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लॉकडाउन का एक साल- कोरोना वायरस से वैक्सीन तक की कठिन यात्रा - कोरोना का एक साल

इस महामारी के दौरान कईयों ने बहुत कुछ खोया. सभी की जिंदगी बदल गई थी. आइये वायरस से वैक्सीन तक के पूरे सफर पर डालते हैं एक नजर.

lockdown in india
लॉकडाउन को लागू हुए एक साल
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Published : Mar 25, 2021, 9:02 AM IST

Updated : Mar 25, 2021, 11:50 AM IST

नई दिल्ली : भारत में कोरोना वायरस के बढ़ते प्रभाव को देखते हुए 25 मार्च 2020 को 21 दिन का लॉकडाउन लगाया गया था. आज लॉकडाउन को लागू हुए एक साल पूरे हो गए. देश ने 68 दिन का पूर्ण लॉकडाउन झेला था. लॉकडाउन को समझने के लिए आज का दिन सबसे सटीक है, क्योंकि इस महामारी के दौरान सभी लोगों ने कुछ कुछ खोया था. बता दें, पिछले 24 घंटे में 50 हजार से ज्यादा कोरोना के नए केस सामने आए हैं.

केरल में पहला मामला सामने आया

भारत में कोरोना वायरस का पहला मामला 30 जनवरी 2020 को केरल में दर्ज किया गया था. वहीं, फरवरी तक चीन के वुहान प्रांत से लौटने वाले छात्रों में कोविड-19 के लक्षण पाए गए थे, तब तक ये आंकड़े दहाई में नहीं पहुंचे थे. भारत में पहली बार 4 मार्च को 22 केस दर्ज किए गए थे, जिनमें 14 इटली के पर्यटक भी शामिल थे. वहीं 12 मार्च को कोविड-19 से पहली मौत दर्ज की गई थी.

मार्च में तेजी से बढ़ा कोरोना वायरस

इटली और जर्मनी से पंजाब के आनंदपुर साहिब में धार्मिक गुरु की वापसी और 10 से 12 मार्च दो दिन लगातार घूमने की वजह से देश में पहला बड़ा मामला दर्ज किया गया. इस वजह से यहां कोरोना वायरस के 27 केस का पता चला और 20 गांवों के करीब 40 हजार लोगों को क्वारंटाइन किया गया. दिल्ली में तब्लीगी जमात के कार्यक्रम के चलते मार्च के मध्य तक कोरोना के केस काफी बढ़ गए थे. उसके बाद उत्तर प्रदेश, बिहार, बंगाल राज्यों में भी संक्रमण तेजी से बढ़ने लगा था.

25 मार्च से लॉकडाउन की घोषणा

कोरोना वायरस की गंभीर स्थिति को देखते हुए पीएम मोदी ने 25 मार्च 2020 को पहली बार लॉकडाउन की घोषणा की थी. 31 मार्च 2020 तक कोरोना से 47 मौतें हो चुकी थीं, वहीं 1403 लोग पहले ही संक्रमित हो चुके थे. 21 दिन के लिए लगाए गए लॉकडाउन को सरकार आगे बढ़ाने के मूड में नहीं थी, लेकिन सरकार को कोरोना वायरस के विस्फोट का अंदाजा नहीं था.

अप्रैल में मरीजों की संख्या में 23 गुना बढ़ी

केंद्र की मोदी सरकार ने माना कि तब्लीगी जमात के कार्यक्रम से देश में कोरोना के 4129 मामले आए. मार्च की तुलना में अप्रैल में कोरोना संक्रमितों की संख्या 23 गुना तक बढ़ गई थी. 14 अप्रैल को पहली बार कोरोना के एक हजार से ज्यादा करीब 1463 मामले दर्ज किए जा चुके थे. वहीं, महीने के अंत तक इससे 1075 लोगों की मौत हो चुकी थी.

