ETV Bharat / bharat

देश में गिर प्रजाति की गाय की पहली क्लोन बछिया गंगा का जन्म, NDRI करनाल के वैज्ञानिकों ने किया कमाल, - गिर गाय की क्लोन बछिया का जन्म

देश में गिर प्रजाति की गाय के पहले क्लोन बछिया का जन्म हरियाणा के करनाल में स्थित NDRI में हुआ है. ये उपलब्धि हासिल करने का श्रेय NDRI के वैज्ञानिकों को जाता है.

NDRI के वैज्ञानिकों ने गिर गाय की पहली क्लोन बछिया तैयार की
NDRI के वैज्ञानिकों ने गिर गाय की पहली क्लोन बछिया तैयार की
author img

By

Published : Mar 28, 2023, 2:20 PM IST

करनाल : देश में दुग्ध उत्पादन के लिए मशहूर गिर प्रजाति की गाय का सफलता पूर्वक क्लोन तैयार किया गया है. ये कारनामा भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद- राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानकों द्वारा किया गया है.

16 मार्च को हुआ गंगा का जन्म- बीते 16 मार्च को करनाल के राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान करनाल में गिर नस्ल की क्लोन बछड़ी का जन्म हुआ. जिसका वजन 32 किलो था और वो पूरी तरह से स्वस्थ है. गिर नस्ल की गाय देश की सबसे फेमस गाय की नस्लों में से एक है. गिर नस्ल की गाय गुजरात में पाई जाती हैं. वैज्ञानिक इस नस्ल के जरिये दूसरी नस्लों की गायों की गुणवत्ता सुधारने में कर रहे हैं.

गिर गाय की पहली क्लोन बछिया का जन्म
गिर गाय की पहली क्लोन बछिया का जन्म

गिर नस्ल की खासियत- गिर नस्ल की गाय की सहनशीलता उसकी सबसे बड़ी खूबियों में शुमार है. ये गाय अधिक तापमान के साथ-साथ कड़ी ठंड भी आसानी से सहन कर लेती है. इस गाय की रोग प्रतिरोधक क्षमता भी इसे खास बनाती है. यही वजह है कि इस गाय की सिर्फ भारत ही नहीं ब्राजील, अमेरिका, मैक्सिको और वेनेजुएला में भी अच्छी खासी डिमांड है.

वैज्ञानिकों की मेहनत का नतीजा- गायों की नस्ल बेहतर करने में जुटी वैज्ञानिकों की एक टीम इस क्षेत्र में कार्य कर रही है. जिसमें डॉ. नरेश सेलोकर, रंजीत वर्मा, अजय असवाल, एमएस चौहान, मनोज कुमार सिंह, कार्तिकेय पटेल, सुभाष कुमार और एसएस लठवाल शामिल हैं. ये टीम पिछले 2 साल से भी अधिक समय से गायों की क्लोनिंग के लिए स्वदेसी विधि विकसित करने में जुटी थी. इस विधि में अल्ट्रासाउंड- निर्देशित सुइयों का इस्तेमाल करके पशु से अंडाणु लेकर उसे अनुकूल परिस्थिति में 24 घंटे रखा जाता है. परिपक्व होने और अन्य कुछ चरणों के बाद इसे गाय में ट्रांसप्लांट किया जाता है. इस पूरी प्रक्रिया के 9 माह बाद क्लोन बछड़े या बछड़ी का जन्म होता है.

दुग्ध उत्पादन के लिए देशभर में मशहूर है गिर प्रजाति की गाय
दुग्ध उत्पादन के लिए देशभर में मशहूर है गिर प्रजाति की गाय

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के महानिदेशक डॉ. हिमांशु पाठक के मुताबिक हमारे पशु देश के अलग-अलग तापमान को झेलते हैं, हर तरह की जलवायु के अनुकूल होने के साथ ही ये पशु रोग प्रतिरोधी क्षमता वाले भी हैं. उन्होंने इस क्लोनिंग के लिए स्वदेशी पद्धति विकसित करने के लिए वैज्ञानिकों को बधाई देते हुए कहा कि मुझे उम्मीद है कि ये टीम तकनीक का विकास करने का शोध जारी रखेगी और ज्यादा से ज्यादा क्लोनिंग के लक्ष्य तक पहुंचेगी. मवेशियों की क्लोनिंग से देश के किसानों के लिए अधिक दूध देने वाली देसी नस्लों की आवश्यकता को पूरा किया जा सकता है.

वहीं करनाल स्थित राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान के निदेशक डॉ. धीर सिंह ने बताया कि इस उपलब्धि से हमें देश में मवेशियों की क्लोनिंग के लिए अनुसंधान गतिविधियों का विस्तार करने में मदद मिलेगी. वैज्ञानिको ने क्लोनिंग तकनीक से अच्छी गुणवत्ता वाले देसी पशुओं के उत्पादन में नए आयाम स्थापित कर रहे हैं. इसकी मदद से भविष्य में हमें देश में अच्छी गुणवत्ता वाले पशु मिलेंगे. इससे किसान सीधे लाभान्वित होंगे.

