देहरादून: देवभूमि उत्तराखंड के कण-कण में भगवान विराजते हैं. यहां के हर पत्थर में देवी देवताओं का वास है. हर साल उत्तराखंड के धार्मिक स्थलों पर लाखों करोड़ों श्रद्धालु पहुंचते हैं. मंदिरों की व्यवस्थाओं को चाक-चौबंद करने के लिए केंद्र के साथ ही राज्य सरकार भी लगातार प्रयास करती रहती है. उत्तराखंड के चार धामों के मंदिर हो या फिर अन्य जगहों के धार्मिक स्थल, सभी जगहों पर श्रद्धालुओं के लिए सुविधाएं उच्चतम हो इसके लिए उत्तराखंड में लगातार काम हो रहा है. जिसके कारण उत्तराखंड के धर्मिक स्थल बीते कुछ सालों में आस्था का केंद्र बन गये हैं. इन आस्था के केंद्रों में कैंची धाम का नाम सबसे आगे है. कैंची धाम उत्तराखंड के कुमाऊं स्थित नैनीताल की खूबसूरत और शांत वादियों में बसा है. नीम करौली बाबा का आश्रम अब जल्द ही नया रूप लेने जा रहा है. इसके लिए बकायदा एक मास्टर प्लान भी तैयार किया जा चुका है.
बीते दिनों केंद्र सरकार ने भी अपने केंद्रीय बजट में नए पर्यटन और धार्मिक स्थलों को विकसित करने का बजट जारी किया था. इसके साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उत्तराखंड यात्रा के दौरान भी पीएम ने यहां के धार्मिक स्थलों के सौंदर्यीकरण और उत्तराखंड को आने वाले सभी का नंबर वन राज्य बताया था. केंद्र और राज्य सरकार उत्तराखंड के धार्मिक स्थलों को मानस खंड के तहत विकसित करने जा रही है. जिसमें अब नीम करौली धाम का भी नंबर आ गया है. नीम करौली में लगातार श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ रही है. ऐसे में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने नैनीताल जिलाधिकारी और तमाम विभागों के अधिकारियों नीम करौली धाम को खूबसूरत और मॉडल मंदिर के रूप में विकसित करने के निर्देश दिये हैं. इसके लिए राज्य सरकार ने शुरुआती दौर में 60 करोड़ रुपए की योजना तैयार की है. इस योजना के तहत नीम करौली वाले बाबा के धाम का कायाकल्प किया जाएगा. इसके तहत यहां की सड़कों की हालात सुधारी जाएगी, धाम में रुकने की व्यवस्था की जाएगी, मंदिर औप प्रांगण का भी विशेष मॉडल तैयार किया गया है. साथ ही आंगन में बह रही शिप्रा नदी का भी पूरी तरह से कायाकल्प किया जाएगा.
बदल जायेगा नीम करौली वाले बाबा का धाम: नीम करौली धाम में सबसे पहले पार्किंग की व्यवस्था को सुधारा जाएगा. मौजूदा समय में मंदिर में आने वाले श्रद्धालुओं की छोटी-बड़ी गाड़ियां रास्ते में ही खड़ी होती हैं. यह मंदिर नदी किनारे और दो पहाड़ियों के बीच में स्थित है ऐसे में यहां पर इतनी जगह नहीं है कि कहीं और वाहनों को खड़ा किया जा सके. जिला प्रशासन के आगे उस वक्त सबसे अधिक दिक्कतें सामने आती हैं जब इसी रास्ते से श्रद्धालु और इसी रास्ते से दूसरी जगह जाने वाले लोगों की गाड़ियां आपस में फंस जाती है. यहां आए दिन जाम की स्थिति बनी रहती है. साथ ही सालाना मंदिर में होने वाले धार्मिक आयोजन में भी प्रशासन की सांस फूलने लगती हैं. ऐसे में जिला प्रशासन सबसे पहले यहां पर एक बड़ी पार्किंग का निर्माण करने जा रहा है. जिससे श्रद्धालुओं को सड़क पर गाड़ी खड़ी न करनी पड़े. अब नए मास्टर प्लान के तहत मंदिर के पास ही एक बड़ी पार्किंग का निर्माण शुरू होने जा रहा है. इसके लिए बाकायदा चार पट्टा धारकों से जमीन भी ले ली गई है. यह जमीन जिला प्रशासन ने बागवानी के लिए दी थी. जिसे अब मुआवजे देने के बाद वापस ले लिया गया है. पार्किंग का निर्माण मंदिर के अनुसार ही होगा. बताया जा रहा है कि यहां 4 स्टोरी पार्किंग बनाई जाएगी. पहाड़ों में जगह कम होने की वजह से इसी तरह की पार्किंग यहां बनाई जा रही है.