मई: पहली बार में सौ से ज्यादा मौतें, एक लाख मामले

भारत में लॉकडाउन के बावजूद भी कोविड-19 के मामले लगातार बढ़ रहे थे. हर रोज औसतन 6 से 7 हजार कोविड संक्रमित मरीजों का पता चल रहा था. वहीं, 5 मई को पहली बार 194 से ज्यादा लोगों की मौत हुई थी. कोरोना वायरस के पहले मामले के 110 दिन बाद 19 मई को संक्रमितों की संख्या 1 लाख के पार हो गई थी. मई के आखिरी दिन 31 तारीख को सर्वाधिक 8380 मामले सामने आए. मई में लॉकडाउन समाप्त कर दिया गया और अनलॉक-1 की घोषणा हुई.

जून: अनलॉक के साथ-साथ बढ़ा संक्रमण

जैसे ही अनलॉक-1 शुरू हुआ, वैसे ही इन मामलों ने तेजी भी पकड़ी. 1 जून को जहां एक दिन में 8392 मामले पाए गए, वहीं 30 जून तक एक ही दिन में यह आंकड़ा 18,522 तक पहुंच गया. 1 जून से हर रोज 230 मौतों का आंकड़ा 30 जून तक 418 तक पहुंच गया. अनलॉक के पहले चरण में मॉल, रेस्तरां और धार्मिक स्थानों को खोलने की घोषणा की गई थी.

जुलाई: रोजाना तीन गुना बढ़े नए मामले

बारिश के मौसम में संक्रमण बढ़ने की आशंका सही साबित हुई. 17न जुलाई को यह मामले 1 मिलियन को पार कर गए. इनमें महाराष्ट्र में 2.75 लाख और दिल्ली में 11.6 लाख मामले शामिल थे. जुलाई के पहले दिन 18,653 नए मामलों के साथ 30 जुलाई तक यह लगभग 3 गुना बढ़कर 52,123 हो गए थे. 23 जुलाई को देश में पहली बार कोरोना से 1129 मौतें (कोरोना वायरस से रिकॉर्ड मौतें) दर्ज की गईं थी.

अगस्त: 20 लाख मामले, मौतों में 50% की वृद्धि

अगस्त में भारत में कोरोना वायरस के 19 लाख 87 हजार 705 मामले पाए गए और 28,859 मौतें हुईं. मौतों का यह आंकड़ा पिछले महीने की तुलना में दोगुना था. अगस्त के पहले दिन जहां 54,735 मामले दर्ज किए गए, वहीं, महीने के आखिरी दिन 78,761 मामले दर्ज किए गए. बता दें, अगस्त में हर दिन औसतन 800 से 900 मौतें दर्ज की गईं.

सितंबर: 33 हजार मौतें, रोजाना एक लाख के करीब मामले

सितंबर महीने में देश में कोविड-19 के मामलों में सबसे ज्यादा वृद्धि देखी गई. जिसमें कोरोना के केस रोजाना 70 हजार से एक लाख के आसपास हो गए. 17 सितंबर को 97,984 मामले दर्ज किए गए. मौतों की संख्या भी लगभग एक लाख (97,497) तक पहुंच गई. 16 सितंबर को सबसे ज्यादा 1290 मौतें दर्ज की गईं. अक्टूबर में कुल 33,515 मौतें हुईं.

अक्टूबर: एक लाख से अधिक मौतें

त्योहार के मौसम अक्टूबर में भारत में कुल मौतें एक लाख से अधिक हो गईं. शुरुआत में जहां मौतों का आंकड़ा 1181 था, वहीं महीने के आखिरी में यह घटकर 551 हो गया. महीने की शुरुआत में जहां मामले 85 हजार से 86 हजार के बीच थे, वहीं 31 अक्टूबर को यह घटकर 48,000 तक आ गए. पूरे महीने में कोरोना से मृत्यु लगभग 24,000 तक कम हो गई.

पढ़ें: छत्तीसगढ़ में नई गाइडलाइंस जारी, रायपुर में धारा 144 लागू

नवंबर में कोरोना का ग्राफ नीचे आया

तीन महीने तक लगातार कोरोना के मामले लगभग दो मिलियन तक पहुंच गए थे, लेकिन नवंबर में इससे कुछ राहत मिली. औसतन, दैनिक मामले 45,000 से घटकर 38,000 रह गए. मौतों के मामले भी प्रतिदिन 400-450 तक कम हो गए.

