ETV Bharat / bharat

ISRO transition Somanath: इसरो परिवर्तन अलग-अलग चरणों के साथ कठिन दौर से गुजरा: अध्यक्ष सोमनाथ

कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु में एक कार्यक्रम में इसरो के अध्यक्ष सोमनाथ ने संस्थान के शुरुआती दिनों के बारे में जिक्र किया. उन्होंने कहा कि इसरो शुरुआती दिनों में कठिन दौर से गुजरा.

ISRO transition went through various painful events with distinct phases: Chairman Somanath
इसरो परिवर्तन अलग-अलग चरणों के साथ विभिन्न दर्दनाक घटनाओं से गुजरा: अध्यक्ष सोमनाथ
author img

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Sep 24, 2023, 9:21 AM IST

Updated : Sep 24, 2023, 12:52 PM IST

बेंगलुरु: जयनगर में शनिवार को मिनर्वा आरवी सेंटर फॉर लीडरशिप एंड एक्जीक्यूटिव एजुकेशन के साथ साझेदारी में फ्रोब (किताबों के मित्र) द्वारा एक पुस्तक पर एक चर्चा का आयोजन किया गया. इस मौके पर इसरो के अध्यक्ष सोमनाथ ने कहा कि इसरो के विकास के शुरुआती वर्षों में, संगठन के पास सपने देखने वालों का एक समूह था.

जिन्होंने बाद में खुद को कर्ता-धर्ता का समूह बना लिया. यह परिवर्तन पाठ्यक्रम के दौरान विभिन्न बाधाओं और असफलताओं के माध्यम से आया. इसरो के अध्यक्ष सोमनाथ ने कहा, विक्रम साराभाई को उत्साही वैज्ञानिकों के साथ इस स्वप्निल संगठन को शुरू करने का दृढ़ विश्वास था और रामभद्रन अरावमुदन उनमें से एक थे. कार्यक्रम में बोलते हुए सोमनाथ ने बताया कि शुरुआती चरण में इसरो के विकास को अराजक दौर का सामना करना पड़ रहा था.

कई स्थानों पर विभिन्न क्षमताओं का पता लगाने के लिए रैडम तरीके अपनाए जा रहे थे. उन्होंने बताया कि रामभद्रन अरावमुदन ने उन अनिश्चित स्थितियों का बहुत सामना किया. सतीश धवन ही वो शख्स हैं जिन्होंने बेतरतीब राह को एक ढांचा दिया. चरणबद्ध तरीके से काम पूरा करने का निर्देश दिया गया. दिशा लक्ष्य निर्धारित किये गये.

कुछ चीजें वितरित करना संगठन के लिए अनिवार्य बना दिया गया था. इसरो को इस तरह से विकसित किया गया था कि यह शोध पत्रों के प्रकाशन, अनुसंधान एवं विकास और शिक्षा तक ही सीमित नहीं रहा. आम जनता से संबंधित उनके विचार से परिणाम तैयार कर इसे एक आकार दिया गया. बाद में समाज, सरकार, शासन की जरूरतें पूरी होने लगीं. साथ ही इसे विभिन्न तरीकों से एक प्रेरणादायक संगठन के रूप में चित्रित किया जाने लगा. विक्रम साराभाई और सतीश धवन युग को नेतृत्व का एक उदाहरण कहा जा सकता है जिसने इसरो को जीवन दिया.

ये भी पढ़ें- ISRO Aditya L1 Update : Aditya L1 ने ट्रांस-लैग्रेंजियन पॉइंट 1 इंसर्शन पर सफलता से कक्षा बदली

अरावमुदन कई अन्य लोगों के साथ इसरो की यात्रा का अभिन्न अंग थे. व्यक्तिगत इतिहास की किताब में इस जोड़े के दृष्टिकोण हैं जिन्होंने इसरो के लिए एक संभावना प्रदर्शित की है जो एक महत्वपूर्ण बात है. 40-50 साल पहले संगठन में बदलाव की दर बहुत तेज, स्पष्ट और निर्णायक थी. अरवामुदन ने जो परिवर्तन देखे, वे मेरे सहित किसी भी अन्य लोगों द्वारा नहीं देखे जा सके क्योंकि मैं इस संगठन में उनकी सेवा समाप्त होने के बाद शामिल हुआ था.

