कोच्चि : केरल उच्च न्यायालय ने 21 वर्षीय विधि की छात्रा के पति को जमानत देने से इनकार कर दिया. कानून की 21 वर्षीय छात्रा ने आत्महत्या के बाद कथित रूप से एक सुसाइड नोट छोड़ा था जिसमें अपने पति, ससुराल वालों और पुलिस अधिकारी को यह कदम उठाने के लिये जिम्मेदार बताया था.
न्यायमूर्ति गोपीनाथ पी ने पीड़िता के पति को राहत देने से इनकार करते हुए कहा कि उसके खिलाफ आरोप बहुत गंभीर हैं. हालांकि, उच्च न्यायालय ने उसके ससुराल वालों को यह कहते हुए जमानत दे दी कि उनके खिलाफ आरोप अस्पष्ट हैं और दहेज की मांग तक सीमित हैं.
अतिरिक्त लोक अभियोजक पी नारायणन ने पीड़िता के पति और सास-ससुर को किसी भी तरह की राहत दिए जाने का विरोध करते हुए कहा था कि उनके खिलाफ गंभीर आरोप हैं.
बता दें कि मृत युवती (21)मोफिया परवीन ने सुसाइड नोट में अपने पति, ससुराल के लोगों और एक पुलिस अधिकारी को इस कठोर कदम उठाने के लिए जिम्मेदार बताया था. मृतक युवती ने सुसाइड नोट में कहा कि अलुवा के एक पुलिस थाने में क्षेत्राधिकारी ने उसके साथ दुर्व्यवहार किया था जब वह अपने पिता के साथ अपना बयान देने के लिए वहां गई थी. अलुवा ईस्ट पुलिस थाने के प्रभारी को 24 नवंबर को पहले तो प्रभार से मुक्त कर दिया गया और इसके दो दिन बाद उन्हें निलंबित कर दिया गया. बाद में उनका नाम आत्महत्या के मामले में प्राथमिकी में भी पुलिस ने दर्ज किया.
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पीड़िता के पति और ससुराल वालों को पिछले साल 24 नवंबर को गिरफ्तार किया गया था और उनके खिलाफ आईपीसी की धारा 304 बी (दहेज मौत), 498 ए (दहेज प्रताड़ना), 306 (आत्महत्या के लिए उकसाना) और 34 (सामान्य इरादा) के तहत मामला दर्ज किया गया था.