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कतर में भारत के 8 एक्स नेवी ऑफसरों को सजा-ए-मौत के लिए फारूक ने भारत को ठहराया जिम्मेदार, कही ये बड़ी बात

कतर में भारतीय नौसेना के आठ पूर्व कर्मियों को मौत की सजा सुनाए जाने को लेकर जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला ने बड़ा कारण बताया है. उन्होंने आशंका जतायी कि इसके पीछे हमास को लेकर भारत के रवैये के प्रति कतर की नाराजगी है. उन्होंने ये बात ईटीवी भारत के संवाददाता सौरभ शर्मा से फोन पर विशेष बातचीत में कही. उन्होंने और क्या कहा, जानने के लिए पढ़ें ये रिपोर्ट... Farooq On Qatar Court judgement, Qatar court judgement, JK Ex PM Farooq Abdullah, Indian Ex Navy Officers

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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Oct 30, 2023, 5:24 PM IST

नई दिल्ली : जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला ने आशंका जताई है कि कतर में भारतीय नेवी के पूर्व अफसरों को फांसी की जो सजा सुनाई गई है, उसके पीछे हमास को लेकर भारत के रवैये के प्रति कतर की नाराजगी हो सकती है. हमारे संवाददाता ने जब उनसे सवाल किया कि क्या कतर के फैसले की वजह हमास और फिलिस्तीन के मुद्दे पर भारत का रवैया हो सकता है. इस पर फारूक ने कहा, "कतर पिछले तीन साल से भारतीय नौसेना के पूर्व अफसरों के मामले पर कुछ नहीं कर रहा था. लेकिन अब जजमेंट आया और फौरन उन पूर्व नौसिनकों को मौत की सजा सुना दी. हमास और इजरायल के युद्ध के बीच अचानक कतर का तीन साल बाद उस मामले में जजमेंट देना, ये दिखाता है कि वहां पर भी लोग (कतर सरकार) हमारे साथ इत्तेफाक रखना नहीं चाहते होंगे."

फारूक अब्दुल्ला ने फिलिस्तीन के मुद्दे पर भी भारत सरकार के रवैये पर निराशा जताई. उन्होंने कहा, "हमने (भारत ने) हमेशा फिलिस्तीन के पक्ष में बात की है. लेकिन अब प्रधानमंत्री ने जो बयान दिया वो बिलकुल उसके खिलाफ था. विदेश मंत्रालय ने बाद में प्रधानमंत्री के बयान पर स्पष्टीकरण दिया किया कि हमारी पॉलिसी जो पहले थी, आज भी वही है." उन्होंने कहा, "लेकिन संयुक्त राष्ट्र के उस प्रस्ताव से दूर रहना सही नहीं, जिसमें फिलिस्तीन के लिए मानवीय सहायता की मांग की गई थी. यह बहुत गलत था और इसके कारण अरब देशों में हमारे दोस्तों को इसका बहुत बुरा लगा होगा."

पढ़ें : Eight Indians Detained In Qatar: कतर में मौत की सजा पाने वाले 8 एक्स नेवी अफसरों के परिवार से मिले जयशंकर, दिया बड़ा बयान

ये पूछने पर कि फिलिस्तीनी मुद्दे पर भारत की तरह दूसरे दक्षिण एशियाई देशों ने संयुक्त राष्ट्र के प्रस्ताव से खुद को अलग क्यों नहीं किया. फारूक अब्दुल्ला ने कहा, "मुझे बाकी देशों से कोई मतलब नहीं है. मुझे अपने वतन से ताल्लुक है. दक्षिण एशियाई देश क्या करते हैं, मुझे उससे कोई ताल्लुक नहीं. भारत मानवीय सहायता के लिए हर वक्त आगे आया है. तुर्की, जो हमारे खिलाफ था, भूकंप आने पर हमने वहां भी मदद भेजी. तो फिर फिलिस्तीन के लिए मानवीय सहायता के प्रस्ताव से भारत पीछे क्यों हटा, ये अच्छा नहीं हुआ."

नई दिल्ली : जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला ने आशंका जताई है कि कतर में भारतीय नेवी के पूर्व अफसरों को फांसी की जो सजा सुनाई गई है, उसके पीछे हमास को लेकर भारत के रवैये के प्रति कतर की नाराजगी हो सकती है. हमारे संवाददाता ने जब उनसे सवाल किया कि क्या कतर के फैसले की वजह हमास और फिलिस्तीन के मुद्दे पर भारत का रवैया हो सकता है. इस पर फारूक ने कहा, "कतर पिछले तीन साल से भारतीय नौसेना के पूर्व अफसरों के मामले पर कुछ नहीं कर रहा था. लेकिन अब जजमेंट आया और फौरन उन पूर्व नौसिनकों को मौत की सजा सुना दी. हमास और इजरायल के युद्ध के बीच अचानक कतर का तीन साल बाद उस मामले में जजमेंट देना, ये दिखाता है कि वहां पर भी लोग (कतर सरकार) हमारे साथ इत्तेफाक रखना नहीं चाहते होंगे."

फारूक अब्दुल्ला ने फिलिस्तीन के मुद्दे पर भी भारत सरकार के रवैये पर निराशा जताई. उन्होंने कहा, "हमने (भारत ने) हमेशा फिलिस्तीन के पक्ष में बात की है. लेकिन अब प्रधानमंत्री ने जो बयान दिया वो बिलकुल उसके खिलाफ था. विदेश मंत्रालय ने बाद में प्रधानमंत्री के बयान पर स्पष्टीकरण दिया किया कि हमारी पॉलिसी जो पहले थी, आज भी वही है." उन्होंने कहा, "लेकिन संयुक्त राष्ट्र के उस प्रस्ताव से दूर रहना सही नहीं, जिसमें फिलिस्तीन के लिए मानवीय सहायता की मांग की गई थी. यह बहुत गलत था और इसके कारण अरब देशों में हमारे दोस्तों को इसका बहुत बुरा लगा होगा."

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ये पूछने पर कि फिलिस्तीनी मुद्दे पर भारत की तरह दूसरे दक्षिण एशियाई देशों ने संयुक्त राष्ट्र के प्रस्ताव से खुद को अलग क्यों नहीं किया. फारूक अब्दुल्ला ने कहा, "मुझे बाकी देशों से कोई मतलब नहीं है. मुझे अपने वतन से ताल्लुक है. दक्षिण एशियाई देश क्या करते हैं, मुझे उससे कोई ताल्लुक नहीं. भारत मानवीय सहायता के लिए हर वक्त आगे आया है. तुर्की, जो हमारे खिलाफ था, भूकंप आने पर हमने वहां भी मदद भेजी. तो फिर फिलिस्तीन के लिए मानवीय सहायता के प्रस्ताव से भारत पीछे क्यों हटा, ये अच्छा नहीं हुआ."

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