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Manipur Violence Update : शांति कमेटी पर क्यों भड़के कुकी, हालात सामान्य करने के लिए हिमंत सरमा की विशेष पहल

मणिपुर में कुकी और मैतेई समुदाय के बीच विश्वास बहाली नहीं हो पा रही है. गृह मंत्रालय ने 51 सदस्यों की एक शांति समिति बनाने की घोषणा की, लेकिन कुकी समुदाय को इस पर भरोसा नहीं है. उन्होंने तो इस समिति के बहिष्कार तक की घोषणा कर दी है. हालांकि, सरकार का कहना है कि वह दोनों समुदायों को बातचीत के लिए राजी करेगी. इस बीच असम के मुख्यमंत्री हिमंत सरमा ने विशेष पहल की है.

N biren singh, himanta biswa sarma
मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बिरेन सिंह, असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा
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Published : Jun 12, 2023, 6:14 PM IST

Updated : Jun 12, 2023, 7:03 PM IST

नई दिल्ली : मैतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति (एसटी) वर्ग में शामिल करने को लेकर मणिपुर में विवाद जारी है. रह-रहकर हिंसक घटनाएं भी हो जा रहीं हैं. दो दिन पहले केंद्रीय गृह मंत्रालय ने शांति समिति गठन करने का ऐलान किया था. रविवार को समिति के सदस्यों के नामों की घोषणा की गई. लेकिन कुकी समुदाय को इस समिति पर भरोसा नहीं है. मीडिया रिपोर्ट की मानें तो कुकी समुदाय का दावा है कि इस समिति के गठन से पहले उनकी राय नहीं ली गई थी. कुकी समुदाय को मणिपुर सरकार पर भरोसा नहीं है. इस समिति में 51 सदस्य हैं. समिति की अध्यक्षता राज्यपाल अनुसूइया ओइके कर रहीं हैं.

Manipur NH Jammed
मणिपुर में एनएच को किया गया जाम

इस समिति के 25 सदस्य मैतेई समुदाय से हैं. कुकी समुदाय के 11 सदस्यों को शामिल किया गया है. नगा समुदाय के 10 सदस्यों को जगह दी गई है. तीन मुस्लिम और दो नेपाली समुदाय के लोग इसमें हैं. हिंसा के दौर की शुरुआत होने के बाद गृह मंत्री अमित शाह जब मणिपुर गए थे, तभी उन्होंने इस समिति के बनाने का ऐलान किया था. शाह 29 मई से एक जून तक मणिपुर में रूके थे. वहां उन्होंने सभी समुदायों के प्रतिनिधियों से मुलाकात की थी.

security forces in manipur
मणिपुर में सुरक्षा व्यवस्था पर नजर बनाए हुए सुरक्षाकर्मी

एक अखबार में कुकी नेता का बयान प्रकाशित किया गया है. इसके अनुसार उन्होंने दावा किया है कि इस समिति में ऐसे सदस्य हैं, जिन्होंने खुले तौर पर कुकी के खिलाफ युद्ध की घोषणा कर रखी है. उनका विरोध मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बिरेन सिंह को शामिल किए जाने पर भी है. कुकी समुदाय के लोग चाहते हैं कि इस समिति में ज्यादा से ज्यादा केंद्र सरकार के प्रतिनिधि रहें ताकि निष्पक्षता से सुनवाई हो सके. एक अन्य विशेषज्ञ जे. लुंगडिम के हवाले से कहा गया है कि बिना उनकी जानकारी के ही उन्हें समिति का सदस्य बना दिया गया है. मशहूर थियेटर आर्टिस्ट रतन थियाम को भी इस समिति में जगह दी गई है. लेकिन थियाम उन लोगों में हैं, जिन्होंने पूरे मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की खामोशी पर सवाल उठाए हैं.

manipur
कैंप में शरणार्थी, मणिपुर

समिति के कुछ सदस्यों के नाम इस तरह से हैं - राज्य के मंत्री वाई खेमचंद और नीमचा किंपगेन, लोकसभा सांसद लोरहो एस पीफोज, राज्य भाजपा के अध्यक्ष अधिकारीमयूम शारदा देवी, जेडीयू नेता मो. अब्दुल नासिर, सीपीआई नेता डॉ मेईरंगथेम नारा, विधायक टी शांति शिंह और के रंजीत सिंह. पुथिबा वेलफेयर एंड कल्चरल सोसाइटी और ऑल त्रिपुरा मेइती कम्युनिटी ने फिर से पीएम और गृह मंत्री के हस्तक्षेप की मांग की है.

