नई दिल्ली : वित्त राज्य मंत्री डॉ भागवत कृष्णाराव कराड ने सोमवार को कहा कि देश में लगभग 600 अवैध मोबाइल आधारित उधार देने वाले ऐप चल रहे हैं और रिजर्व बैंक को उनके खिलाफ आ रही शिकायतों से निपटने की जिम्मेदारी सौंपी है. डिजिटल लेंडिंग पर रिजर्व बैंक के वर्किंग ग्रुप के ऑंकड़ों का हवाला देते हुए, मंत्री ने कहा कि फरवरी 2021 में अनधिकृत मोबाइल आधारित उधार देने वाले ऐप की संख्या लगभग 600 थी. रिजर्व बैंक को ऐसी अपंजीकृत संस्थाओं के खिलाफ जनता द्वारा शिकायतें दर्ज करने के लिए राज्य स्तरीय समन्वय समिति तंत्र के तहत रिजर्व बैंक द्वारा स्थापित सचेत पोर्टल के रूप में ऐसे अनधिकृत ऋण देने वाले ऐप्स के खिलाफ 2,500 से अधिक शिकायतें मिली हैं. लोकसभा में रखे गए आंकड़ों के विश्लेषण पता चला है कि भारत के सबसे समृद्ध औद्योगिक राज्यों में से एक महाराष्ट्र से सबसे अधिक शिकायतें प्राप्त हुई. जनवरी 2020 और मार्च 2021 के बीच इस तरह के अनधिकृत उधार देने वाले ऐप्स के खिलाफ देश में दर्ज कुल शिकायतों का पांचवां हिस्सा अकेले महाराष्ट्र राज्य में ही दर्ज किया गया है.
वित्त राज्य मंत्री कुल दर्ज मामलों में हर पांचवा केस महाराष्ट्र का है. इस तरह के अवैध उधार देने वाले ऐप्स के खिलाफ महाराष्ट्र से कुल 2,562 शिकायतों में से 572 की शिकायत की गई, जबकि देश की आईटी राजधानी कही जाने वाली कर्नाटक राज्य दूसरे स्थान पर है. इस दौरान कर्नाटक राज्य से 394 शिकायतें मिलीं. भारत की राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली भी ऐसे मोबाइल आधारित उधार देने वाले ऐप्स के धंधे से अछूती नहीं है. इस तरह के 352 शिकायतें दिल्ली में मिली है. इसके साथ ही दिल्ली तीसरे स्थान पर है. दिल्ली का पड़ोसी राज्य हरियाणा देश का चौथा राज्य है जहां अवैध डिजिटल ऋण देने वाले ऐप्स के खिलाफ 314 शिकायतें दर्ज की गई हैं.
दक्षिण भारत के राज्यों में तेलंगाना में डिजिटल ऋण देने वाले ऐप्स के खिलाफ 185 शिकायतें दर्ज हैं. आंध्र प्रदेश ने जनवरी 2020 और मार्च 2021 के बीच 144 शिकायतें दर्ज की गईं. भारत के सबसे अधिक आबादी वाले राज्य उत्तर प्रदेश ने इस अवधि के दौरान मोबाइल आधारित उधार देने वाले एप्स के खिलाफ 142 शिकायतें दर्ज कीं और पश्चिम बंगाल में 138 शिकायतें दर्ज की गईं. हालांकि तमिलनाडु में 57 शिकायतें दर्ज है. वहीं पीएम नरेंद्र मोदी के गृह राज्य गुजरात में केवल 56 शिकायतें दर्ज हैं. शेष 208 मामले अन्य राज्यों और केंद्र और केंद्र शासित प्रदेशों में दर्ज की गई.
हालांकि रिज़र्व बैंक के पर्यवेक्षण विभाग ने अनधिकृत डिजिटल ऋण देने वाले प्लेटफ़ॉर्म और मोबाइल ऐप पर विशिष्ट संदर्भों को संभालने के लिए एक सिस्टम विकसित किया है जिसमें राज्य सरकार की प्रवर्तन एजेंसियों को ऐसे अनधिकृत ऋण देने वाले ऐप के खिलाफ कार्रवाई करने का अधिकार देना शामिल है. हालांकि ऐसे मोबाइल ऐप के खिलाफ केंद्र और राज्य सरकार के स्तर पर कार्रवाई पर्याप्त नहीं होगा. उदाहरण के लिए संसद में मंत्री द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, सूचना और प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 की धारा 69A के तहत बनाए गए नियमों का पालन करते हुए 27 गैरकानूनी उधार देने वाले ऐप्स को ब्लॉक कर दिया. जैसा कि पहले ईटीवी भारत द्वारा रिपोर्ट किया गया था, भारतीय रिजर्व बैंक ने पिछले महीने कैशबीन पर प्रतिबंध लगा दिया था, जो ओपेरा इंटरनेट ब्राउज़र के स्वामित्व वाली कंपनी द्वारा प्रचारित एक मोबाइल ऋण देने वाला ऐप है.
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