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धनबाद जज की मौत के मामले में सीबीआई शुरू करे जांच: झारखंड हाईकोर्ट - सीबीआई

झारखंड हाईकोर्ट ने धनबाद जज मर्डर मामले में जांच में हो रही देरी पर सख्त रुख अख्तियार किया है और सीबीआई को केस की जांच शीघ्र शुरू करने को कहा है.

Jharkhand High Court, CBI
झारखंड हाईकोर्ट
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Published : Aug 4, 2021, 6:19 AM IST

रांची: झारखंड उच्च न्यायालय ने मंगलवार को केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) को धनबाद के जिला न्यायाधीश उत्तम आनंद की मौत के मामले की जल्द से जल्द जांच शुरू करने का निर्देश दिए. मुख्य न्यायाधीश डॉ रवि रंजन और न्यायमूर्ति सुजीत नारायण प्रसाद की पीठ ने मामले की सुनवाई के दौरान सीबीआई के वकील के जवाब के बाद यह निर्देश दिए.

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने शनिवार को 49 वर्षीय जज के हिट एंड रन मामले की जांच सीबीआई को सौंपने का फैसला किया. धनबाद के जज की 28 जुलाई में सुबह की सैर के दौरान एक ऑटो रिक्शा की टक्कर से मौत हो गई थी. केंद्रीय जांच एजेंसी ने अदालत को सूचित किया कि उसे इस संबंध में सोमवार को राज्य सरकार का पत्र मिला है और सीबीआई जांच के लिए बुधवार को अधिसूचना जारी कर सकती है.

इस पर कोर्ट ने कहा कि अधिसूचना जारी होने के बाद एजेंसी को तत्काल प्राथमिकी दर्ज करनी चाहिए. अदालत ने सरकार को मामले के सभी दस्तावेज सीबीआई को सौंपने के भी निर्देश दिए. सीसीटीवी फुटेज में दिख रहा है कि न्यायाधीश 28 जुलाई की तड़के रणधीर वर्मा चौक पर काफी चौड़ी सड़क के एक तरफ टहल रहे थे, तभी एक भारी ऑटो रिक्शा उनकी ओर आ गया, उन्हें पीछे से टक्कर मार दी और मौके से फरार हो गया. इससे पहले विशेष जांच दल (एसआईटी) ने मामले की जांच की प्रगति रिपोर्ट उच्च न्यायालय में पेश की.

पढ़ें:धनबाद जज मौत मामला : सीसीटीवी फुटेज से उठे सवाल, दो आरोपी गिरफ्तार

मामले में धनबाद के प्रधान जिला न्यायाधीश द्वारा अदालत के समक्ष दायर एक पत्र का संज्ञान लेते हुए, मुख्य न्यायाधीश रवि रंजन ने इसे एक रिट याचिका में बदल दिया और अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक संजय लातकर की अध्यक्षता में एक एसआईटी के गठन के आदेश दिए. पीठ ने प्रगति रिपोर्ट से असंतुष्ट होकर सवाल किया कि मामले में प्राथमिकी दर्ज करने में देरी क्यों की गई. अदालत ने कहा कि घटना सुबह 5.08 बजे हुई और प्राथमिकी दोपहर 12.45 बजे दर्ज की गई, जब सीसीटीवी फुटेज से यह स्पष्ट हो गया कि न्यायाधीश को मौके से उठाकर अस्पताल ले जाया गया.

कोर्ट ने पूछा कि क्या पुलिस ने सिर्फ एक बयान के आधार पर एफआईआर दर्ज की है? क्या पुलिस खुद एफआईआर दर्ज नहीं करती? पुलिस को प्राथमिकी दर्ज करने में छह घंटे क्यों लगे. अदालत ने कहा कि घटना के बाद न्यायिक अधिकारियों में डर है और निर्देश दिया कि उच्च न्यायालय सहित अदालतों और न्यायिक अधिकारियों की सुरक्षा को मजबूत किया जाए.