वेलफेयर के सचिव दीपक कुमार सिंह ने सोमवार को कहा, 'हम मणिपुर में हो रही हिंसा की घटनाओं को लेकर चिंतित हैं. हम जातीय आधार पर राज्य को विभाजित करने के किसी भी कदम का कड़ा विरोध करते हैं. शांति की विशेष पहल होनी चाहिए.'

असम के सीएम हिमंत बिस्वा सरमा की पहल - पूरे मामले पर असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने विशेष पहल की है. पहले उन्होंने मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बिरेन सिंह से मुलाकात की. उसके बाद उन्होंने कुकी समुदाय के प्रतिनिधियों के साथ भी बातचीत की है. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक सरमा ने दो कुकी विद्रोही समूहों के नेताओं से गुवाहाटी में भेंट की. यह बैठक रविवार को हुई. इस बैठक के बाद सरमा मणिपुर का दौरा करेंगे और उसके बाद एक रिपोर्ट गृह मंत्री अमित शाह को भी सौपेंगे. सरमा उत्तर पूर्व मामलों के न सिर्फ विशेषज्ञ माने जाते हैं, बल्कि मोदी सरकार के संकटमोचक भी माने जाते हैं. हालांकि, यह देखने वाली बात होगी कि उनकी पहल कहां तक सफल हो पाती है.

fire in manipur
मणिपुर के एक गांव में आगजनी

मणिपुर में क्यों हो रहा विद्रोह - मणिपुर में रहने वाले मैतेई और कुकी समुदाय के बीच तीन मई से ही हिंसा का दौर जारी है. एक अनुमान के मुताबिक 50 हजार के आसपास लोग शिविरों में रहने के लिए मजबूर हैं. पुलिस के चार हजार से अधिक हथियार लूट लिए गए हैं. मणिपुर की 53 प्रतिशत आबादी मैतेई समुदाय की है. 40 फीसदी आबादी नगा और कुकी समुदायों की है. नगा और कुकी मुख्य रूप से पर्वतीय इलाकों में रहते हैं, जबकि मैतेई समुदाय के लोग मुख्य रूप से घाटी में रहते हैं. मणिपुर में जब से हिंसा शुरू हुई है, आदिवासी विधायकों ने राज्य के विभाजन की मांग की है. मुख्यमंत्री इसका विरोध करते रहे हैं.

विरोध की तात्कालिक वजह - विरोध की तात्कालिक वजह हाईकोर्ट का वह ऑर्डर है, जिसके तहत कोर्ट ने मैतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने को लेकर आदेश दिया था. नगा और कुकी समुदाय के लोग इसका विरोध करते रहे हैं. उनका मानना है कि एक बार जब मैतेई समुदाय को एसटी क्लास का दर्जा प्रदान कर दिया गया, तो उनका विशेषाधिकार खत्म हो जाएगा और उनका हक मारा जाएगा. जबकि मैतेई समुदाय का दावा है कि मणिपुर राज्य का गठन होने से पहले भी वह एसटी क्लास में शामिल थे. इसके अलावा विरोध की एक वजह अफीम की खेती को लेकर भी है. ऐसा कहा जा रहा है कि एन. बिरेन सिंह की सरकार ने अफीम की खेती करने वालों के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की है, जिसको लेकर कुकी समुदाय में विरोध है. कुकी समुदाय के लोग अफीम की खेती करते रहे हैं. उन्हें म्यांमार से सटी हुई सीमा पर रहने वाली आबादी से भी समर्थन मिलता रहा है. उसकेजरिए वे इस अफीकम को मार्केट में बेचते हैं. म्यांमार सीमा पर रहने वाले लोग कुकी-चिन समुदाय के हैं.

