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अयोध्या के राजा हनुमानगढ़ी में विराजमान, करते नगर और भक्तों की रक्षा, जानिए क्या है इस मंदिर की कथा

Story of Hanumangarhi Temple: इस मंदिर में विराजमान हनुमान पर अयोध्या वासियों को ही नहीं, बल्कि देश-दुनिया से आने वाले श्रद्धालुओं की भी अगाध श्रद्धा है. आईए जानते हैं कि अयोध्या के संत इस मंदिर के पौराणिक महत्व के बारे में क्या बताते हैं.

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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Jan 13, 2024, 2:32 PM IST

अयोध्या के हनुमानगढ़ी मंदिर पर यूपी ब्यूरो चीफ आलोक त्रिपाठी की खास रिपोर्ट.

अयोध्या: राम की नगरी में सबसे महत्वपूर्ण मंदिरों में शुमार है प्राचीन हनुमानगढ़ी का मंदिर. अयोध्या आने वाले श्रद्धालु भगवान राम के दर्शन से पहले हनुमान के दर्शन करना नहीं भूलते. यह मंदिर अयोध्या में एक सबसे ऊंचे टीले पर है और श्रद्धालुओं को हनुमान के दर्शन करने के लिए 76 सीढ़ियां चढ़कर जाना होता है. इस मंदिर में विराजमान हनुमान पर अयोध्या वासियों को ही नहीं, बल्कि देश-दुनिया से आने वाले श्रद्धालुओं की भी अगाध श्रद्धा है.

हनुमानगढ़ी के मुख्य पुजारी महंत राजू दास कहते हैं, 'महाबली हनुमान राजा के रूप में यहां विराजमान हैं. लाखों राम भक्त यहां बजरंगबली की शरण में आते हैं. लोगों की हर एक मनोकामना भगवान हनुमान पूर्ण करते हैं. कहा जाता है कि कहीं आपको राम के चरणों में बैठे हनुमान मिलेंगे, लेकिन हनुमान राजा के रूप में यहां पर ही विराजमान हैं. जब माता सीता लंका में थीं, तो सबसे पहले शुभचिंतक के रूप में हनुमान ही पहुंचे थे. लंका जलाने के बाद वह माता सीता का आशीर्वाद लेने आते हैं, तो माता सीता ने उन्हें अमरत्व का आशीर्वाद दिया था. पहले राज घरानों में ज्येष्ठ पुत्र का ही राज्याभिषेक होता था. तब माता सीता के कहने पर हनुमान का यहां राज्याभिषेक हुआ था. हनुमान यहां आज भी विराजमान हैं. यहां आने वाले भक्तों की मनोकामना हनुमान पूर्ण करते हैं.

जगतगुरु रामानंदाचार्य रामदिनेशाचार्य बताते हैं, 'जब भगवान राम इस धराधाम को छोड़कर जाने लगे तो हनुमान ने उनसे कहा कि हम भी आपके साथ चलेंगे, पर क्या वहां पर आपकी कथा सुनने को मिलेगी. तो भगवान ने कहा, नहीं मिलेगी. तब हनुमान ने कहा कि मैं धरती पर ही रहूंगा. तब भगवान राम ने उन्हें अयोध्या राज्य का उत्तराधिकारी बनाया, क्योंकि माता सीता ने उन्हें अपना मानस पुत्र माना था. इसीलिए यहां एक दुर्ग पर हनुमान विराजमान हैं और ठीक राम जन्मभूमि के पहले हैं. यहां विराजमान हनुमान संपूर्ण अयोध्या की रक्षा करते हैं.'

श्री राम जन्मभूमि न्यास के सदस्य और पूर्व सांसद डॉ. रामविलास वेदांती कहते हैं 'जब श्रीराम साकेत धाम के लिए प्रस्थान करने लगे, तो उन्होंने सभी अयोध्या वासियों को बुलाकर बताया कि वह यहां से प्रस्थान करने वाले हैं. हनुमान जी को पता चल गया कि कहीं हमें भी न ले जाएं, तब उन्होंने भगवान से मांगा कि जब तक मेरे शरीर में प्राण हैं, तब तक मैं आपकी मंगलमय कथा सुनता रहूं. इसी के बाद हनुमान का राज्याभिषेक हुआ. इसलिए हनुमान अयोध्या में आज भी विराजमान हैं. यह वर्णन सभी पुराणों में दिया गया है. इसीलिए यहां देशभर से श्रद्धालु जुटते हैं.'

हनुमानगढ़ी में बजरंगबली के दर्शन करने आने वाले श्रद्धालुओं में गजब का उत्साह देखने को मिला है. एक श्रद्धालु सुरेंद्र मेहता कहते हैं 'प्रभु श्रीराम के दास हनुमान के दर्शन करके हमें बहुत अच्छा लगा. मैं झारखंड के हजारीबाग से पैदल पदयात्रा पर हूं. काशी विश्वनाथ के दर्शन कर चुका हूं. हनुमान के दर्शन भी कर चुका हूं. अब राम जन्मभूमि के दर्शन करूंगा और बाद में मथुरा-वृंदावन होते हुए दिल्ली जाऊंगा.' वहीं हरदोई से दर्शन के लिए आईं एक अन्य श्रद्धालु सुधा कहती हैं 'भगवान राम का मंदिर बन रहा है. यह हम सबको बहुत ही अच्छा लग रहा है. इसी निमित्त हम लोग अयोध्या आए हैं.'

