कोच्चि : केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने हाल में विधि की एक छात्रा के आत्महत्या कर लेने की घटना को 'बेहद दुर्भाग्यपूर्ण, दुखद और हृदय विदारक' बताते हुए रविवार को कहा कि वह चाहते हैं कि युवतियां दहेज को न कहने के लिए 'बहादुर' बनें और अपना जीवन समाप्त करने के बजाय इसके खिलाफ लड़ाई लड़ें.
राज्यपाल यहां अलुवा में छात्रा के परिवार से मिलने के बाद मीडिया से बातचीत कर रहे थे. उन्होंने कहा कि केरल की पुलिस देश में बेहतरीन पुलिस बल में से एक है लेकिन बल को कलंकित करने वाले भी इसमें कुछ हो सकते हैं.
उन्होंने कहा, 'यह (आत्महत्या) बेहद दुर्भाग्यपूर्ण, दुखद और हृदय विदारक है कि हमें कानून की पढ़ाई करने वाली होनहार लड़की को खोना पड़ा. मुझे बेहद दुख है. मैं इन लड़कियों को इतना बहादुर और साहसी देखना चाहता हूं कि ये दहेज को पहले न कहें और इसके खिलाफ लड़ाई लड़ें न कि आत्महत्या कर लें.'
युवती (21) ने सुसाइड नोट में अपने पति, ससुराल के लोगों और एक पुलिस अधिकारी को इस कठोर कदम उठाने के लिए जिम्मेदार बताया था. अलुवा ईस्ट पुलिस थाने के प्रभारी को 24 नवंबर को पहले तो प्रभार से मुक्त कर दिया गया और इसके दो दिन बाद उन्हें निलंबित कर दिया गया. बाद में उनका नाम आत्महत्या के मामले में प्राथमिकी में भी पुलिस ने दर्ज किया. मीडिया से बातचीत में युवती के पिता ने इस कदम का स्वागत किया और कहा कि मुख्यमंत्री ने अपनी बात रख ली.
सुसाइड नोट में मोफिया परवीन ने आरोप लगाया कि जब वह अपने पिता के साथ अपने पति और ससुरालवालों के खिलाफ देहज प्रताड़ना और घरेलू हिंसा की शिकायत के संबंध में अपना बयान देने के लिए थाने गई थी तो अधिकारी सुधीर ने उनके साथ अभद्र व्यवहार किया.
मोफिया के पिता के अनुसार उनकी बेटी ने थाने में यह स्पष्ट कर दिया था कि वह अपना बयान अपने पति की मौजूदगी में दर्ज नहीं कराना चाहती है. फिर भी पुलिस अधिकारी ने उसके पति की मौजूदगी में ही बात की और अभद्र बर्ताव किया.
उन्होंने बताया कि घर लौटने के बाद उनकी बेटी को चिंता थी कि पुलिस कार्रवाई करेगी भी या नहीं. युवती के पिता ने दावा किया कि बाद में उस दिन उनकी बेटी ने अपने कमरे में फांसी लगा ली.
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(पीटीआई-भाषा)