ETV Bharat / bharat

केरल हाईकोर्ट ने दिए आदेश, सरकारी डॉक्टरों के प्रमाणपत्रों की जांच करेे राज्य सरकार

केरल हाईकोर्ट ने सरकारी डॉक्टरों के प्रमाण पत्र जांच करने के आदेश दिए हैं. ऐसा आदेश उस केस के बाद आया है, जिसमें बिना डिग्री वाले एक युवक ने अपने को एमबीबीएस बताकर डिलीवरी कराने की कोशिश की, लेकिन बेबी का निधन हो गया.

kerala high court
केरल हाईकोर्ट
author img

By

Published : Jul 28, 2023, 6:40 PM IST

कोच्चि : केरल उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को राज्य सरकार से सरकारी अस्पतालों में कार्यरत सभी डॉक्टरों के शिक्षा प्रमाणपत्रों के सत्यापन के लिए आवश्यक कदम उठाने को कहा. कोर्ट के मुताबिक यह सुनिश्चित करने के लिए कुछ दिशानिर्देश आवश्यक हैं, कि राज्य में चिकित्सकों की नियुक्ति आदेश उनके शैक्षिक विश्वविद्यालयों/संस्था द्वारा सत्यापित और प्रमाणित करने के बाद ही जारी किए जाएं. यदि आवश्यक हो, तो आज तक कार्यरत सभी सरकारी डॉक्टरों के शिक्षा प्रमाणपत्रों को सत्यापित करने के लिए कदम उठाए जाने चाहिए.

कोर्ट ने कहा, यह फैसला कड़ी मेहनत करने वाले डॉक्टरों को हतोत्साहित करने के लिए नहीं है, बल्कि यह सुनिश्चित करने के लिए है कि इस पेशे में अपराधी न हों. कोर्ट ने कहा, “यह सरकार का कर्तव्य है कि वह इन आशंकाओं को खारिज करे और हमारे समाज में डॉक्टर अनुकूल माहौल बनाए.” कोर्ट ने 'कार्ल जंग' के शब्दों पर भी ध्यान दिलाया, कि 'दवाएं बीमारियों को ठीक करती हैं लेकिन डॉक्टर ही मरीजों को ठीक कर सकते हैं.'

अदालत के यह निर्देश याचिकाकर्ता श्रीदेवी की सुनवाई के बाद आए, जो अपने बच्चे को जन्म देने के लिए करुनागप्पल्ली के तालुक मुख्यालय अस्पताल में भर्ती थीं. उसे सीधे लेबर रूम में ले जाया गया क्योंकि वह पहले से ही हल्के प्रसव पीड़ा से गुजर रही थी. एक डॉक्टर ने उसकी जांच की और फिर अस्पताल छोड़ दिया.

जब कुछ घंटों बाद मरीज को गंभीर प्रसव पीड़ा होने लगी तो यह डॉक्टर वहां नहीं थे, जबकि नर्सों ने उससे संपर्क करने की कोशिश की. गर्भावस्था में कुछ जटिलताएं पैदा होने के बाद जब डॉक्टर आए, तब तक श्रीदेवी ने मृत बच्चे को जन्म दिया था.

याचिकाकर्ता ने दावा किया कि डॉक्टर की ओर से घोर लापरवाही हुई है. हालांकि डॉक्टर ने दावा किया कि उसके पास प्रसूति एवं स्त्री रोग में एमबीबीएस की डिग्री और एमएस है. लेकिन एक आरटीआई आवेदन के माध्यम से याचिकाकर्ताओं को पता चला कि डॉक्टर वास्तव में स्त्री रोग और प्रसूति विज्ञान पाठ्यक्रम में डिप्लोमा में फेल है.

याचिकाकर्ताओं ने 20 लाख रुपये के मुआवजे की मांग करते हुए उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया. न्यायालय ने स्वास्थ्य सेवा निदेशालय द्वारा दायर एक बयान से कहा कि डॉक्टर को डिग्री नहीं मिली थी जैसा कि उसने दावा किया था.

अदालत ने राज्य पुलिस प्रमुख को एक विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन कर एक सप्ताह के भीतर मामले की जांच करने और एक महीने के भीतर कार्रवाई रिपोर्ट दाखिल करने का आदेश दिया.

न्यायालय ने यह भी कहा कि सार्वजनिक स्वास्थ्य क्षेत्र को अधिक जांच की आवश्यकता है और इसलिए, सरकार को अपने हलफनामे में इस मामले पर अपने विचार शामिल करने का निर्देश दिया. मामले की अगली सुनवाई 4 सितंबर को होगी.

