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किसानों का विरोध प्रदर्शन, खट्टर और कैप्टन में छिड़ी ट्विटर वॉर

नए कृषि कानूनों के खिलाफ राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में प्रदर्शन करने के मद्देनजर हजारों की संख्या में किसान शुक्रवार को अंतरराज्यीय सीमाओं पर आ पहुंचे. ऐसे में सियासत गरमा गई है. पंजाब के सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह और हरियाणा के सीएम मनोहर लाल खट्टर में वॉर छिड़ गई है.

किसानों का विरोध प्रदर्शन, खट्टर और कैप्टन में छिड़ी ट्विटर वॉर
किसानों का विरोध प्रदर्शन, खट्टर और कैप्टन में छिड़ी ट्विटर वॉर
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Published : Nov 27, 2020, 5:49 PM IST

नई दिल्ली : केंद्र सरकार द्वारा लागू किए गए कृषि कानूनों विरोध में, पंजाब के 30 से अधिक किसान संगठनों ने 26-27 नवंबर के लिए 'दिल्ली चलो' का आह्वान किया था. हजारों किसान दिल्ली की ओर मार्च कर रहे हैं और उन्हें रोकने के लिए पंजाब और हरियाणा की सीमाओं पर हजारों की संख्या में पुलिस बल तैनात हैं.

किसान विरोध ने पंजाब और हरियाणा के राजनेताओं के बीच भी राजनीति और तनाव पैदा कर दिया है. पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह और उनके हरियाणा के समकक्ष मनोहर लाल खट्टर ने केंद्र सरकार के कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के दिल्ली चलो मार्च को लेकर एक बगावत करार दिया.

किसानों को दिल्ली की ओर जाने के लिए राज्य में प्रवेश करने से रोकने के बाद कैप्टन ने हरियाणा में अपने समकक्ष को बाहर रहने की हिदायत दी.

बता दें कि दिल्ली पुलिस, हरियाणा पुलिस, उत्तर प्रदेश पुलिस और सैन्य बल विभिन्न सीमाओं पर तैनात हैं. आंदोलन और स्थिति पर सतर्कता बरतने के लिए, पुलिस राज्य की सीमाओं पर ड्रोन की मदद से निगरानी कर रही है.

किसानों द्वारा प्रदर्शन के स्वरूप में विभिन्न मार्गों से दिल्ली जाने की घोषणा को लेकर दिल्ली पुलिस के जवानों को अंतरराज्यीय सीमा पर बड़ी संख्या में तैनात किया गया है. बता दें कि किसानों ने घोषणा की है कि वे लालरू, शंभू, पटियाला-पिहोवा, पाटन-खनौनी, मूनक-टोहाना, रतिया-फतेहाबाद और तलवंडी-सिरसा सहित कई मार्गों से दिल्ली जाएंगे. वहीं पंजाब के किसानों को मार्च के रूप में शहर को जोड़ने वाले पांच राजमार्गों के माध्यम से दिल्ली पहुंचने का कार्यक्रम है.

जब किसान रास्ते में थे, पंजाब के कुछ विधायक गुरुवार को दिल्ली पहुंचे और केंद्र सरकार के खिलाफ और गुरुद्वारा श्री बंगला साहिब से जंतर-मंतर तक किसानों के पक्ष में प्रदर्शन किया. चार विधायक सुखपाल सिंह खैरा, परमिंदर सिंह ढींडसा, जगदेव सिंह कमंडलु और निर्मल सिंह खालसा को दिल्ली पुलिस ने हिरासत में भी लिया.

वहीं, पंजाब के किसानों का कहना है कि तीनों कानूनों के खिलाफ विरोध जारी रहेगा.

पढ़ें- मुंडका टिकरी बॉर्डर पर दागे गए आंसू गैस के गोले, किसानों पर पानी की बौछार

विधायक परमिंदर सिंह ढींडसा ने कहा कि किसानों को राज्य की सीमाओं पर रोकना और वाटर कैनन और आंसू गैस से हमला करना असंवैधानिक और अलोकतांत्रिक है. हम किसानों का हर तरह से समर्थन करेंगे.

विधायक सुखपाल सिंह खैरा ने कहा कि किसान दो महीने से शांतिपूर्ण तरीके से विरोध कर रहे थे. केंद्र सरकार ने राज्य में उर्वरकों और कोयले की आपूर्ति को प्रभावित करने के लिए ट्रेनों को रोक दिया. किसान अब सड़क पर हैं और हम उनकी मांगों का समर्थन करते हैं.

शिरोमणि अकाली दल के प्रमुख सुखबीर सिंह बादल ने गुरुवार को केंद्र सरकार के नए कृषि कानूनों से परेशान किसानों के 'दिल्ली चलो' आंदोलन को विफल करने के प्रयास के लिए हरियाणा सरकार को लताड़ा, इसे पंजाब का 26/11 भी कहा.

