चंडीगढ़ : कोरोना की दूसरी लहर ने देश को बुरी तरह से हिला दिया है. दूसरी लहर कोरोना की पहली लहर से भी ज्यादा घातक साबित हो रही है. कोरोना की पहली लहर से मुकाबला करने के बावजूद भी सरकारें दूसरी लहर के सामने असहाय नजर आ रही हैं.
इस समय देश दूसरी लहर से जूझ रहा है. कई जानकारों ने कोरोना की तीसरी लहर आने की भविष्यवाणी भी कर दी है. ऐसे में सवाल ये उठता है कि अगर कोरोना की तीसरी लहर आती है तो उसके लिए हम पहले से कितना तैयार हैं.
इस बारे में ईटीवी भारत हरियाणा ने चंडीगढ़ पीजीआई के स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ के प्रोफेसर सोनू गोयल से बात की. प्रोफेसर सोनू गोयल ने बताया कि तीसरी लहर को लेकर कई तरह की भविष्यवाणियां की गई हैं. अगले कुछ महीनों में भारत में कोरोना की तीसरी लहर आ सकती है. कई लोगों का मानना है कि ये दूसरी लहर के मुकाबले ज्यादा घातक साबित होगी. जबकि कई लोगों का कहना है कि ये दूसरी लहर के मुकाबले कम खतरनाक होगी.
'स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार की जरूरत'
हमारी चिकित्सीय सेवाओं में अभी भी काफी कमियां हैं. हमें जल्द से जल्द उन्हें दूर कर रहा होगा और अपने मेडिकल इंफ्रास्ट्रक्चर को सुधारना होगा. जैसे अस्पतालों में ऑक्सीजन की कमी को दूर करना, वेंटिलेटर, ऑक्सीजन सिलेंडर, ऑक्सीजन कंसंट्रेटर और दवाइयों की कमी को दूर करना. हालांकि कईयाें का मानना है कि यह ज्यादा घातक नहीं हाे सकता.
इसके पीछे ये वजह है कि तब तक ज्यादातर जनसंख्या को वैक्सीन लग चुकी होगी और लोगों के शरीर में एंटीबॉडी का निर्माण भी हो चुका होगा. जिस वजह से कोरोना की तीसरी लहर ज्यादा घातक साबित नहीं होगी. उन्होंने कहा कि फिर भी हमें अपनी तरफ से पूरी तरह से तैयार रहना होगा.
कोरोना नियमों का पालन करना जरूरी
प्रोफेसर सोनू ने कहा कि सरकार कई जगहों पर लॉकडाउन भी लगा रही है. कोरोना से निपटने के लिए लॉकडाउन जरूरी भी है. हालांकि इससे देश की आर्थिक व्यवस्था पर बुरा असर तो पड़ता है, लेकिन अगर लोगों की जान बचती है तो इसे लगाना चाहिए.
प्रोफेसर सोनू गोयल ने कहा कि कोरोना के 80 फीसदी मामले ऐसे हैं, जिनमें लोगों को अस्पताल में भर्ती करने की जरूरत नहीं होती. ऐसे मरीजों का इलाज घर पर किया जा सकता है.
अगर घर पर संभव ना हो तो ऐसे मरीजों कोविड केयर सेंटर में रखा जाता है. इसलिए ज्यादा से ज्यादा कोविड केयर सेंटर्स का निर्माण किया जाना चाहिए.
उन्होंने कहा कि अस्पतालों में सिर्फ गंभीर रूप से बीमार मरीजों को ही भर्ती किया जाता है. उन मरीजों को दवाओं के साथ-साथ ऑक्सीजन की सबसे ज्यादा जरूरत होती हैं, इसलिए अस्पतालों में बेड की संख्या बढ़ाई जानी चाहिए और हर बेड के साथ ऑक्सीजन की सप्लाई पर्याप्त रूप से होनी चाहिए. हर बेड के साथ या तो ऑक्सीजन का सिलेंडर या ऑक्सीजन कंसंट्रेटर मुहैया करवाया जाना चाहिए, ताकि मरीजों की मृत्यु दर को कम किया जा सके.
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सरकार के अलावा लोगों को भी तीसरी लहर को लेकर तैयार रहना चाहिए, लोगों के लिए सबसे जरूरी यही बात है कि वो निर्देशों का कठोरता से पालन करें.
लोग मास्क पहने, सैनिटाइजर का इस्तेमाल करें और सोशल डिस्टेंसिंग बनाए रखें. इससे कोरोना को रोकने में मदद मिलेगी और तीसरी लहर से आसानी से निपटा जा सकेगा.