बेंगलुरु: जयनगर में शनिवार को मिनर्वा आरवी सेंटर फॉर लीडरशिप एंड एक्जीक्यूटिव एजुकेशन के साथ साझेदारी में फ्रोब (किताबों के मित्र) द्वारा एक पुस्तक पर एक चर्चा का आयोजन किया गया. इस मौके पर इसरो के अध्यक्ष सोमनाथ ने कहा कि इसरो के विकास के शुरुआती वर्षों में, संगठन के पास सपने देखने वालों का एक समूह था.

जिन्होंने बाद में खुद को कर्ता-धर्ता का समूह बना लिया. यह परिवर्तन पाठ्यक्रम के दौरान विभिन्न बाधाओं और असफलताओं के माध्यम से आया. इसरो के अध्यक्ष सोमनाथ ने कहा, विक्रम साराभाई को उत्साही वैज्ञानिकों के साथ इस स्वप्निल संगठन को शुरू करने का दृढ़ विश्वास था और रामभद्रन अरावमुदन उनमें से एक थे. कार्यक्रम में बोलते हुए सोमनाथ ने बताया कि शुरुआती चरण में इसरो के विकास को अराजक दौर का सामना करना पड़ रहा था.

कई स्थानों पर विभिन्न क्षमताओं का पता लगाने के लिए रैडम तरीके अपनाए जा रहे थे. उन्होंने बताया कि रामभद्रन अरावमुदन ने उन अनिश्चित स्थितियों का बहुत सामना किया. सतीश धवन ही वो शख्स हैं जिन्होंने बेतरतीब राह को एक ढांचा दिया. चरणबद्ध तरीके से काम पूरा करने का निर्देश दिया गया. दिशा लक्ष्य निर्धारित किये गये.

कुछ चीजें वितरित करना संगठन के लिए अनिवार्य बना दिया गया था. इसरो को इस तरह से विकसित किया गया था कि यह शोध पत्रों के प्रकाशन, अनुसंधान एवं विकास और शिक्षा तक ही सीमित नहीं रहा. आम जनता से संबंधित उनके विचार से परिणाम तैयार कर इसे एक आकार दिया गया. बाद में समाज, सरकार, शासन की जरूरतें पूरी होने लगीं. साथ ही इसे विभिन्न तरीकों से एक प्रेरणादायक संगठन के रूप में चित्रित किया जाने लगा. विक्रम साराभाई और सतीश धवन युग को नेतृत्व का एक उदाहरण कहा जा सकता है जिसने इसरो को जीवन दिया.

ये भी पढ़ें- ISRO Aditya L1 Update : Aditya L1 ने ट्रांस-लैग्रेंजियन पॉइंट 1 इंसर्शन पर सफलता से कक्षा बदली

अरावमुदन कई अन्य लोगों के साथ इसरो की यात्रा का अभिन्न अंग थे. व्यक्तिगत इतिहास की किताब में इस जोड़े के दृष्टिकोण हैं जिन्होंने इसरो के लिए एक संभावना प्रदर्शित की है जो एक महत्वपूर्ण बात है. 40-50 साल पहले संगठन में बदलाव की दर बहुत तेज, स्पष्ट और निर्णायक थी. अरवामुदन ने जो परिवर्तन देखे, वे मेरे सहित किसी भी अन्य लोगों द्वारा नहीं देखे जा सके क्योंकि मैं इस संगठन में उनकी सेवा समाप्त होने के बाद शामिल हुआ था.

Last Updated : Sep 24, 2023, 12:52 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.