नई दिल्ली : दिल्ली सरकार ने दिल्ली उच्च न्यायालय में कहा कि शादी का पंजीकरण कराने को इच्छुक किसी भी दंपति का संबंधित अधिकारी के सामने उपस्थित होना अनिवार्य है तथा यह प्रक्रिया वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से नहीं की जा सकती है.
दिल्ली सरकार के वकील ने अदालत से कहा कि न तो शादी के पंजीकरण से संबंधित नियम और न ही इस काम में उपयोग में लाये जाने वाले सॉफ्टवेयर संबंधित पक्षों को उपस्थित नहीं होने की अनुमति देते हैं.
वकील ने चीजें स्पष्ट करते हुए कहा कि विवाह पंजीकरण की प्रक्रिया के तहत एसडीएम कार्यालय में दंपति का फोटो लेना होता है.
इस पर न्यायमूर्ति रेखा पल्ली ने कहा, आप बस कुछ पंजीकृत कर रहे हैं. वे आपके सामने शादी थोड़े ही कर रहे हैं. सॉफ्टवेयर जो (डिजिटल उपस्थिति की) अनुमति नहीं देता, वह आपकी समस्या है.
दिल्ली उच्च न्यायालय एक दंपति की याचिका की सुनवाई कर रहा है जो वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से अपने विवाह का पंजीकरण कराना चाह रहा है.चूंकि दिल्ली सरकार ने इस मामले में अबतक अपना हलफनामा नहीं दिया है इसलिए अदालत ने उसे इसके लिए तीन दिन का वक्त दिया.
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दंपति की ओर से पेश वकील ने अदालत से सुनवाई की अगली तारीख पर कोई स्थगन नहीं मंजूर करने की अपील की. न्यायमूर्ति पल्ली ने कहा, मैं कह रही हूं कि (प्रति हलफनामा दाखिल करने के लिए) यह आखिरी मौका है.
दंपति की ओर से वकील ने कहा कि सभी प्रासंगिक कागजात पहले ही दाखिल कर दिए गए हैं और गवाह भी संबंधित अधिकारी के सामने पेश होने के लिए तैयार हैं.
इस दंपति ने दावा किया कि दोनों ने 2012 में शादी की थी और वे फिलहाल अमेरिका में रह रहे हैं. दंपति ने अदालत से अनुरोध किया है कि वह दिल्ली सरकार को दिल्ली (विवाह पंजीकरण अनिवार्य) आदेश, 2014 के तहत पंजीकरण के लिए किए गए ऑनलाइन आवेदन को स्वीकार करने का निर्देश दे तथा उन्हें इस कार्य हेतु वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से संबंधित अधिकारी के सामने पेश होने की अनुमति दे. बता दें कि इस मामले की अगली सुनवाई छह सितंबर को होगी.
(पीटीआई-भाषा)