सिवान/छपरा: महाराजगंज के पूर्व एमपी प्रभुनाथ सिंह को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा और उन्हें उम्रकैद की सजा सुनाई गई. आजीवन कारावास की सजा के साथ ही कोर्ट ने दोनों मृतकों के आश्रितों को 10-10 लाख रुपए मुआवजा देने का आदेश भी दिया है. वहीं सुप्रीम कोर्ट के फैसले से पीड़ित परिवार के लोगों ने कहा कि देर से आया लेकिन सही फैसला आया है.
पढ़ें- Ex RJD MP Prabhunath Gets life term: डबल मर्डर केस में RJD के पूर्व सांसद प्रभुनाथ सिंह को उम्रकैद
स्वर्गीय अशोक सिंह की पत्नी ने फैसले का किया स्वागत: वहीं सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद पूर्व विधायक स्वर्गीय अशोक सिंह की पत्नी चांदनी देवी पीड़ित परिवारों से मिलने उनके घर पहुंची. उन्होंने कहा कि हम तो चाहते थे कि इन लोगों को फांसी की सजा मिले, लेकिन जो भी सजा मिली है ठीक है. साथ ही उन्होंने फैसले में देरी को लेकर भी दुख प्रकट किया.
"देर से आया फैसला काफी मर्माहत करता है. 10 लाख मुआवजा आज के हिसाब से कम है इसलिए कोर्ट से उम्मीद है कि वह अपने फैसले पर पुनर्विचार करेंगे और 20-20 लाख रुपए मुआवजा देंगे."- चांदनी देवी, पूर्व विधायक स्वर्गीय अशोक सिंह की पत्नी
वोट नहीं देने पर मार डाला : दरअसल, छपरा में 28 वर्ष पूर्व चुनाव के दौरान हुई गोलीबारी में पानापुर थाना क्षेत्र के धेनुकी गांव निवासी दारोगा राय और राजेंद्र राय की हत्या कर दी गई थी. इन दोनों हत्याओं का आरोप बाहुबली नेता प्रभुनाथ सिंह के ऊपर लगा था और क्योंकि इन दोनों में उनके कहे अनुसार उनको वोट नहीं दिया था. वहीं 28 वर्षों तक यह केस चला और शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने अंतोगत्वा प्रभुनाथ सिंह को दोषी करार दिया.
स्वर्गीय राजेंद्र राय के परिजनों ने कही ये बात: स्वर्गीय राजेंद्र राय के भतीजे शैलेन्द्र यादव ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि देर से आया एक सही फैसला है और हम लोग तो और कड़े सजा की बात कह रहे थे, लेकिन आजीवन कारावास की सजा भी कम नहीं है.पीड़ित परिवारों ने कहा कि इतने दिनों तक हमने काफी परेशानी झेली है. धमकियां और डरे सहमे रहते थे. काफी दिनों तक हमारे घरों पर पुलिस तैनात थी और हम पुलिस के साए में दिन गुजार रहे थे.
"आज के फैसले से हम सब काफी खुश हैं. चुनाव के दौरान उनको गोली लगी थी और वह बुरी तरह से घायल थे. इसके बाद वे 6 महीना तक पीएमसीएच पटना में जिंदगी और मौत से लड़ते रहे और 21 अगस्त 1995 को उनकी मृत्यु हो गई थी."- शैलेन्द्र यादव, स्वर्गीय राजेंद्र राय के भतीजे
''28 साल तक कोर्ट का फैसला नहीं आया. अब 28 साल बाद फैसला आया है. बहुत खुशी की बात है. हम तो चाहते थे कि फांसी की सजा दी जाए.'- किशोरी राय
क्या था पूरा मामला: प्रभुनाथ सिंह को सुप्रीम कोर्ट ने उम्र कैद की सजा सुनाई है. दरअसल 1995 में विधानसभा चुनाव के दरम्यान प्रभुनाथ सिंह मशरख से विधायकी का चुनाव लड़ रहे थे. उनके सामने प्रत्याशी के तौर पर अशोक सिंह थे. दो लोगों की सिर्फ इसलिए हत्या करा दी गई क्योंकि उन दोनों ने प्रभुनाथ सिंह के कहने पर वोट नहीं किया था. मशरख से अशोक सिंह ने बाजी मारते हुए चुनाव जीत लिया था.