ये भी पढ़ें : केरल सरकार के नर्सिंग पाठ्यक्रम में ट्रांसजेंडर छात्रों के लिए आरक्षण की घोषणा

(आईएएनएस)

कोच्चि : केरल उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को राज्य सरकार से सरकारी अस्पतालों में कार्यरत सभी डॉक्टरों के शिक्षा प्रमाणपत्रों के सत्यापन के लिए आवश्यक कदम उठाने को कहा. कोर्ट के मुताबिक यह सुनिश्चित करने के लिए कुछ दिशानिर्देश आवश्यक हैं, कि राज्य में चिकित्सकों की नियुक्ति आदेश उनके शैक्षिक विश्वविद्यालयों/संस्था द्वारा सत्यापित और प्रमाणित करने के बाद ही जारी किए जाएं. यदि आवश्यक हो, तो आज तक कार्यरत सभी सरकारी डॉक्टरों के शिक्षा प्रमाणपत्रों को सत्यापित करने के लिए कदम उठाए जाने चाहिए.

कोर्ट ने कहा, यह फैसला कड़ी मेहनत करने वाले डॉक्टरों को हतोत्साहित करने के लिए नहीं है, बल्कि यह सुनिश्चित करने के लिए है कि इस पेशे में अपराधी न हों. कोर्ट ने कहा, “यह सरकार का कर्तव्य है कि वह इन आशंकाओं को खारिज करे और हमारे समाज में डॉक्टर अनुकूल माहौल बनाए.” कोर्ट ने 'कार्ल जंग' के शब्दों पर भी ध्यान दिलाया, कि 'दवाएं बीमारियों को ठीक करती हैं लेकिन डॉक्टर ही मरीजों को ठीक कर सकते हैं.'

अदालत के यह निर्देश याचिकाकर्ता श्रीदेवी की सुनवाई के बाद आए, जो अपने बच्चे को जन्म देने के लिए करुनागप्पल्ली के तालुक मुख्यालय अस्पताल में भर्ती थीं. उसे सीधे लेबर रूम में ले जाया गया क्योंकि वह पहले से ही हल्के प्रसव पीड़ा से गुजर रही थी. एक डॉक्टर ने उसकी जांच की और फिर अस्पताल छोड़ दिया.

जब कुछ घंटों बाद मरीज को गंभीर प्रसव पीड़ा होने लगी तो यह डॉक्टर वहां नहीं थे, जबकि नर्सों ने उससे संपर्क करने की कोशिश की. गर्भावस्था में कुछ जटिलताएं पैदा होने के बाद जब डॉक्टर आए, तब तक श्रीदेवी ने मृत बच्चे को जन्म दिया था.

याचिकाकर्ता ने दावा किया कि डॉक्टर की ओर से घोर लापरवाही हुई है. हालांकि डॉक्टर ने दावा किया कि उसके पास प्रसूति एवं स्त्री रोग में एमबीबीएस की डिग्री और एमएस है. लेकिन एक आरटीआई आवेदन के माध्यम से याचिकाकर्ताओं को पता चला कि डॉक्टर वास्तव में स्त्री रोग और प्रसूति विज्ञान पाठ्यक्रम में डिप्लोमा में फेल है.

याचिकाकर्ताओं ने 20 लाख रुपये के मुआवजे की मांग करते हुए उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया. न्यायालय ने स्वास्थ्य सेवा निदेशालय द्वारा दायर एक बयान से कहा कि डॉक्टर को डिग्री नहीं मिली थी जैसा कि उसने दावा किया था.

अदालत ने राज्य पुलिस प्रमुख को एक विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन कर एक सप्ताह के भीतर मामले की जांच करने और एक महीने के भीतर कार्रवाई रिपोर्ट दाखिल करने का आदेश दिया.

न्यायालय ने यह भी कहा कि सार्वजनिक स्वास्थ्य क्षेत्र को अधिक जांच की आवश्यकता है और इसलिए, सरकार को अपने हलफनामे में इस मामले पर अपने विचार शामिल करने का निर्देश दिया. मामले की अगली सुनवाई 4 सितंबर को होगी.

ये भी पढ़ें : केरल सरकार के नर्सिंग पाठ्यक्रम में ट्रांसजेंडर छात्रों के लिए आरक्षण की घोषणा

(आईएएनएस)

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.