ये भी पढ़ें : Protest Outside Amit Shah house: अमित शाह के आवास के बाहर कुकी समुदाय के लोगों ने किया प्रदर्शन

नई दिल्ली : मैतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति (एसटी) वर्ग में शामिल करने को लेकर मणिपुर में विवाद जारी है. रह-रहकर हिंसक घटनाएं भी हो जा रहीं हैं. दो दिन पहले केंद्रीय गृह मंत्रालय ने शांति समिति गठन करने का ऐलान किया था. रविवार को समिति के सदस्यों के नामों की घोषणा की गई. लेकिन कुकी समुदाय को इस समिति पर भरोसा नहीं है. मीडिया रिपोर्ट की मानें तो कुकी समुदाय का दावा है कि इस समिति के गठन से पहले उनकी राय नहीं ली गई थी. कुकी समुदाय को मणिपुर सरकार पर भरोसा नहीं है. इस समिति में 51 सदस्य हैं. समिति की अध्यक्षता राज्यपाल अनुसूइया ओइके कर रहीं हैं.

Manipur NH Jammed
मणिपुर में एनएच को किया गया जाम

इस समिति के 25 सदस्य मैतेई समुदाय से हैं. कुकी समुदाय के 11 सदस्यों को शामिल किया गया है. नगा समुदाय के 10 सदस्यों को जगह दी गई है. तीन मुस्लिम और दो नेपाली समुदाय के लोग इसमें हैं. हिंसा के दौर की शुरुआत होने के बाद गृह मंत्री अमित शाह जब मणिपुर गए थे, तभी उन्होंने इस समिति के बनाने का ऐलान किया था. शाह 29 मई से एक जून तक मणिपुर में रूके थे. वहां उन्होंने सभी समुदायों के प्रतिनिधियों से मुलाकात की थी.

security forces in manipur
मणिपुर में सुरक्षा व्यवस्था पर नजर बनाए हुए सुरक्षाकर्मी

एक अखबार में कुकी नेता का बयान प्रकाशित किया गया है. इसके अनुसार उन्होंने दावा किया है कि इस समिति में ऐसे सदस्य हैं, जिन्होंने खुले तौर पर कुकी के खिलाफ युद्ध की घोषणा कर रखी है. उनका विरोध मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बिरेन सिंह को शामिल किए जाने पर भी है. कुकी समुदाय के लोग चाहते हैं कि इस समिति में ज्यादा से ज्यादा केंद्र सरकार के प्रतिनिधि रहें ताकि निष्पक्षता से सुनवाई हो सके. एक अन्य विशेषज्ञ जे. लुंगडिम के हवाले से कहा गया है कि बिना उनकी जानकारी के ही उन्हें समिति का सदस्य बना दिया गया है. मशहूर थियेटर आर्टिस्ट रतन थियाम को भी इस समिति में जगह दी गई है. लेकिन थियाम उन लोगों में हैं, जिन्होंने पूरे मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की खामोशी पर सवाल उठाए हैं.

manipur
कैंप में शरणार्थी, मणिपुर

समिति के कुछ सदस्यों के नाम इस तरह से हैं - राज्य के मंत्री वाई खेमचंद और नीमचा किंपगेन, लोकसभा सांसद लोरहो एस पीफोज, राज्य भाजपा के अध्यक्ष अधिकारीमयूम शारदा देवी, जेडीयू नेता मो. अब्दुल नासिर, सीपीआई नेता डॉ मेईरंगथेम नारा, विधायक टी शांति शिंह और के रंजीत सिंह. पुथिबा वेलफेयर एंड कल्चरल सोसाइटी और ऑल त्रिपुरा मेइती कम्युनिटी ने फिर से पीएम और गृह मंत्री के हस्तक्षेप की मांग की है.