धमकी देकर की गई थी हत्या: इसके बाद प्रभुनाथ सिंह ने जीते हुए कैंडिडेट अशोक सिंह को 3 माह के अंदर जान से मारने की धमकी दी थी और ठीक 3 माह के अंदर 90वें दिन अशोक सिंह की हत्या कर दी गई. इस मामले में झारखंड के हजारीबाग जेल में उम्र कैद की सजा प्रभुनाथ सिंह काट रहे हैं. बता दें कि जिन दो लोगों की वोट नहीं देने पर गोली मारकर हत्या की गई थी, उनके नाम राजेंद्र राय और दरोगा राय थे. इस मामले में ही सुप्रीम कोर्ट ने उम्र कैद की सजा सुनाई है.
कोर्ट में क्या हुआ?: हत्या वोट नहीं देने पर हुई थी. इसी केस में 2008 में पटना हाई कोर्ट ने प्रभुनाथ सिंह को बरी कर दिया था. फिर 2012 में इस केस को सही ठहराया थ, जिसके बाद प्रभुनाथ सिंह के भाई ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी. सुप्रीम कोर्ट में 18 अगस्त 2023 को सुनवाई पूरी हो गई थी और फैसला सुरक्षित रख लिया गया था. कोर्ट ने प्रभुनाथ सिंह को दोषी करार दिया था और आज फैसले पर मोहर लगाते हुए उन्हें उम्रकैद की सजा सुनाई है.
जस्टिस ने क्या कहा: जस्टिस विक्रम नाथ के फैसले को पढ़ते हुए कहा गया- ऐसा केस पहले नहीं देखा. प्रभुनाथ सिंह पर दोष साबित हुआ है. उन्होंने अपने खिलाफ जीतने वाले प्रत्याशी को मरवा डाला और जिन्होंने वोट नहीं दिया उनको भी. दोनों ही मामलों में उनको उम्रकैद की सजा हुई है. वहीं जस्टिस संजय किशन कौल ने कहा- दो विकल्प हैं या तो जीवन दें या फिर मौत. उसके बाद जस्टिस विक्रम नाथ ने प्रभुनाथ सिंह की उम्र के बारे में पूछा. उनके मालिक ने कहा कि सत्तर साल के हैं. फिर जस्टिस ने कहा कि तब तो भगवान ही मालिक हैं.
प्रभुनाथ सिंह सिंह कब और कहां से जीते चुनाव: बता दें कि प्रभुनाथ सिंह 1985 में पहली बार मसरख से निर्दलीय चुनाव लड़कर विधायक बने. 1990 में लालू यादव का दामन थामा और उनकी पार्टी से विधायक बने. फिर उसके बाद राजनीति में कद और बढ़ता गया और देखते ही देखते 1998 में 1999, 2004 के बाद 2013 में महाराजगंज लोकसभा सीट से एमपी बने. इस दौरान चुनाव प्रचार के दरम्यान तत्कालीन डीएम को भी धमकाने का आरोप लग चुका है.
हजारीबाग जेल में बंद हैं प्रभुनाथ सिंह: वहीं प्रभुनाथ सिंह की मो. शहाबुद्दीन से भी रंजिश रही है. बताया जाता है कि कई बार इनके बीच झड़पें भी हुईं, जिसकी वजह से पूरे इलाके में हमेशा दहशत बना रहता था. आपको बता दें कि विधायक अशोक सिंह हत्याकांड मामले में प्रभुनाथ सिंह झारखंड के हजारीबाग जेल में उम्रकैद की सजा काट रहे हैं. वहीं सीट पर हुए उपचुनाव में मृतक अशोक सिंह के भाई तारकेश्वर सिंह ने जीत हासिल की थी.