिन मौन और उपवास कर पूजा अर्चना करनी चाहिए. इस दिन दान का भी विशेष महत्व है. श्रद्धालुओं का मानना है कि आज के दिन गंगा स्नान करने पर मनवांछित फल की प्राप्ति होती है.

हरिद्वार : मौनी अमावस्या के मौके पर आज हरिद्वार का मुख्य घाट हरकी पैड़ी पर श्रद्धालुओं ने आस्था की डुबकी (Ganga bath in Haridwar harki paudi) लगाई. इस मौके पर तड़के से ही हरकी पैड़ी पर स्नान के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंच रहे हैं और पतित पावनी मां गंगा में आस्था की डुबकी लगा रहे हैं. हिंदू पंचांग के मुताबिक, माघ कृष्ण अमावस्या को मौनी अमावस्या भी कहा जाता है. इस दिन माघ का दूसरा शाही स्नान भी होता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, मौनी अमावस्या शनि देव और पितरों से संबंधित है. कहते हैं कि जिस दिन सूर्य और चंद्रमा का मिलन एक ही राशि में होता है, उस दिन अमावस्या होती है.

श्रद्धालुओं ने हरकी पैड़ी पर गंगा में लगाई आस्था की डुबकी

मौनी अमावस्या का महत्व : मौनी अमावस्या को सभी अमावस्या तिथियों में सर्वश्रेष्ठ माना जाता है. शास्त्रों में मौनी अमावस्‍या के दिन प्रयागराज के संगम में स्‍नान का विशेष महत्‍व बताया गया है. कहा जाता है कि इस दिन यहां पर देव और पितरों का संगम होता है. माघ महीने में देवता प्रयागराज आकर संगम में स्‍नान करते हैं.

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साथ ही पितृलोक से पितृगण भी संगम में स्‍नान करने आते हैं. इस तरह देवता और पितरों का इस स्थान पर संगम होता है. ज्योतिष मानते हैं कि इस दिन मौन और उपवास कर पूजा अर्चना करनी चाहिए. इस दिन दान का भी विशेष महत्व है. श्रद्धालुओं का मानना है कि आज के दिन गंगा स्नान करने पर मनवांछित फल की प्राप्ति होती है.

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