दरभंगा: बिहार में एंबुलेंस पर राजनीति गर्म है. कहीं, चोरी-छिपे ढककर एंबुलेंस रखी है, तो कहीं एक ही एंबुलेंस का कई बार उद्घाटन किया जा रहा है. बिहार में एंबुलेंस को लेकर पक्ष और विपक्ष आमने-सामने हैं. कुछ ही दिनों पहले जाप सुप्रीमो और पूर्व सांसद पप्पू यादव ने दरभंगा के पूर्व सांसद कीर्ति आजाद की निधि से लाखों की लागत से खरीदे गए 6 मोबाइल एंबुलेंस पर सवाल खड़े किए थे, जो अब पड़े-पड़े सड़ रहे हैं. अब इस मामले पर दरभंगा के पूर्व सांसद कीर्ति आजाद भी मीडिया के सामने आए हैं.
स्थानीय निवासी आशीष रंजन दास का कहना है कि सांसद फंड से मिले ये एंबुलेंस कोरोना की इस भीषण त्रासदी में ग्रामीण क्षेत्र के लोगों के लिए काफी उपयोगी हो सकते थे. इससे लोगों को गांव-गांव में उनके घर तक चिकित्सा सुविधा मुहैया होती. सरकार की लापरवाही की वजह से ये एंबुलेंस बंद हो गए हैं. सरकार इन एंबुलेंस को दोबारा चालू करें.
अत्याधुनिक चिकित्सा उपकरणों से सुसज्जित एंबुलेंस
पूर्व सांसद कीर्ति आजाद ने कहा कि उन्होंने 15वीं लोकसभा के दौरान 2012-13 में दरभंगा लोकसभा क्षेत्र के तहत आने वाले 6 विधानसभा क्षेत्रों के लिए 6 मोबाइल एंबुलेंस खरीदे थे. इनमें से हर एक एंबुलेंस की लागत करीब 32 लाख आई थी. केंद्र सरकार से फंड लेकर इसमें डॉक्टर और चिकित्सा कर्मियों की नियुक्ति भी की थी. ये एंबुलेंस लाइफ सपोर्ट सिस्टम, ऑक्सीजन और ऑपरेशन थियेटर समेत उस समय भारत में मौजूद अत्याधुनिक चिकित्सा उपकरणों से सुसज्जित थे.
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पूर्व सांसद और कांग्रेस नेता कीर्ति आजाद ने कहा कि कुछ समय चलने के बाद ये एंबुलेंस इसलिए बंद हो गई क्योंकि बिहार सरकार ने इनका उपयोगिता प्रमाण पत्र नहीं दिया. उपयोगिता प्रमाण पत्र नहीं मिलने की वजह से केंद्र सरकार की ओर से इसकी फंडिंग रोक दी गई और ये एंबुलेंस बंद हो गए.
उन्होंने कहा कि ये मोबाइल एंबुलेंस सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों को अत्याधुनिक चिकित्सा उपलब्ध कराने के लिए खरीदे गए थे. लेकिन बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि इनका इस्तेमाल नहीं किया गया. बिहार में फिलहाल चिकित्सा व्यवस्था पूरी तरह से चरमरा गई है.
बता दें कि पप्पू यादव ने दरभंगा के मेडिकल ग्राउंड में बेकार पड़ी एंबुलेंस को लेकर सवाल खड़े किए थे.