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आबकारी की जिम्मेदारी, शराब खरीददारों से न हो पशुओं जैसा बर्ताव: केरल हाईकोर्ट

अदालत ने कहा कि यह आबकारी विभाग की जिम्मेदारी है कि शराब खरीदने वाले लोगों के साथ जानवरों जैसा लोग पेश न आएं और न ही उन्हें उपहास या शर्मिंदगी का पात्र बनना पड़े.

केरल उच्च न्यायालय
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Published : Sep 16, 2021, 9:13 PM IST

Updated : Sep 16, 2021, 9:47 PM IST

कोच्चि : केरल उच्च न्यायालय (Kerala High Court) ने कहा कि आबकारी विभाग (Excise department) यह सुनिश्चित करें कि सरकारी पेय पदार्थ निगम (Beverages Corporation-BEVCO) समेत अन्य शराब की दुकानों पर शराब की खरीदी करने वालों के साथ पशुओं की तरह व्यवहार न किया जाए. वहीं, शराब की दुकान के बाहर लोगों की भीड़ को देखकर किसी भी व्यक्ति को शर्मिंदगी नहीं होनी चाहिए.

जस्टिस देवन रामचंद्रन आज यहां एक महिला की याचिका की सुनवाई कर रहे थे, जिसमें याचिकाकर्ता ने अपने इलाके में एक बैंक के पास शराब की दुकान के स्थानांतरण पर चिंता व्यक्त की है. महिला ने याचिका में कहा कि शराब की दुकान ऐसी जगह में है, जहां से महिलाओं का गुजरना मुश्किल हो जाता है.

इस याचिका की सुनवाई कर अदालत ने कहा कि यह आबकारी विभाग की जिम्मेदारी है कि शराब खरीदने वाले लोगों के साथ जानवरों जैसा लोग पेश न आएं और न ही उन्हें उपहास या शर्मिंदगी का पात्र बनना पड़े.

पढ़ें : आधार कार्ड उम्र का ठोस सबूत नहीं : पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट

उन्होंने कहा कि शराब की दुकानों के बाहर लाइन में खड़े लोगों को देख मुझे खुद को शर्मिंदगी होती है. जबकि हमें इस बात पर गर्व करना चाहिए कि वे लोग अनुशासित तरीके से लाइन में खड़े नजर आते हैं. उन्होंने आबकारी को निर्देश दिया कि शराब द्वारा पूर्व दिये गए आदेशानुसार शराब की दुकानों के कार्यों को लेकर उठाए गए कदम की रिपोर्ट एक महीने के भीतर दाखिल करें.

इस मामले की अगली सुनवाई 18 अक्टूबर को होगी.

कोच्चि : केरल उच्च न्यायालय (Kerala High Court) ने कहा कि आबकारी विभाग (Excise department) यह सुनिश्चित करें कि सरकारी पेय पदार्थ निगम (Beverages Corporation-BEVCO) समेत अन्य शराब की दुकानों पर शराब की खरीदी करने वालों के साथ पशुओं की तरह व्यवहार न किया जाए. वहीं, शराब की दुकान के बाहर लोगों की भीड़ को देखकर किसी भी व्यक्ति को शर्मिंदगी नहीं होनी चाहिए.

जस्टिस देवन रामचंद्रन आज यहां एक महिला की याचिका की सुनवाई कर रहे थे, जिसमें याचिकाकर्ता ने अपने इलाके में एक बैंक के पास शराब की दुकान के स्थानांतरण पर चिंता व्यक्त की है. महिला ने याचिका में कहा कि शराब की दुकान ऐसी जगह में है, जहां से महिलाओं का गुजरना मुश्किल हो जाता है.

इस याचिका की सुनवाई कर अदालत ने कहा कि यह आबकारी विभाग की जिम्मेदारी है कि शराब खरीदने वाले लोगों के साथ जानवरों जैसा लोग पेश न आएं और न ही उन्हें उपहास या शर्मिंदगी का पात्र बनना पड़े.

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उन्होंने कहा कि शराब की दुकानों के बाहर लाइन में खड़े लोगों को देख मुझे खुद को शर्मिंदगी होती है. जबकि हमें इस बात पर गर्व करना चाहिए कि वे लोग अनुशासित तरीके से लाइन में खड़े नजर आते हैं. उन्होंने आबकारी को निर्देश दिया कि शराब द्वारा पूर्व दिये गए आदेशानुसार शराब की दुकानों के कार्यों को लेकर उठाए गए कदम की रिपोर्ट एक महीने के भीतर दाखिल करें.

इस मामले की अगली सुनवाई 18 अक्टूबर को होगी.

Last Updated : Sep 16, 2021, 9:47 PM IST
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