पटनाः तमिलनाडु वायरल वीडियो मामले की जांच के लिए तमिलनाडु पुलिस अभी बिहार में है. इस मामले में ईओयू और बिहार पुलिस भी जांच कर रही है. इस काण्ड में 4 लोगों को नामजद किया गया है, जिनमें अमन कुमार, मनीष कश्यप, राकेश रंजन कुमार और युवराज सिंह राजपूत, शामिल हैं. जिसमें अभियुक्त मनीष कश्यप और युवराज सिंह राजपूत की गिरफ्तारी अब तक नहीं हो सकी है, इन दोनों के विरुद्ध गिरफ्तारी वारंट के लिए पुलिस ने न्यायालय से अनुरोध किया है. बिहार पुलिस के एक प्रवक्ता के अनुसार पुलिस ने जमुई के अमन कुमार और गोपालगंज के राकेश रंजन कुमार को पहले ही गिरफ्तार कर लिया है. इसके अलावा एक अन्य अभियुक्त उमेश महतो को भी गोपालगंज से गिरफ्तार किया गया है, जिससे पूछताछ चल रही है. वायरल वीडियो मामले में 42 सोशल मीडिया यूजर्स को नोटिस भी भेजी गई है.
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आरोपी ने स्वीकार की वायरल वीडियो की बातः वहीं, जब गोपालगंज से ही गिरफ्तार राकेश रंजन कुमार से पूछताछ की गई तो उसने 2 लोगों के सहयोग से फर्जी वीडियो बनाये जाने की बात स्वीकार की है. उसने बताया कि इस वीडियो को जक्कनपुर के बंगाली कॉलोनी में एक किराए के मकान में शूट किया गया था. ताकि पुलिस द्वारा किये जा रहे अनुसंधान को गलत दिशा में मोड़ा जा सके. इस संबंध में जब मकान मालिक से पूछताछ की गई तो उन्होंने भी इनके यहां रहने की पुष्टि की. सभी आरोपियों के खिलाफ आईपीसी की धारा 468 , 471, 153 ,153a, 153b, 505 1b, 505 1B, 120b और 67 आईटी एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज कराया गया है.
जांच के लिए 10 सदस्यों की एक बनाई गई टीमः इस मामले की जांच के लिए लिए 10 सदस्यों की एक टीम बनाई गई है, इस जांच में अब तक 30 भ्रामक वीडियो और पोस्ट की पहचान की गई है, 26 ट्वीट और फेसबुक अकांउट की भी पहचान की गई है, जिनकी जांच चल रही है. तमिलनाडु पुलिस ने अब तक 13 एफआईआर दर्ज की है. शुक्रवार को बिहार के एडीजी जितेंद्र सिंह गंगवार ने भी प्रेस कॉनफ्रेंस कर बताया है कि मारपीट के सभी वीडियो भ्रामक थे. जिन लोगों ने इस वीडियो को जारी कर लोगों के बीच दहशत फैलाने का काम किया है, उन सभी लोगों पर कार्रवाई होगी.
तमिलनाडु गई टीम ने सौंपी सीएम को रिपोर्टः आपको बता दें कि कुछ दिन पहले सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हुआ था, जिसमें तमिलों द्वारा बिहारी मजदूरों की पिटाई करते हुए दिखाया गया. मामले ने तूल पकड़ा और विपक्ष ने भी इसे लेकर बिहार सरकार पर निशाना साधा. इस पूरे घटनाक्रम को लेकर जब बिहार सरकार ने अपनी टीम को तमिलनाडु भेजा और जांच करवाई तो पूरी सच्चाई सामने आ गई. कामगारों पर कथित हमले की जांच के लिए एक चार सदस्यीय टीम तामिलनाडु भेजी, जिसने वहां के चार जिलों के कलेक्टर, एसपी, राजस्व पदाधिकारी के साथ औद्योगिक संघ, श्रमिक यूनियन और किसान संगठन से जुड़े लोगों से भी बातचीत के अधार पर अपनी रिपोर्ट सीएम नीतीश को सौंपी, जिसमें बताया गया कि इंटरनेट मीडिया पर प्रसारित घटना इस संदर्भ में नहीं घटी.
वायरल वीडियो के कारण हुई लोगों में दहशतः दरअसल ये पूरा मामला फेक वायरल वीडियो का था. जिसके जरिए ये बात फैलाने की कोशिश की गई कि बिहारियों को तमिलनाडु में मारा जा रहा है. इस वायरल वीडियो को देखने के बाद बिहारियों के मन में दहशत पैदा हो गई. बिहार के कई मजदूर अपना काम-काज छोड़कर बिहार आ गए. बिहार में भी रह रहे कई लोगों को अपने बेटों भाईयों और पति की चिंता होने लगी. तामिलनाडु की कई मिलें बंद हों गईं. अफवाह ये भी फैलाई गई कि बिहारियों को तामिलनाडु छोड़ने के लिए कहा जा रहा है, वहीं मामले के तूल पकड़ने के बाद जब दोनों राज्यों की पुलिस ने जांच शुरू की तो पूरा मामला झूठा पाया गया.