वेलफेयर के सचिव दीपक कुमार सिंह ने सोमवार को कहा, 'हम मणिपुर में हो रही हिंसा की घटनाओं को लेकर चिंतित हैं. हम जातीय आधार पर राज्य को विभाजित करने के किसी भी कदम का कड़ा विरोध करते हैं. शांति की विशेष पहल होनी चाहिए.'

असम के सीएम हिमंत बिस्वा सरमा की पहल - पूरे मामले पर असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने विशेष पहल की है. पहले उन्होंने मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बिरेन सिंह से मुलाकात की. उसके बाद उन्होंने कुकी समुदाय के प्रतिनिधियों के साथ भी बातचीत की है. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक सरमा ने दो कुकी विद्रोही समूहों के नेताओं से गुवाहाटी में भेंट की. यह बैठक रविवार को हुई. इस बैठक के बाद सरमा मणिपुर का दौरा करेंगे और उसके बाद एक रिपोर्ट गृह मंत्री अमित शाह को भी सौपेंगे. सरमा उत्तर पूर्व मामलों के न सिर्फ विशेषज्ञ माने जाते हैं, बल्कि मोदी सरकार के संकटमोचक भी माने जाते हैं. हालांकि, यह देखने वाली बात होगी कि उनकी पहल कहां तक सफल हो पाती है.

fire in manipur
मणिपुर के एक गांव में आगजनी

मणिपुर में क्यों हो रहा विद्रोह - मणिपुर में रहने वाले मैतेई और कुकी समुदाय के बीच तीन मई से ही हिंसा का दौर जारी है. एक अनुमान के मुताबिक 50 हजार के आसपास लोग शिविरों में रहने के लिए मजबूर हैं. पुलिस के चार हजार से अधिक हथियार लूट लिए गए हैं. मणिपुर की 53 प्रतिशत आबादी मैतेई समुदाय की है. 40 फीसदी आबादी नगा और कुकी समुदायों की है. नगा और कुकी मुख्य रूप से पर्वतीय इलाकों में रहते हैं, जबकि मैतेई समुदाय के लोग मुख्य रूप से घाटी में रहते हैं. मणिपुर में जब से हिंसा शुरू हुई है, आदिवासी विधायकों ने राज्य के विभाजन की मांग की है. मुख्यमंत्री इसका विरोध करते रहे हैं.

विरोध की तात्कालिक वजह - विरोध की तात्कालिक वजह हाईकोर्ट का वह ऑर्डर है, जिसके तहत कोर्ट ने मैतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने को लेकर आदेश दिया था. नगा और कुकी समुदाय के लोग इसका विरोध करते रहे हैं. उनका मानना है कि एक बार जब मैतेई समुदाय को एसटी क्लास का दर्जा प्रदान कर दिया गया, तो उनका विशेषाधिकार खत्म हो जाएगा और उनका हक मारा जाएगा. जबकि मैतेई समुदाय का दावा है कि मणिपुर राज्य का गठन होने से पहले भी वह एसटी क्लास में शामिल थे. इसके अलावा विरोध की एक वजह अफीम की खेती को लेकर भी है. ऐसा कहा जा रहा है कि एन. बिरेन सिंह की सरकार ने अफीम की खेती करने वालों के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की है, जिसको लेकर कुकी समुदाय में विरोध है. कुकी समुदाय के लोग अफीम की खेती करते रहे हैं. उन्हें म्यांमार से सटी हुई सीमा पर रहने वाली आबादी से भी समर्थन मिलता रहा है. उसकेजरिए वे इस अफीकम को मार्केट में बेचते हैं. म्यांमार सीमा पर रहने वाले लोग कुकी-चिन समुदाय के हैं.

ये भी पढ़ें : Protest Outside Amit Shah house: अमित शाह के आवास के बाहर कुकी समुदाय के लोगों ने किया प्रदर्शन

Last Updated : Jun 12, 2023, 7:03 PM IST
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