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मरम्मत के बाद भारत की सबसे प्राचीन मस्जिद की पुरानी शान बहाल - इस्लामिक विरासत संग्रहालय

केरल के त्रिशूर जिले में स्थित भारत की सबसे प्राचीन मस्जिद 'चेरामन जामा मस्जिद' मरम्मत के बाद नमाजियों और आम लोगों के लिए फिर से खोली जाएगी. इसकी मरम्मत मई, 2019 में शुरू हुई थी और करीब 30 महीने के कार्य के बाद मस्जिद की सुंदरता बहाल कर दी गई.

प्राचीन मस्जिद
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Published : Sep 22, 2021, 4:36 PM IST

Updated : Sep 22, 2021, 6:45 PM IST

त्रिशूर (केरल) : भारतीय उप महाद्वीप की सबसे पुरानी त्रिशूर की मस्जिद मरम्मत के बाद नमाजियों और आम लोगों के लिए फिर से खोली जाएगी. राज्य संचालित मुजिरिस हेरिटेज प्रोजेक्ट (एमएचपी) के तहत 'चेरामन जामा मस्जिद' की सुंदरता को करीब 30 महीने के कार्य के बाद बहाल कर दी गई है. यह मस्जिद 629 ईसवी में बनाई गई थी.

एमएचपी के प्रबंध निदेशक पीएम नौशाद ने कहा कि त्रिशूर जिले के कोडुंगल्लूर में स्थित इस ढांचे को उसकी मूल शैली और संरचना के साथ बहाल किया गया है और इस पर करीब 1.14 करोड़ रुपये का खर्च आया.

उन्होंने बताया कि इसकी मरम्मत मई, 2019 में शुरू हुई थी और इसके अलावा मस्जिद में दो मंजिला इस्लामिक हेरिटेज म्यूजियम (इस्लामिक विरासत संग्रहालय) का निर्माण भी करीब एक करोड़ रुपये की लागत से किया जा रहा है.

सरकार को मरम्मत कार्य पूरा होने की जानकारी देने के बाद एमएचपी अधिकारी अब केरल के मुख्यमंत्री पी विजयन की आम लोगों के लिए इस मस्जिद को खोलने की तारीख की घोषणा की प्रतीक्षा कर रहे हैं.

नौशाद ने बताया कि मौखिक तौर पर कही जाने वाली परंपरा के अनुसार चेरामन पेरुमल नाम का राजा सातवीं शताब्दी में अरब गए थे, जहां उन्होंने पैगंबर मोहम्मद से मुलाकात की और इस्लाम धर्म अपना लिया. वहां से उन्होंने एक फारसी विद्वान मलिक इब्न दिनार के जरिए भारत खत भिजवाए और ऐसा माना जाता है कि दिनार ने राजा की मौत के पांच साल बाद, 629 ईसवी में मस्जिद का निर्माण कराया.

नौशाद ने कहा कि उन्होंने पुराने ढांचे के मौजूदा हिस्सों को संरक्षित करने और पुरानी तस्वीरों के आधार पर इसकी अतीत की स्थिति को फिर से बहाल करने पर अधिक ध्यान केंद्रित किया.

उन्होंने कहा, 'हमने 1974 में मुख्य भवन में जोड़े गए अतिरिक्त कंक्रीट ढांचे को ध्वस्त कर दिया. हमने पुरानी तस्वीरों के अनुसार टाइल की छत के साथ मस्जिद की पुरानी संरचना को फिर से बनाया.

उन्होंने कहा कि संयोग से, बुनियादी ढांचे के कई हिस्सों को इस तरह बरकरार रखा गया था कि ऐसे हिस्सों को पुनर्निर्मित और संरक्षित किया जा सकेगा.

मस्जिद में एक भूमिगत प्रार्थना हॉल का निर्माण किया जा रहा है, जिसमें कम से कम 2000-3000 लोग एक साथ नमाज पढ़ सकेंगे. इस पर कुल 15-20 करोड़ रुपये खर्च होंगे.

मस्जिद के जीर्णोद्धार के बाद, एमएचपी अब चेरामन जुमा मस्जिद को केंद्रीय पर्यटन मंत्रालय के तीर्थयात्रा कायाकल्प और आध्यात्मिक संवर्धन अभियान पर राष्ट्रीय मिशन (प्रसाद) में शामिल करने के लिए मंजूरी का इंतजार कर रहा है.

यह भी पढ़ें- जानें, किस मस्जिद में नमाज के लिए टिकट खरीदना हुआ अनिवार्य

अधिकारियों ने बताया कि इस संबंध में केंद्र को 10 करोड़ रुपये की परियोजना का प्रस्ताव भेजा गया है. उन्होंने कहा कि प्रसाद योजना में शामिल होने पर मस्जिद परिसर में एक सुविधा केंद्र का निर्माण और एक तालाब का कायाकल्प किया जाएगा.

नौशाद ने कहा, सबसे पुरानी मस्जिद के पुनर्निर्मित ढांचे की एक झलक पाने के लिए अब राज्य भर से बड़ी संख्या में लोग यहां आ रहे हैं.

