नई दिल्ली: मणिपुर में जातीय हिंसा को देखते हुए सरकार कुकी के लिए एक अलग क्षेत्र बनाने की संभावना की जांच कर रही है. वर्तमान में भारत सरकार के साथ सस्पेंशन ऑफ ऑपरेशन (SoO) में मांगों का एक चार्टर पेश किया गया है. गृह मंत्रालय के सूत्रों से यह जानकारी मिली है. यह एक बहुत ही गंभीर मुद्दा है. गृह मंत्रालय अस्थिर राज्य में शांति लाने के लिए सभी संभावनाओं की जांच कर रहा है. सूत्रों ने ईटीवी भारत को बताया. हाल ही में गृह मंत्री अमित शाह के साथ बातचीत में कुकी उग्रवादी समूहों ने पुडुचेरी की तरह केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा देने की मांग की है.
3 मई से मणिपुर में जातीय अशांति शुरू होने के बाद से कुकी समुदाय चुराचांदपुर, कांगपोकपी, चंदेल, तेंगनौपाल और फेरजॉल सहित पांच जिलों को मिलाकर अलग प्रशासन की मांग कर रहे हैं. कुकी उग्रवादी समूह वर्तमान में 2008 में भारत सरकार के साथ हस्ताक्षरित एसओयू में हैं. कुकी नेता हाओकिप ने संवाददाता से कहा, 'हमारा मानना है कि हमारे समुदाय के लिए एक अलग प्रशासन का निर्माण ही वर्तमान संकट का समाधान कर सकता है.'
हाओकिप ने कहा कि एक अलग प्रशासन का निर्माण कुकियों की लंबे समय से लंबित मांग थी. कुकी उग्रवादी समूहों ने एक सितंबर को नई दिल्ली में पूर्वोत्तर के विशेष सचिव एके मिश्रा के साथ बैठक के दौरान अपना मांगों का चार्टर प्रस्तुत किया. गौरतलब है कि दोनों पक्षों (भारत सरकार के प्रतिनिधि और कुकी समूह-कुकी नेशनल ऑर्गनाइजेशन और यूनाइटेड पीपुल्स फ्रंट) के बीच जुलाई से अब तक चार दौर की बातचीत हो चुकी है.
केएनओ (KNO) और यूपीएफ (UPF) 18 भूमिगत संगठनों के उग्रवादी समूह हैं. पुडुचेरी मॉडल की अपनी मांग को उचित ठहराते हुए एक अन्य कुकी नेता ने कहा कि जिन पांच जिलों के लिए अलग प्रशासन की आवश्यकता होगी वे निकटवर्ती नहीं हैं. उन्होंने कहा, 'तेंगनौपाल और चंदेल राज्य के पूर्व और दक्षिण-पूर्व में हैं जबकि कांगपोकपी इंफाल के करीब है.
पुडुचेरी का जिक्र करते हुए कुकी नेता ने उल्लेख किया कि यूटी (केंद्र शासित प्रदेश) में चार जिले शामिल हैं जो भौगोलिक रूप से एक साथ स्थित नहीं हैं. वे तमिलनाडु, केरल और आंध्र प्रदेश से सटे इलाकों में बिखरे हुए हैं. पूर्वी तट पर पुडुचेरी जिला पश्चिमी तट पर माहे जिले से 600 किमी दूर है. गौरतलब है कि मणिपुर में मेइतेई और नगा दोनों ने पहले ही कुकियों के लिए एक अलग प्रशासन के निर्माण के खिलाफ अपनी आपत्ति जताई है. दरअसल, मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने पहले ही मणिपुर में कुकियों के लिए एक अलग प्रशासन या क्षेत्र के निर्माण पर अपनी सरकार की आपत्ति दर्ज करा दी है.