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भक्तों की सुविधा के लिए होंगे ये काम: पार्किंग के अलावा भी जिला प्रशासन ने 4 और पट्टा धारकों को यानी टोटल 8 पट्टा धारकों से 2.25 एकड़ जमीन वापस ली है. यह जमीन जिला प्रशासन ने तुरंत पर्यटन विभाग के सुपुर्द कर दी है. इसके साथ ही इससे पहले भी अट्ठारह नाली जमीन नीम करqली धाम के निर्माण और सौंदर्यीकरण के लिए पर्यटन विभाग को दी जा चुकी है. अब सारी जमीनों को मिलाकर एक विशाल और भव्य नीम करौली धाम का निर्माण किया जाना है. नैनीताल जिलाधिकारी धीरज सिंह गर्ब्याल के मुताबिक नीम करौली धाम का मास्टर प्लान पूरी तरह से तैयार हो गया है. उन्होंने कहा हमारी कोशिश यह है कि जिस तरह से धाम में आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ती जा रही है उसके अनुसार आसपास में सुविधाओं को बढ़ाया जाए. इसके लिए हमने ना केवल पार्किंग का निर्माण करवाने का काम शुरू किया है, बल्कि धाम में आने वाले लोगों को खाने पीने से लेकर ठहरने की अच्छी व्यवस्था भी नए मास्टर प्लान के तहत की जा रही है. अभी तक मंदिर के आसपास प्रशासन के द्वारा कोई ऐसी व्यवस्था खास नहीं थी, लेकिन अब पब्लिक टॉयलेट से लेकर लोगों के ठहरने के लिए होटल, योगा सेंटर, खाने-पीने का दुकानें बनाई जाएंगी. बीते कुछ सालों से मंदिर में आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या लगातार बढ़ रही है. यह नैनीताल ही नहीं बल्कि पूरे उत्तराखंड के लिए अच्छी बात है.
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ध्यान के लिए बनेंगे योगा सेंटर: नैनीताल जिला प्रशासन के मुताबिक नीम करौली धाम आने वाले सालों में बेहद बदला-बदला सा नजर आएगा. यहां एक बड़ा ओपन थिएटर बनाया जाएगा. जिसमें लोगों के बैठने और डिस्कशन की व्यवस्था होगी. यहां लोग धार्मिक और आध्यात्मिक शांति का अनुसरण कर सकेंगे. इसके साथ ही मंदिर के पास ही एक अच्छा खूबसूरत लोकेशन पर फूड कॉर्नर भी बनाया जा रहा है, जहां पर उत्तराखंड के पकवान और व प्रसाद मिलेगा. साथ ही इस बात का भी ध्यान रखा गया है कि नीम करौली धाम में देश-विदेश से आने वाले श्रद्धालुओं के लिए मेडिटेशन और योगा का एक बड़ा सेंटर बन सकता है, ऐसे में जिला प्रशासन का पूरा फोकस यही है कि खूबसूरत पहाड़ों के बीच में एक मेडिटेशन और योगा सेंटर भी बनाया जाए. जहां पर आकर श्रद्धालु बाबा नीम करौली वाले बाबा का ध्यान कर सकेंगे.
