नई दिल्ली : भारत के पूर्व राजदूत और पाकिस्तान में पूर्व उच्चायुक्त रहे जी पार्थसारथी ने कहा कि जयशंकर की कुवैत यात्रा खाड़ी-अरब देशों से निपटने के लिए व्यापक रणनीति का हिस्सा है.
उन्होंने कहा कि जब से प्रधानमंत्री मोदी सत्ता में आए हैं, उन्होंने खाड़ी देशों पर बहुत ध्यान केंद्रित किया है क्योंकि हमें वहां भारतीय श्रमिकों से कम से कम 30-40 बिलियन डॉलर की विदेशी मुद्रा मिलती है. वहां काम करने वाले हमारे लाखों लोग हैं. जिन देशों में हमारे ज्यादा काम करने वाले हैं और जहां से देश को ज्यादा धन की प्राप्ति होती है, उनमें कुवैत भी है.'
दोहा में भारतीय दूतावास के अनुसार, जून 2019 में कतर में भारतीय नागरिकों की आबादी करीब 7,56,000 थी जो देश में सबसे बड़ा प्रवासी समुदाय है.
पार्थसारथी ने कहा, जयशंकर जिस तरह से यात्रा कर रहे हैं, वह इस बात का संकेत है कि पीएम अरब खाड़ी देशों को सबसे ज्यादा महत्व देते हैं. दोहा में भारतीय दूतावास के अनुसार, जून 2019 में कतर में भारतीय नागरिकों की आबादी करीब 7,56,000 थी जो देश में सबसे बड़ा प्रवासी समुदाय है.
कतर के एनएसए से मुलाकात
विदेश मंत्री जयशंकर आज से शुरू होने वाली तीन दिवसीय आधिकारिक यात्रा के लिए कुवैत में हैं. वह बुधवार सुबह कतर के रास्ते कुवैत के लिए रवाना हुए. दोहा में अपने संक्षिप्त प्रवास के दौरान विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बुधवार को कतर के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार मोहम्मद बिन अहमद अल मसनद से मुलाकात की और उन्हें COVID-19 महामारी के खिलाफ भारत की लड़ाई में खाड़ी देश के समर्थन और एकजुटता के लिए धन्यवाद दिया.
जयशंकर ने किया ट्वीट
जयशंकर ने ट्वीट किया, 'कतर के मोहम्मद बिन अहमद अल मसनद से मिलकर प्रसन्नता हुई. क्षेत्र में तथा उसके आगे विकास पर उनके विचारों की सराहना करता हूं. कोविड-19 के खिलाफ भारत की लड़ाई में सहयोग देने तथा एकजुटता जताने के लिए उनका आभार.'
'चीन और पाकिस्तान पर दबाव बढ़ेगा'
पार्थसारथी ने कहा कि जयशंकर की यात्रा से चीन और पाकिस्तान पर दबाव बढ़ेगा. लेकिन यह याद रखना चाहिए कि ईरान के साथ चीन का 280 अरब-400 अरब डॉलर का सौदा अरब देशों में चिंता का विषय है. उन्होंने कहा कि ये ऐसे क्षेत्र हैं जिन पर ध्यान देने की जरूरत है.
पार्थसारथी ने कहा कि जयशंकर की यात्रा खाड़ी अरब राज्यों से निपटने के तरीके पर एक व्यापक रणनीति को दर्शाती है, जो सभी तेल समृद्ध, भारत के करीब हैं और सभी में बड़ी भारतीय आबादी शामिल है.
भारतीय समुदाय को संबोधित करेंगे
विदेश मंत्री के तौर पर जयशंकर की कुवैत की यह पहली यात्रा होगी. यात्रा के दौरान उनका उच्च स्तरीय बैठकें करने और कुवैत में भारतीय समुदाय को संबोधित करने का भी कार्यक्रम है.
वह महामारी की दूसरी लहर के दौरान भारत को दिए गए समर्थन के लिए कुवैत को धन्यवाद देंगे. कतर और कुवैत दोनों तरल चिकित्सा ऑक्सीजन की आपूर्ति में भारत के लिए मुख्य रसद केंद्र थे.
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कुवैत में जयशंकर का अपने समकक्ष शेख मोहम्मद नसीर अल-मोहम्मद अल-सबा से मिलने और निवेश, व्यापार, ऊर्जा और सूचना प्रौद्योगिकी जैसे कई मुद्दों पर चर्चा करने का कार्यक्रम है. वह कुवैत के अमीर शेख नवाफ अल-अहमद अल-सबा को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा लिखा गया एक पत्र भी सौंपेंगे.
कुवैत ने COVID-19 की दूसरी लहर से लड़ने में की है मदद
विशेष रूप से हाल के सप्ताहों में भारत में COVID-19 की दूसरी लहर से लड़ने में कुवैत सरकार ने मदद की. कुवैत सरकार भारत को तरल चिकित्सा ऑक्सीजन की निरंतर और विश्वसनीय आपूर्ति सुनिश्चित करने में सबसे आगे रही है, जिसमें एक एयर / सी ब्रिज की स्थापना भी शामिल है. कुवैत ने दवाओं, ऑक्सीमीटर, मास्क और दस्ताने के अलावा भारत को 5,267 ऑक्सीजन सिलेंडर, 55 ऑक्सीजन सांद्रता, 450 मीट्रिक टन तरल ऑक्सीजन और 11 वेंटिलेटर की आपूर्ति की थी. वर्ष 2021-22 में भारत और कुवैत के बीच राजनयिक संबंधों की स्थापना की 60वीं वर्षगांठ है.