चेरामन मस्जिद मुज़िरिस सभ्यता में एक महत्वपूर्ण स्थान रखती है, जिसने पूर्व में प्राचीन विश्व के सबसे बड़े व्यापारिक केंद्र के रूप में गौरव का आनंद लिया, मसालों से लेकर कीमती पत्थरों तक सब कुछ व्यापार किया.

(पीटीआई-भाषा)

त्रिशूर (केरल) : भारतीय उप महाद्वीप की सबसे पुरानी त्रिशूर की मस्जिद मरम्मत के बाद नमाजियों और आम लोगों के लिए फिर से खोली जाएगी. राज्य संचालित मुजिरिस हेरिटेज प्रोजेक्ट (एमएचपी) के तहत 'चेरामन जामा मस्जिद' की सुंदरता को करीब 30 महीने के कार्य के बाद बहाल कर दी गई है. यह मस्जिद 629 ईसवी में बनाई गई थी.

एमएचपी के प्रबंध निदेशक पीएम नौशाद ने कहा कि त्रिशूर जिले के कोडुंगल्लूर में स्थित इस ढांचे को उसकी मूल शैली और संरचना के साथ बहाल किया गया है और इस पर करीब 1.14 करोड़ रुपये का खर्च आया.

उन्होंने बताया कि इसकी मरम्मत मई, 2019 में शुरू हुई थी और इसके अलावा मस्जिद में दो मंजिला इस्लामिक हेरिटेज म्यूजियम (इस्लामिक विरासत संग्रहालय) का निर्माण भी करीब एक करोड़ रुपये की लागत से किया जा रहा है.

सरकार को मरम्मत कार्य पूरा होने की जानकारी देने के बाद एमएचपी अधिकारी अब केरल के मुख्यमंत्री पी विजयन की आम लोगों के लिए इस मस्जिद को खोलने की तारीख की घोषणा की प्रतीक्षा कर रहे हैं.

नौशाद ने बताया कि मौखिक तौर पर कही जाने वाली परंपरा के अनुसार चेरामन पेरुमल नाम का राजा सातवीं शताब्दी में अरब गए थे, जहां उन्होंने पैगंबर मोहम्मद से मुलाकात की और इस्लाम धर्म अपना लिया. वहां से उन्होंने एक फारसी विद्वान मलिक इब्न दिनार के जरिए भारत खत भिजवाए और ऐसा माना जाता है कि दिनार ने राजा की मौत के पांच साल बाद, 629 ईसवी में मस्जिद का निर्माण कराया.

नौशाद ने कहा कि उन्होंने पुराने ढांचे के मौजूदा हिस्सों को संरक्षित करने और पुरानी तस्वीरों के आधार पर इसकी अतीत की स्थिति को फिर से बहाल करने पर अधिक ध्यान केंद्रित किया.

उन्होंने कहा, 'हमने 1974 में मुख्य भवन में जोड़े गए अतिरिक्त कंक्रीट ढांचे को ध्वस्त कर दिया. हमने पुरानी तस्वीरों के अनुसार टाइल की छत के साथ मस्जिद की पुरानी संरचना को फिर से बनाया.

उन्होंने कहा कि संयोग से, बुनियादी ढांचे के कई हिस्सों को इस तरह बरकरार रखा गया था कि ऐसे हिस्सों को पुनर्निर्मित और संरक्षित किया जा सकेगा.

मस्जिद में एक भूमिगत प्रार्थना हॉल का निर्माण किया जा रहा है, जिसमें कम से कम 2000-3000 लोग एक साथ नमाज पढ़ सकेंगे. इस पर कुल 15-20 करोड़ रुपये खर्च होंगे.

मस्जिद के जीर्णोद्धार के बाद, एमएचपी अब चेरामन जुमा मस्जिद को केंद्रीय पर्यटन मंत्रालय के तीर्थयात्रा कायाकल्प और आध्यात्मिक संवर्धन अभियान पर राष्ट्रीय मिशन (प्रसाद) में शामिल करने के लिए मंजूरी का इंतजार कर रहा है.

यह भी पढ़ें- जानें, किस मस्जिद में नमाज के लिए टिकट खरीदना हुआ अनिवार्य

अधिकारियों ने बताया कि इस संबंध में केंद्र को 10 करोड़ रुपये की परियोजना का प्रस्ताव भेजा गया है. उन्होंने कहा कि प्रसाद योजना में शामिल होने पर मस्जिद परिसर में एक सुविधा केंद्र का निर्माण और एक तालाब का कायाकल्प किया जाएगा.

नौशाद ने कहा, सबसे पुरानी मस्जिद के पुनर्निर्मित ढांचे की एक झलक पाने के लिए अब राज्य भर से बड़ी संख्या में लोग यहां आ रहे हैं.

चेरामन मस्जिद मुज़िरिस सभ्यता में एक महत्वपूर्ण स्थान रखती है, जिसने पूर्व में प्राचीन विश्व के सबसे बड़े व्यापारिक केंद्र के रूप में गौरव का आनंद लिया, मसालों से लेकर कीमती पत्थरों तक सब कुछ व्यापार किया.

(पीटीआई-भाषा)

Last Updated : Sep 22, 2021, 6:45 PM IST
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