शिप्रा नदी पर बनेंगे सुन्दर घाट: अब तक सड़क से लेकर मंदिर तक जाने वाले श्रद्धालुओं के लिए मात्र एक ही पुल है, जिसमें एक समय बहुत कम श्रद्धालु एक बारी में ही जा सकते हैं. इसके साथ ही धाम तक जाने वाले मुख्य गेट की भी लंबाई और चौड़ाई इतनी नहीं है कि एक बारी में अधिक भीड़ को अंदर भेजा जा सकें, मंदिर में आने-जाने के अन्य रास्तों को बनाया जाएगा. इसके साथ ही मुख्य गेट को भी बड़ा किया जा रहा है. बीते साल 2021 में जिस तरह से पहाड़ का मलबा मंदिर के पास आकर गिरा था, इसको देखते हुए भी आसपास के पहाड़ों में ट्रीटमेंट करवाया जा रहा है. कुमाऊं कमिश्नर दीपक रावत कहते हैं कि इसमें कोई दो राय नहीं है कि अब तक उत्तराखंड में गढ़वाल के चार धाम हरिद्वार की हरकी पैड़ी और अन्य मंदिरों में ज्यादा श्रद्धालुओं की संख्या आती है, लेकिन कुमाऊं में जिस तरह से मानस खंड के तहत तहत गढ़वाल और कुमाऊं के मंदिरों को विकसित और उनकी कायाकल्प की किया जा रहा है उसमें नीम करौली धाम की पूरी व्यवस्थाओं को भी श्रद्धालुओं के मुताबिक सुविधाजनक किया जा रहा है. आने वाले समय में धाम के सामने से बहने वाली शिप्रा नदी पर सुंदर-सुंदर घाट बनाए जाने प्रस्तावित हैं. इसके साथ ही हम यह चाहते हैं कि जिस तरह से वहां तक जाने वाली नैनीताल से 18 किलोमीटर की सड़क बेहद छोटी और शंकरी है उसको भी और बड़ा किया जाएगा. हमें लगता है कि कुमाऊं अपनी संस्कृति सभ्यता के लिए पहचान तो रखता ही है अब मानस खंड के प्रोजेक्ट के बाद इसे और नई पहचान मिलेगी.
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गोल्जू देवता मंदिर का भी होना है कायाकल्प: बता दें उत्तराखंड सरकार गढ़वाल को केदारखंड तो कुमाऊं को मानस खंड के तहत विकसित कर रही है. जिसे मंदिर माला प्रोजेक्ट का नाम दिया गया है. बीते दिनों 26 जनवरी की परेड में भी मानस खंड की झांकी प्रदर्शित की गई थी. जिसे देश में प्रथम स्थान प्राप्त हुआ था. अब इससे न ना केवल नीम करौली धाम की सूरत बदलने जा रही है बल्कि कुमाऊं के ही गोल्जू देवता के मंदिर का भी इससे कायाकल्प होगा.
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ऐसे पहुंचे नीम करौली धाम: बता दें नीम करौली धाम की स्थापना साल 1964 में की गई थी. इस धाम में सबसे पहले हनुमान जी की मूर्ति स्थापित की गई थी. नीम करौली बाबा को हनुमान का अवतार माना जाता है. देश-विदेश के श्रद्धालु यहां पर आकर उनसे आशीर्वाद लेते हैं. देशभर में इनके कई आश्रम और मंदिर हैं. नैनीताल से 18 किलोमीटर दूर इस धाम की बात इसलिए अलग है क्योंकि यह धाम उस समय अधिक चर्चाओं में आया जब विश्व प्रसिद्ध फेसबुक के संस्थापक मार्क जुकरबर्ग और एप्पल कंपनी के संस्थापक स्टीव जॉब्स ने यहां पर आकर बाबा का आशीर्वाद लिया. कहा जाता है कि फेसबुक और एप्पल की सक्सेस स्टोरी में नीम करौली धाम का बहुत बड़ा हाथ है. दोनों ही शख्स कई इंटरव्यू में इस धाम का जिक्र कर चुके हैं. इसके साथ ही देश और विदेश के कई बड़े चेहरे भी यहां पहंचते रहते हैं. यहां पहुंचने के लिए सबसे पंतनगर एयरपोर्ट सबसे नजदीकी हवाई अड्डा बै. जहां दिल्ली, मुंबई और कोलकाता से सीधी फ्लाइट पहुंचती है. इसके साथ ही सबसे करीब का रेलवे स्टेशन काठगोदाम रेलवे स्टेशन है. यहां से भी आप लगभग 1 घंटे 20 मिनट का सफर तय करके नीम करौली धाम पहुंच सकते हैं. काठगोदाम और पंतनगर से यहां तक पहुंचने के लिए आपको टैक्सी और रोडवेज बस आसानी से मिल जाती है. बीते दिनों परिवहन विभाग ने दिल्ली से नैनीताल तक के लिए वॉल्वो बस की सुविधाएं भी शुरू की हैं. नैनीताल जिलाधिकारी को उत्तराखंड सरकार ने धाम की सूरत बदलने का जिम्मा सौंपा है. जिसमें तमाम विभाग तेजी से लगे हुए हैं.