बताते चलें कि 30 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने इस घटना का स्वत: संज्ञान लेते हुए धनबाद के न्यायाधीश उत्तम आनंद की मौत को 'दुखद निधन' कहा.

(पीटीआई-भाषा)

रांची: झारखंड उच्च न्यायालय ने मंगलवार को केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) को धनबाद के जिला न्यायाधीश उत्तम आनंद की मौत के मामले की जल्द से जल्द जांच शुरू करने का निर्देश दिए. मुख्य न्यायाधीश डॉ रवि रंजन और न्यायमूर्ति सुजीत नारायण प्रसाद की पीठ ने मामले की सुनवाई के दौरान सीबीआई के वकील के जवाब के बाद यह निर्देश दिए.

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने शनिवार को 49 वर्षीय जज के हिट एंड रन मामले की जांच सीबीआई को सौंपने का फैसला किया. धनबाद के जज की 28 जुलाई में सुबह की सैर के दौरान एक ऑटो रिक्शा की टक्कर से मौत हो गई थी. केंद्रीय जांच एजेंसी ने अदालत को सूचित किया कि उसे इस संबंध में सोमवार को राज्य सरकार का पत्र मिला है और सीबीआई जांच के लिए बुधवार को अधिसूचना जारी कर सकती है.

इस पर कोर्ट ने कहा कि अधिसूचना जारी होने के बाद एजेंसी को तत्काल प्राथमिकी दर्ज करनी चाहिए. अदालत ने सरकार को मामले के सभी दस्तावेज सीबीआई को सौंपने के भी निर्देश दिए. सीसीटीवी फुटेज में दिख रहा है कि न्यायाधीश 28 जुलाई की तड़के रणधीर वर्मा चौक पर काफी चौड़ी सड़क के एक तरफ टहल रहे थे, तभी एक भारी ऑटो रिक्शा उनकी ओर आ गया, उन्हें पीछे से टक्कर मार दी और मौके से फरार हो गया. इससे पहले विशेष जांच दल (एसआईटी) ने मामले की जांच की प्रगति रिपोर्ट उच्च न्यायालय में पेश की.

पढ़ें:धनबाद जज मौत मामला : सीसीटीवी फुटेज से उठे सवाल, दो आरोपी गिरफ्तार

मामले में धनबाद के प्रधान जिला न्यायाधीश द्वारा अदालत के समक्ष दायर एक पत्र का संज्ञान लेते हुए, मुख्य न्यायाधीश रवि रंजन ने इसे एक रिट याचिका में बदल दिया और अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक संजय लातकर की अध्यक्षता में एक एसआईटी के गठन के आदेश दिए. पीठ ने प्रगति रिपोर्ट से असंतुष्ट होकर सवाल किया कि मामले में प्राथमिकी दर्ज करने में देरी क्यों की गई. अदालत ने कहा कि घटना सुबह 5.08 बजे हुई और प्राथमिकी दोपहर 12.45 बजे दर्ज की गई, जब सीसीटीवी फुटेज से यह स्पष्ट हो गया कि न्यायाधीश को मौके से उठाकर अस्पताल ले जाया गया.

कोर्ट ने पूछा कि क्या पुलिस ने सिर्फ एक बयान के आधार पर एफआईआर दर्ज की है? क्या पुलिस खुद एफआईआर दर्ज नहीं करती? पुलिस को प्राथमिकी दर्ज करने में छह घंटे क्यों लगे. अदालत ने कहा कि घटना के बाद न्यायिक अधिकारियों में डर है और निर्देश दिया कि उच्च न्यायालय सहित अदालतों और न्यायिक अधिकारियों की सुरक्षा को मजबूत किया जाए.

बताते चलें कि 30 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने इस घटना का स्वत: संज्ञान लेते हुए धनबाद के न्यायाधीश उत्तम आनंद की मौत को 'दुखद निधन' कहा.

(पीटीआई-भाषा)

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