ये भी पढ़ेंः राम भक्ति में 14 साल का बालक 4 बार गया जेल, 68 रात जेल में काटीं, फिर जलाई अखंड राम ज्योति

अयोध्या के हनुमानगढ़ी मंदिर पर यूपी ब्यूरो चीफ आलोक त्रिपाठी की खास रिपोर्ट.

अयोध्या: राम की नगरी में सबसे महत्वपूर्ण मंदिरों में शुमार है प्राचीन हनुमानगढ़ी का मंदिर. अयोध्या आने वाले श्रद्धालु भगवान राम के दर्शन से पहले हनुमान के दर्शन करना नहीं भूलते. यह मंदिर अयोध्या में एक सबसे ऊंचे टीले पर है और श्रद्धालुओं को हनुमान के दर्शन करने के लिए 76 सीढ़ियां चढ़कर जाना होता है. इस मंदिर में विराजमान हनुमान पर अयोध्या वासियों को ही नहीं, बल्कि देश-दुनिया से आने वाले श्रद्धालुओं की भी अगाध श्रद्धा है.

हनुमानगढ़ी के मुख्य पुजारी महंत राजू दास कहते हैं, 'महाबली हनुमान राजा के रूप में यहां विराजमान हैं. लाखों राम भक्त यहां बजरंगबली की शरण में आते हैं. लोगों की हर एक मनोकामना भगवान हनुमान पूर्ण करते हैं. कहा जाता है कि कहीं आपको राम के चरणों में बैठे हनुमान मिलेंगे, लेकिन हनुमान राजा के रूप में यहां पर ही विराजमान हैं. जब माता सीता लंका में थीं, तो सबसे पहले शुभचिंतक के रूप में हनुमान ही पहुंचे थे. लंका जलाने के बाद वह माता सीता का आशीर्वाद लेने आते हैं, तो माता सीता ने उन्हें अमरत्व का आशीर्वाद दिया था. पहले राज घरानों में ज्येष्ठ पुत्र का ही राज्याभिषेक होता था. तब माता सीता के कहने पर हनुमान का यहां राज्याभिषेक हुआ था. हनुमान यहां आज भी विराजमान हैं. यहां आने वाले भक्तों की मनोकामना हनुमान पूर्ण करते हैं.

जगतगुरु रामानंदाचार्य रामदिनेशाचार्य बताते हैं, 'जब भगवान राम इस धराधाम को छोड़कर जाने लगे तो हनुमान ने उनसे कहा कि हम भी आपके साथ चलेंगे, पर क्या वहां पर आपकी कथा सुनने को मिलेगी. तो भगवान ने कहा, नहीं मिलेगी. तब हनुमान ने कहा कि मैं धरती पर ही रहूंगा. तब भगवान राम ने उन्हें अयोध्या राज्य का उत्तराधिकारी बनाया, क्योंकि माता सीता ने उन्हें अपना मानस पुत्र माना था. इसीलिए यहां एक दुर्ग पर हनुमान विराजमान हैं और ठीक राम जन्मभूमि के पहले हैं. यहां विराजमान हनुमान संपूर्ण अयोध्या की रक्षा करते हैं.'

श्री राम जन्मभूमि न्यास के सदस्य और पूर्व सांसद डॉ. रामविलास वेदांती कहते हैं 'जब श्रीराम साकेत धाम के लिए प्रस्थान करने लगे, तो उन्होंने सभी अयोध्या वासियों को बुलाकर बताया कि वह यहां से प्रस्थान करने वाले हैं. हनुमान जी को पता चल गया कि कहीं हमें भी न ले जाएं, तब उन्होंने भगवान से मांगा कि जब तक मेरे शरीर में प्राण हैं, तब तक मैं आपकी मंगलमय कथा सुनता रहूं. इसी के बाद हनुमान का राज्याभिषेक हुआ. इसलिए हनुमान अयोध्या में आज भी विराजमान हैं. यह वर्णन सभी पुराणों में दिया गया है. इसीलिए यहां देशभर से श्रद्धालु जुटते हैं.'

हनुमानगढ़ी में बजरंगबली के दर्शन करने आने वाले श्रद्धालुओं में गजब का उत्साह देखने को मिला है. एक श्रद्धालु सुरेंद्र मेहता कहते हैं 'प्रभु श्रीराम के दास हनुमान के दर्शन करके हमें बहुत अच्छा लगा. मैं झारखंड के हजारीबाग से पैदल पदयात्रा पर हूं. काशी विश्वनाथ के दर्शन कर चुका हूं. हनुमान के दर्शन भी कर चुका हूं. अब राम जन्मभूमि के दर्शन करूंगा और बाद में मथुरा-वृंदावन होते हुए दिल्ली जाऊंगा.' वहीं हरदोई से दर्शन के लिए आईं एक अन्य श्रद्धालु सुधा कहती हैं 'भगवान राम का मंदिर बन रहा है. यह हम सबको बहुत ही अच्छा लग रहा है. इसी निमित्त हम लोग अयोध्या आए हैं.'

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