भाजपा के सबसे पुराने सहयोगियों में से एक, शिरोमणि अकाली दल ने भी एनडीए से किनारा कर लिया है और हरसिमरत कौर बादल ने कृषि कानूनों के विरोध में केंद्रीय मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया था.

पंजाब में विधानसभा चुनाव 2022 में होने वाला है और भाजपा को छोड़कर सभी राजनीतिक दल किसानों का समर्थन कर रहे हैं.

नई दिल्ली : केंद्र सरकार द्वारा लागू किए गए कृषि कानूनों विरोध में, पंजाब के 30 से अधिक किसान संगठनों ने 26-27 नवंबर के लिए 'दिल्ली चलो' का आह्वान किया था. हजारों किसान दिल्ली की ओर मार्च कर रहे हैं और उन्हें रोकने के लिए पंजाब और हरियाणा की सीमाओं पर हजारों की संख्या में पुलिस बल तैनात हैं.

किसान विरोध ने पंजाब और हरियाणा के राजनेताओं के बीच भी राजनीति और तनाव पैदा कर दिया है. पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह और उनके हरियाणा के समकक्ष मनोहर लाल खट्टर ने केंद्र सरकार के कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के दिल्ली चलो मार्च को लेकर एक बगावत करार दिया.

किसानों को दिल्ली की ओर जाने के लिए राज्य में प्रवेश करने से रोकने के बाद कैप्टन ने हरियाणा में अपने समकक्ष को बाहर रहने की हिदायत दी.

बता दें कि दिल्ली पुलिस, हरियाणा पुलिस, उत्तर प्रदेश पुलिस और सैन्य बल विभिन्न सीमाओं पर तैनात हैं. आंदोलन और स्थिति पर सतर्कता बरतने के लिए, पुलिस राज्य की सीमाओं पर ड्रोन की मदद से निगरानी कर रही है.

किसानों द्वारा प्रदर्शन के स्वरूप में विभिन्न मार्गों से दिल्ली जाने की घोषणा को लेकर दिल्ली पुलिस के जवानों को अंतरराज्यीय सीमा पर बड़ी संख्या में तैनात किया गया है. बता दें कि किसानों ने घोषणा की है कि वे लालरू, शंभू, पटियाला-पिहोवा, पाटन-खनौनी, मूनक-टोहाना, रतिया-फतेहाबाद और तलवंडी-सिरसा सहित कई मार्गों से दिल्ली जाएंगे. वहीं पंजाब के किसानों को मार्च के रूप में शहर को जोड़ने वाले पांच राजमार्गों के माध्यम से दिल्ली पहुंचने का कार्यक्रम है.

जब किसान रास्ते में थे, पंजाब के कुछ विधायक गुरुवार को दिल्ली पहुंचे और केंद्र सरकार के खिलाफ और गुरुद्वारा श्री बंगला साहिब से जंतर-मंतर तक किसानों के पक्ष में प्रदर्शन किया. चार विधायक सुखपाल सिंह खैरा, परमिंदर सिंह ढींडसा, जगदेव सिंह कमंडलु और निर्मल सिंह खालसा को दिल्ली पुलिस ने हिरासत में भी लिया.

वहीं, पंजाब के किसानों का कहना है कि तीनों कानूनों के खिलाफ विरोध जारी रहेगा.

पढ़ें- मुंडका टिकरी बॉर्डर पर दागे गए आंसू गैस के गोले, किसानों पर पानी की बौछार

विधायक परमिंदर सिंह ढींडसा ने कहा कि किसानों को राज्य की सीमाओं पर रोकना और वाटर कैनन और आंसू गैस से हमला करना असंवैधानिक और अलोकतांत्रिक है. हम किसानों का हर तरह से समर्थन करेंगे.

विधायक सुखपाल सिंह खैरा ने कहा कि किसान दो महीने से शांतिपूर्ण तरीके से विरोध कर रहे थे. केंद्र सरकार ने राज्य में उर्वरकों और कोयले की आपूर्ति को प्रभावित करने के लिए ट्रेनों को रोक दिया. किसान अब सड़क पर हैं और हम उनकी मांगों का समर्थन करते हैं.

शिरोमणि अकाली दल के प्रमुख सुखबीर सिंह बादल ने गुरुवार को केंद्र सरकार के नए कृषि कानूनों से परेशान किसानों के 'दिल्ली चलो' आंदोलन को विफल करने के प्रयास के लिए हरियाणा सरकार को लताड़ा, इसे पंजाब का 26/11 भी कहा.

भाजपा के सबसे पुराने सहयोगियों में से एक, शिरोमणि अकाली दल ने भी एनडीए से किनारा कर लिया है और हरसिमरत कौर बादल ने कृषि कानूनों के विरोध में केंद्रीय मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया था.

पंजाब में विधानसभा चुनाव 2022 में होने वाला है और भाजपा को छोड़कर सभी राजनीतिक दल किसानों का समर्थन कर रहे हैं.

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