नई दिल्ली : जम्मू कश्मीर के इतिहास में श्रीगर का लाल चौक अपनी अहमियत रखता है. 1948 में सबसे पहले तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने यहां तिरंगा फहराया था. मौका था पाकिस्तान पर भारत की जीत का. उस समय जवाहरलाल नेहरू के साथ शेख अब्दुल्ला भी मौजूद थे.
तिरंगा फहराए जाने के बाद शेख अब्दुल्ला ने अमीर खुसरो की कविता भी पढ़ी थी. अब एक बार फिर लाल चौक पर तिरंगा फहराना सुर्खियां बटोर रहा है, क्योंकि कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा समापन से ठीक एक दिन पहले यहां पहुंची. यहां राहुल गांधी ने झंडा फहराया. जब जम्मू कश्मीर से धारा 370 नहीं हटाई गई थी, तो अक्सर देश के किसी न किसी हिस्से से कश्मीर के लाल चौक पर जाकर तिरंगा फहराने की बात सुनाई देती थी. पहली बार लाल चौक पर तिरंगे की देश भर में चर्चा हुई जब बीजेपी नेता मुरली मनोहर जोशी ने वहां पर तिरंगा फहराया.
क्यों खास है लालचौक : अगस्त 2019 में धारा 370 हटने के बाद से तो लाल चौक पर तिरंगा फहरा रहा है लेकिन उसके पहले ऐसा करना वहां खतरे से खाली नहीं था. लाल चौक का नाम मॉस्को के रेड स्क्वॉयर के आधार पर रखा गया था. 1980 में इस जगह पर एक घंटाघर बना और इसके बाद से ये जगह राजनीतिक गतिविधियों का केंद्र बन गई. इसके कुछ समय बाद यहां आतंकवाद ने अपने कदम जमाने शुरू कर दिए. इस दौर में लाल चौक पर कड़ी सुरक्षा रहती थी. गणतंत्र दिवस के दिन भी यहां तिरंगा नहीं फहराया जाता था.
लाल चौक को श्रीनगर की शान कहा जाता है. प्रदेश और देश की प्रमुख पार्टियों मसलन कांग्रेस पार्टी, नेशनल कांफ्रेंस और बीजेपी आदि के राजनीतिक मिशन के लिए लाल चौक खास महत्व रखता रहा है. साल 1993 में यहां भयानक अग्निकांड हुआ था, जिसमें 125 कश्मीरी लोगों की मौत हो गई थी.
1991 में नरेंद्र मोदी ने यहां क्या किया था : मुरली मनोहर जोशी ने कन्याकुमारी से एकता यात्रा निकाली. यात्रा कश्मीर के श्रीनगर पहुंची जहां लाल चौक पर झंडा फहराया जाना था. इस दौरान उनके साथ नरेंद्र मोदी भी थे. वह उस समय यात्रा के व्यवस्थापक थे. जोशी ने कहा था कि वे लोग वहां 26 जनवरी को तिरंगा फहराना चाहते थे. लोगों के पास वहां तिरंगा ही नहीं था. लोगों ने बताया कि यहां तिरंगा नहीं मिलता है. इसके बाद हम लोगों ने लाल चौक पर तिरंगा फहराने का फैसला किया.
पाकिस्तान पर जीत के बाद नेहरू पहुंचे थे लाल चौक : मुरली मनोहर जोशी के झंडा फहराने की घटना की पूरे देश में चर्चा हुई, लेकिन लाल चौक पर इससे पहले भी झंडा फहराया जा चुका था. साल 1948 में भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने भी यहां झंडा फहराया था. मौका था पाकिस्तान पर भारत की जीत का. उस समय जवाहरलाल नेहरू के साथ शेख अब्दुल्ला भी मौजूद थे.
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