नई दिल्ली : भारत में कोरोना वायरस के बढ़ते प्रभाव को देखते हुए 25 मार्च 2020 को 21 दिन का लॉकडाउन लगाया गया था. आज लॉकडाउन को लागू हुए एक साल पूरे हो गए. देश ने 68 दिन का पूर्ण लॉकडाउन झेला था. लॉकडाउन को समझने के लिए आज का दिन सबसे सटीक है, क्योंकि इस महामारी के दौरान सभी लोगों ने कुछ कुछ खोया था. बता दें, पिछले 24 घंटे में 50 हजार से ज्यादा कोरोना के नए केस सामने आए हैं.

केरल में पहला मामला सामने आया

भारत में कोरोना वायरस का पहला मामला 30 जनवरी 2020 को केरल में दर्ज किया गया था. वहीं, फरवरी तक चीन के वुहान प्रांत से लौटने वाले छात्रों में कोविड-19 के लक्षण पाए गए थे, तब तक ये आंकड़े दहाई में नहीं पहुंचे थे. भारत में पहली बार 4 मार्च को 22 केस दर्ज किए गए थे, जिनमें 14 इटली के पर्यटक भी शामिल थे. वहीं 12 मार्च को कोविड-19 से पहली मौत दर्ज की गई थी.

मार्च में तेजी से बढ़ा कोरोना वायरस

इटली और जर्मनी से पंजाब के आनंदपुर साहिब में धार्मिक गुरु की वापसी और 10 से 12 मार्च दो दिन लगातार घूमने की वजह से देश में पहला बड़ा मामला दर्ज किया गया. इस वजह से यहां कोरोना वायरस के 27 केस का पता चला और 20 गांवों के करीब 40 हजार लोगों को क्वारंटाइन किया गया. दिल्ली में तब्लीगी जमात के कार्यक्रम के चलते मार्च के मध्य तक कोरोना के केस काफी बढ़ गए थे. उसके बाद उत्तर प्रदेश, बिहार, बंगाल राज्यों में भी संक्रमण तेजी से बढ़ने लगा था.

25 मार्च से लॉकडाउन की घोषणा

कोरोना वायरस की गंभीर स्थिति को देखते हुए पीएम मोदी ने 25 मार्च 2020 को पहली बार लॉकडाउन की घोषणा की थी. 31 मार्च 2020 तक कोरोना से 47 मौतें हो चुकी थीं, वहीं 1403 लोग पहले ही संक्रमित हो चुके थे. 21 दिन के लिए लगाए गए लॉकडाउन को सरकार आगे बढ़ाने के मूड में नहीं थी, लेकिन सरकार को कोरोना वायरस के विस्फोट का अंदाजा नहीं था.

अप्रैल में मरीजों की संख्या में 23 गुना बढ़ी

केंद्र की मोदी सरकार ने माना कि तब्लीगी जमात के कार्यक्रम से देश में कोरोना के 4129 मामले आए. मार्च की तुलना में अप्रैल में कोरोना संक्रमितों की संख्या 23 गुना तक बढ़ गई थी. 14 अप्रैल को पहली बार कोरोना के एक हजार से ज्यादा करीब 1463 मामले दर्ज किए जा चुके थे. वहीं, महीने के अंत तक इससे 1075 लोगों की मौत हो चुकी थी.

मई: पहली बार में सौ से ज्यादा मौतें, एक लाख मामले

भारत में लॉकडाउन के बावजूद भी कोविड-19 के मामले लगातार बढ़ रहे थे. हर रोज औसतन 6 से 7 हजार कोविड संक्रमित मरीजों का पता चल रहा था. वहीं, 5 मई को पहली बार 194 से ज्यादा लोगों की मौत हुई थी. कोरोना वायरस के पहले मामले के 110 दिन बाद 19 मई को संक्रमितों की संख्या 1 लाख के पार हो गई थी. मई के आखिरी दिन 31 तारीख को सर्वाधिक 8380 मामले सामने आए. मई में लॉकडाउन समाप्त कर दिया गया और अनलॉक-1 की घोषणा हुई.

