ETV Bharat / bharat

आप नागरिकों को शराब बेच रहे हैं, वह किसी अन्य ग्रह के प्राणी नहीं हैं : हाई कोर्ट - wine shop

केरल हाई कोर्ट (Kerala High Court) ने बेवको को शराब की दुकानों को खस्ताहाल में रखने की जगह उन्हें सभ्य व संस्कृत तरीके से स्थापित करने का निर्देश दिया है. कोर्ट ने कहा कि हमें ऐसी दुकानों की शिकायतें मिली हैं जहां से महिलाएं और बच्चे कभी वहां से गुजर नहीं सकते. यहां तक कि पुरुषों के लिए भी वहां से गुजरना मुश्किल होता है.

केरल हाई कोर्ट
केरल हाई कोर्ट
author img

By

Published : Jul 30, 2021, 7:23 PM IST

कोच्चि : केरल उच्च न्यायालय (Kerala High Court) ने शुक्रवार को कहा कि अब किसी के खुलेआम सड़कों पर शराब पीने की मर्जी के बजाय भिन्न संस्कृति का समय आ गया है. अदालत ने यह टिप्पणी करते हुए राज्य सरकार एवं बीवरेज कोरपोरेशन (बेवको) को शराब की दुकानों को खस्ताहाल में रखने के बजाय उन्हें सभ्य एवं संस्कृत तरीके से स्थापित करने का निर्देश दिया.

उच्च न्यायालय ने कहा कि लोग अपने इलाकों में ऐसी दुकानों से डरते हैं क्योंकि दुकानें इतनी गंदी होती हैं कि माहौल बिगड़ जाता है. न्यायमूति देवन रामचंद्रन ने कहा, ' कृपया समझिए कि आप अपने नागरिकों को यह (शराब) बेच रहे हैं. आप किसी अन्य ग्रह के प्राणियों को यह नहीं बेच रहे हैं. हमारे नागरिकों को नागरिक के रूप बर्ताव पाने का मूलभूत अधिकार है.

ये भी पढ़ें - 'केरल के बाहर जन्मे, लेकिन सामाजिक रूप से राज्य के मानकों का पालन करने वाले भी निवास प्रमाणपत्र के हकदार'

अदालत ने कहा, 'किसी के सड़कों पर खुलेआम शराब की अपनी प्यास बुझाने के बजाय अब हमारी भिन्न संस्कृति है. एक साधारण नागरिक के रूप में मैं आपको बताऊं कि जब उनके इलाके में ऐसी दुकान खुलती है तो वे डर जाते हें. हमें ऐसी दुकानों के सिलसिले में पिछले कुछ हफ्तों में कई शिकायतें मिली हैं और वे चौंकाने वाली हैं. महिलाएं और बच्चे कभी वहां से गुजर नहीं सकते. यहां तक कि पुरुषों के लिए भी वहां से गुजरना मुश्किल होता है. हम समाज को किस प्रकार का संकेत दे रहे हैं. सभ्य तरीके से दुकान लगाइए और सुनिश्चित कीजिए कि वे अन्य दुकानों की भांति सुसंस्कृत तरीके से काम करें एवं लोग उसका विरोध न करें.'

अदालत ने बेवको एवं सरकार को शराब को प्रतिबंधित सामग्री के बजाय अन्य वस्तुओं की भांति लेने को कहा. उसने कहा, 'देश के अन्य हिस्सों की तरह, इससे सभ्य तरीके से निपटिए, बजाय इसके कि शराब की दुकानों पर लंबी-लंबी लाइनें हों एवं लोग घंटों तक सड़कों पर खड़े रहें और ऐसा भी नहीं हो कि आसपास के लोग इन कतारों की वजह से आ-जा नहीं पाए.'

(पीटीआई-भाषा)

कोच्चि : केरल उच्च न्यायालय (Kerala High Court) ने शुक्रवार को कहा कि अब किसी के खुलेआम सड़कों पर शराब पीने की मर्जी के बजाय भिन्न संस्कृति का समय आ गया है. अदालत ने यह टिप्पणी करते हुए राज्य सरकार एवं बीवरेज कोरपोरेशन (बेवको) को शराब की दुकानों को खस्ताहाल में रखने के बजाय उन्हें सभ्य एवं संस्कृत तरीके से स्थापित करने का निर्देश दिया.

उच्च न्यायालय ने कहा कि लोग अपने इलाकों में ऐसी दुकानों से डरते हैं क्योंकि दुकानें इतनी गंदी होती हैं कि माहौल बिगड़ जाता है. न्यायमूति देवन रामचंद्रन ने कहा, ' कृपया समझिए कि आप अपने नागरिकों को यह (शराब) बेच रहे हैं. आप किसी अन्य ग्रह के प्राणियों को यह नहीं बेच रहे हैं. हमारे नागरिकों को नागरिक के रूप बर्ताव पाने का मूलभूत अधिकार है.

ये भी पढ़ें - 'केरल के बाहर जन्मे, लेकिन सामाजिक रूप से राज्य के मानकों का पालन करने वाले भी निवास प्रमाणपत्र के हकदार'

अदालत ने कहा, 'किसी के सड़कों पर खुलेआम शराब की अपनी प्यास बुझाने के बजाय अब हमारी भिन्न संस्कृति है. एक साधारण नागरिक के रूप में मैं आपको बताऊं कि जब उनके इलाके में ऐसी दुकान खुलती है तो वे डर जाते हें. हमें ऐसी दुकानों के सिलसिले में पिछले कुछ हफ्तों में कई शिकायतें मिली हैं और वे चौंकाने वाली हैं. महिलाएं और बच्चे कभी वहां से गुजर नहीं सकते. यहां तक कि पुरुषों के लिए भी वहां से गुजरना मुश्किल होता है. हम समाज को किस प्रकार का संकेत दे रहे हैं. सभ्य तरीके से दुकान लगाइए और सुनिश्चित कीजिए कि वे अन्य दुकानों की भांति सुसंस्कृत तरीके से काम करें एवं लोग उसका विरोध न करें.'

अदालत ने बेवको एवं सरकार को शराब को प्रतिबंधित सामग्री के बजाय अन्य वस्तुओं की भांति लेने को कहा. उसने कहा, 'देश के अन्य हिस्सों की तरह, इससे सभ्य तरीके से निपटिए, बजाय इसके कि शराब की दुकानों पर लंबी-लंबी लाइनें हों एवं लोग घंटों तक सड़कों पर खड़े रहें और ऐसा भी नहीं हो कि आसपास के लोग इन कतारों की वजह से आ-जा नहीं पाए.'

(पीटीआई-भाषा)

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.