छिंदवाड़ा। महाभारत के एकलव्य को धनुर्विद्या और गुरु भक्ति की कहानी सबने सुनी है. लेकिन आज हम आपको छिंदवाड़ा जिले के ऐसे 8 'एकलव्य' की कहानी बताने जा रहे हैं, जिन्होंने सरकारी आवासीय विद्यालय में पढ़कर व सरकारी हॉस्टल में रहकर बिना कोचिंग या बिना किसी एक्सपर्ट की मदद से जेईई एग्जाम को क्रेक किया है. खास बात यह है कि स्कूल के टीचर्स ही इन स्टूडेंट्स को गाइड करते हैं. इन स्टूडेंट्स की सफलता ने सुविधाओं से वंचित बच्चों में उत्साह का संचार किया है.
सरकारी हॉस्टल में रहकर पढ़ाई : छिंदवाड़ा जिले के जनजातीय कार्य विभाग के सहायक आयुक्त सत्येन्द्र सिंह मरकाम ने बताया कि क्वालिफाई करने वालों में एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालय सिंगारदीप के 6 छात्र और 2 छात्राएं हैं. ये हैं तरुण कुमार अहिके, अखिलेश कोकोडिया, श्याम उईके, पवन भारती, मंगल सिंह उईके, गुंजा, दीपिका भलावी और जयदेव उईके. इनके अलावा शासकीय कन्या शिक्षा परिसर छिंदवाड़ा की रीतू, श्री नंदलाल सूद शासकीय उत्कृष्ट विद्यालय जुन्नारदेव के वेदव्यास आम्रवंशी और शासकीय मॉडल उच्चतर माध्यमिक विद्यालय हर्रई के छात्र आशीष चिचलवार भी परीक्षा में सफल हुए हैं.
सभी स्टूडेंट्स गरीब परिवारों के : राज्य सरकार द्वारा आर्थिक रूप से कमजोर अनुसूचित जनजाति वर्ग के बच्चों को अच्छी शिक्षा देने के उद्देश्य एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालय संचालित किए जा रहे हैं. छिंदवाड़ा के छोटे से गांव सिंगारदीप में भी एक स्कूल संचालित है. इसी स्कूल के 8 छात्रों ने बिना किसी कोचिंग और एक्सपर्ट के जेईई की परीक्षा पास की है. एकलव्य आदर्श आवासीय स्कूल में पढ़ने वाले अधिकांश छात्रों के परिजन या तो मामूली किसान हैं या फिर अधिकतर मजदूरी कर अपने परिवार का भरण पोषण करते हैं. गरीबी से जूझ रहे परिजनों ने बच्चों को अच्छी शिक्षा दिलाने के उद्देश्य सरकारी छात्रावास में दाखिला कराया. इन बच्चों ने अपने परिवार के सपने को साकार कर दिखाया है.
Must Read: ये खबरें भी पढ़ें... |
बेहतर नतीजे सुविधाओं से नहीं, लगन से आते हैं : सरकारी हॉस्टल में रहकर जेईई पास करने वाले ये छात्र उन लोगों के लिए मिसाल हैं, जो संसाधनों की दुहाई देकर अपनी कमजोरी छुपा लेते हैं. इन बच्चों की सफलता से अंदाजा लगाया जा सकता है कि सरकारी स्कूल या छात्रावासों में रहने वाले गरीब बच्चे भी सफलता पा सकते हैं. इससे यह बात साबित होती है कि बेहतर नतीजों के लिए सुविधाओं की नहीं, बल्कि लगन की जरूरत होती है.एकलव्य आवासीय विद्यालय सिंगारदीप के छात्रावास के अधीक्षक वीरेंद्र सोनी ने बताया कि स्कूल के सभी शिक्षक ही बच्चों को मार्गदर्शन देते हैं. सोशल मीडिया को ही द्रोणाचार्य मानकर बच्चों ने एकलव्य की भूमिका निभाते हुए परीक्षा की तैयारी की. दिनभर स्कूल में पढ़ाई और फिर छात्रावास में तैयारी के बाद बच्चों की मेहनत रंग लाई है. फिलहाल सभी बच्चे भोपाल में सरकार की ओर से निःशुल्क कोचिंग के लिए गए हैं.