जून: अनलॉक के साथ-साथ बढ़ा संक्रमण

जैसे ही अनलॉक-1 शुरू हुआ, वैसे ही इन मामलों ने तेजी भी पकड़ी. 1 जून को जहां एक दिन में 8392 मामले पाए गए, वहीं 30 जून तक एक ही दिन में यह आंकड़ा 18,522 तक पहुंच गया. 1 जून से हर रोज 230 मौतों का आंकड़ा 30 जून तक 418 तक पहुंच गया. अनलॉक के पहले चरण में मॉल, रेस्तरां और धार्मिक स्थानों को खोलने की घोषणा की गई थी.

जुलाई: रोजाना तीन गुना बढ़े नए मामले

बारिश के मौसम में संक्रमण बढ़ने की आशंका सही साबित हुई. 17न जुलाई को यह मामले 1 मिलियन को पार कर गए. इनमें महाराष्ट्र में 2.75 लाख और दिल्ली में 11.6 लाख मामले शामिल थे. जुलाई के पहले दिन 18,653 नए मामलों के साथ 30 जुलाई तक यह लगभग 3 गुना बढ़कर 52,123 हो गए थे. 23 जुलाई को देश में पहली बार कोरोना से 1129 मौतें (कोरोना वायरस से रिकॉर्ड मौतें) दर्ज की गईं थी.

अगस्त: 20 लाख मामले, मौतों में 50% की वृद्धि

अगस्त में भारत में कोरोना वायरस के 19 लाख 87 हजार 705 मामले पाए गए और 28,859 मौतें हुईं. मौतों का यह आंकड़ा पिछले महीने की तुलना में दोगुना था. अगस्त के पहले दिन जहां 54,735 मामले दर्ज किए गए, वहीं, महीने के आखिरी दिन 78,761 मामले दर्ज किए गए. बता दें, अगस्त में हर दिन औसतन 800 से 900 मौतें दर्ज की गईं.

सितंबर: 33 हजार मौतें, रोजाना एक लाख के करीब मामले

सितंबर महीने में देश में कोविड-19 के मामलों में सबसे ज्यादा वृद्धि देखी गई. जिसमें कोरोना के केस रोजाना 70 हजार से एक लाख के आसपास हो गए. 17 सितंबर को 97,984 मामले दर्ज किए गए. मौतों की संख्या भी लगभग एक लाख (97,497) तक पहुंच गई. 16 सितंबर को सबसे ज्यादा 1290 मौतें दर्ज की गईं. अक्टूबर में कुल 33,515 मौतें हुईं.

अक्टूबर: एक लाख से अधिक मौतें

त्योहार के मौसम अक्टूबर में भारत में कुल मौतें एक लाख से अधिक हो गईं. शुरुआत में जहां मौतों का आंकड़ा 1181 था, वहीं महीने के आखिरी में यह घटकर 551 हो गया. महीने की शुरुआत में जहां मामले 85 हजार से 86 हजार के बीच थे, वहीं 31 अक्टूबर को यह घटकर 48,000 तक आ गए. पूरे महीने में कोरोना से मृत्यु लगभग 24,000 तक कम हो गई.

पढ़ें: छत्तीसगढ़ में नई गाइडलाइंस जारी, रायपुर में धारा 144 लागू

नवंबर में कोरोना का ग्राफ नीचे आया

तीन महीने तक लगातार कोरोना के मामले लगभग दो मिलियन तक पहुंच गए थे, लेकिन नवंबर में इससे कुछ राहत मिली. औसतन, दैनिक मामले 45,000 से घटकर 38,000 रह गए. मौतों के मामले भी प्रतिदिन 400-450 तक कम हो गए.

Last Updated : Mar 25, 2021, 11:50 AM IST
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