जयपुर : भारत में 21वीं सदी के दौर में मोबाइल, टैबलेट, लैपटॉप, कंप्यूटर व अन्य इलेक्ट्रॉनिक गैजेट इस्तेमाल करने वाला यूजर पूरी तरह से इंटरनेट कनेक्टिविटी पर निर्भर (Depends on Internet Connectivity) करता है. चाहे ऑफिस वर्क हो, स्टूडेंट की पढ़ाई या अन्य इंटरनेट सर्फिंग, इन तमाम चीजों के लिए यूजर फास्ट इंटरनेट कनेक्टिविटी (Fast Internet Connectivity) के अलग-अलग विकल्प तलाशने में लगा रहता है. इसमें सबसे आसानी से उपलब्ध होने वाला विकल्प है- फ्री ओपन वाईफाई नेटवर्क (Free Open Wifi Network) जो विभिन्न कंपनियों के माध्यम से मेट्रो सिटीज में लोगों को उपलब्ध कराया जाता है, तो वहीं इसका सर्वाधिक फायदा साइबर हैकर्स व ठगों द्वारा उठाया जा रहा है. यूजर बिना वेरीफाई किए किसी भी फ्री ओपन वाईफाई नेटवर्क से अपने इलेक्ट्रॉनिक गैजेट को कनेक्ट कर लेते हैं, जिसका खामियाजा उन्हें अपनी मेहनत की कमाई को या पर्सनल डेटा को गंवाकर चुकाना पड़ता है.
पर्सनल डेटा लीक, डिवाइस में आ रहे ट्रोजन
साइबर सिक्योरिटी एक्सपर्ट (Cyber Security Expert) आयुष भारद्वाज ने बताया कि राजधानी जयपुर समेत तमाम बड़े शहरों में फाइबर कनेक्टिविटी अच्छी होने के चलते इंटरनेट की स्पीड में पहले की तुलना में काफी इजाफा हुआ है. जिसके चलते ओपन वाईफाई नेटवर्क की संख्या में काफी बढ़ोतरी हुई है, जिससे यूजर अपनी डिवाइस को कनेक्ट कर काफी तेज इंटरनेट कनेक्टिविटी प्राप्त कर सकता है. ऐसे में साइबर क्रिमिनल्स विभिन्न शहरों के पॉश इलाकों में जाकर फ्री ओपन वाईफाई नेटवर्क यूजर को उपलब्ध करवाते हैं और जैसे ही यूजर अपनी डिवाइस को उस ओपन नेटवर्क से कनेक्ट करता है, वैसे ही उसका तमाम पर्सनल डेटा साइबर क्रिमिनल के पास अपने आप पहुंचने लगता है. जिसका साइबर क्रिमिनल किसी भी तरीके से गलत इस्तेमाल कर सकता है और यूजर को इसकी कानों कान खबर तक नहीं होती है.
इसके साथ ही साइबर क्रिमिनल यूजर की विभिन्न इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस पर ट्रोजन भेजते हैं जो यूजर की डिवाइस में एक बोट का काम करता है. इस प्रकार से साइबर क्रिमिनल सैकड़ों की तादाद में विभिन्न डिवाइस पर बोट भेजते हैं, जिसका प्रयोग किसी भी वेबसाइट की बैंडविथ फुल कर उस वेबसाइट को स्लो डाउन करने व हैक (Slow Down or hacking of Website) करने में किया जाता है. जिसके चलते कोई भी व्यक्ति जब उस संबंधित वेबसाइट पर जाकर अपना महत्वपूर्ण काम करना चाहता है तो वह नहीं कर पाता.
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पैकेट कैपचरिंग के जरिये यूजर पासवर्ड की चोरी
साइबर सिक्योरिटी एक्सपर्ट आयुष भारद्वाज ने बताया कि साइबर क्रिमिनल्स यूजर को फ्री ओपन वाईफाई नेटवर्क उपलब्ध कराने के बाद यूजर की डिवाइस को पूरी तरह से अपने हाथ का खिलौना बना लेते हैं. जिसके बाद साइबर क्रिमिनल यूजर की डिवाइस में कीलॉगर के जरिए पैकेट कैपचरिंग करता है. जिसके जरिए यूजर के विभिन्न सोशल नेटवर्किंग साइट, इंटरनेट बैंकिंग व अन्य महत्वपूर्ण सेवाओं से जुड़ी हुई यूजर आईडी और पासवर्ड को चुरा लिया (theft of user id and password) जाता है. ऐसा करने के बाद साइबर क्रिमिनल यूजर के बैंक खातों से लाखों रुपए का ट्रांजैक्शन कर लेते हैं और इसके साथ ही यूजर की पर्सनल जानकारी का गलत तरीके से इस्तेमाल कर दूसरे लोगों को ठगी का शिकार बनाते हैं.
इन बातों का रखें ध्यान
साइबर सिक्योरिटी एक्सपर्ट आयुष भारद्वाज का कहना है कि साइबर क्रिमिनल्स के जाल में फंसने से खुद को बचाने के लिए सबसे महत्वपूर्ण है कि यूजर अपने इलेक्ट्रॉनिक गैजेट में परचेस्ड एंटीवायरस (Purchased Anti-virus in Gadgets) को अपलोड करें. एंटी-वायरस को समय-समय पर अपडेट करें और उसके लॉग्स को लगातार जांचते रहें. इसके साथ ही यूजर अपनी तमाम इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस में फायर वॉल को हमेशा एक्टिवेट रखें और किसी भी थर्ड पार्टी एप्लीकेशन को इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस में डाउनलोड करने से बचें.
इसके साथ ही किसी थर्ड पार्टी एप्लीकेशन को अपने इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस का एक्सेस ना दें. साथ ही प्ले स्टोर और एप्पल स्टोर के अलावा किसी भी वेबसाइट या लिंक से कोई एप्लीकेशन को डाउनलोड ना करें. इसके साथ ही इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस की तमाम एप्लीकेशन को समय-समय पर अपडेट करते रहें और उनका लेटेस्ट वर्जन ही यूज करें. इसके साथ ही फ्री ओपन वाईफाई नेटवर्क का प्रयोग करते समय यूजर अपनी इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस पर लाइसेंस एंटीवायरस को एक्टिव रखें और किसी भी तरह का वित्तीय ट्रांजैक्शन करने में फ्री ओपन वाईफाई नेटवर्क का प्रयोग कतई ना करें.