2021 से शुरु हुआ क्लोनिंग का काम- NDRI के मुताबिक गिर, साहीवाल, थारपारकर और रेड सिंधी जैसी देसी नस्लों की गाय दूध उत्पादन और देश के डेयरी उद्योग के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं. इस दिशा में राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान, करनाल ने 2021 में उत्तराखंड लाइवस्टॉक डेवलपमेंट बोर्ड देहरादून के सहयोग से एनडीआरई करनाल के पूर्व निदेशक डॉ. एमएस चौहान की अगुवाई में गिर, रेड-सिंधी और साहीवाल जैसी देसी गायों की नस्ल की क्लोनिंग का कार्य शुरू हुआ. इन देसी गायों की प्रजाति के संरक्षण और आबादी बढ़ाने के लिए पशु क्लोनिंग जैसी तकनीक इजाद करना एक चुनौतीपूर्ण काम रहा.

ये भी पढ़े: NDRI करनाल ने रचा इतिहास, भैंस की पूंछ के सैल से पैदा किए 2 क्लोन, दोगुना होगा दूध उत्पादन

करनाल : देश में दुग्ध उत्पादन के लिए मशहूर गिर प्रजाति की गाय का सफलता पूर्वक क्लोन तैयार किया गया है. ये कारनामा भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद- राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानकों द्वारा किया गया है.

16 मार्च को हुआ गंगा का जन्म- बीते 16 मार्च को करनाल के राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान करनाल में गिर नस्ल की क्लोन बछड़ी का जन्म हुआ. जिसका वजन 32 किलो था और वो पूरी तरह से स्वस्थ है. गिर नस्ल की गाय देश की सबसे फेमस गाय की नस्लों में से एक है. गिर नस्ल की गाय गुजरात में पाई जाती हैं. वैज्ञानिक इस नस्ल के जरिये दूसरी नस्लों की गायों की गुणवत्ता सुधारने में कर रहे हैं.

गिर गाय की पहली क्लोन बछिया का जन्म
गिर गाय की पहली क्लोन बछिया का जन्म

गिर नस्ल की खासियत- गिर नस्ल की गाय की सहनशीलता उसकी सबसे बड़ी खूबियों में शुमार है. ये गाय अधिक तापमान के साथ-साथ कड़ी ठंड भी आसानी से सहन कर लेती है. इस गाय की रोग प्रतिरोधक क्षमता भी इसे खास बनाती है. यही वजह है कि इस गाय की सिर्फ भारत ही नहीं ब्राजील, अमेरिका, मैक्सिको और वेनेजुएला में भी अच्छी खासी डिमांड है.

वैज्ञानिकों की मेहनत का नतीजा- गायों की नस्ल बेहतर करने में जुटी वैज्ञानिकों की एक टीम इस क्षेत्र में कार्य कर रही है. जिसमें डॉ. नरेश सेलोकर, रंजीत वर्मा, अजय असवाल, एमएस चौहान, मनोज कुमार सिंह, कार्तिकेय पटेल, सुभाष कुमार और एसएस लठवाल शामिल हैं. ये टीम पिछले 2 साल से भी अधिक समय से गायों की क्लोनिंग के लिए स्वदेसी विधि विकसित करने में जुटी थी. इस विधि में अल्ट्रासाउंड- निर्देशित सुइयों का इस्तेमाल करके पशु से अंडाणु लेकर उसे अनुकूल परिस्थिति में 24 घंटे रखा जाता है. परिपक्व होने और अन्य कुछ चरणों के बाद इसे गाय में ट्रांसप्लांट किया जाता है. इस पूरी प्रक्रिया के 9 माह बाद क्लोन बछड़े या बछड़ी का जन्म होता है.

दुग्ध उत्पादन के लिए देशभर में मशहूर है गिर प्रजाति की गाय
दुग्ध उत्पादन के लिए देशभर में मशहूर है गिर प्रजाति की गाय

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के महानिदेशक डॉ. हिमांशु पाठक के मुताबिक हमारे पशु देश के अलग-अलग तापमान को झेलते हैं, हर तरह की जलवायु के अनुकूल होने के साथ ही ये पशु रोग प्रतिरोधी क्षमता वाले भी हैं. उन्होंने इस क्लोनिंग के लिए स्वदेशी पद्धति विकसित करने के लिए वैज्ञानिकों को बधाई देते हुए कहा कि मुझे उम्मीद है कि ये टीम तकनीक का विकास करने का शोध जारी रखेगी और ज्यादा से ज्यादा क्लोनिंग के लक्ष्य तक पहुंचेगी. मवेशियों की क्लोनिंग से देश के किसानों के लिए अधिक दूध देने वाली देसी नस्लों की आवश्यकता को पूरा किया जा सकता है.

वहीं करनाल स्थित राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान के निदेशक डॉ. धीर सिंह ने बताया कि इस उपलब्धि से हमें देश में मवेशियों की क्लोनिंग के लिए अनुसंधान गतिविधियों का विस्तार करने में मदद मिलेगी. वैज्ञानिको ने क्लोनिंग तकनीक से अच्छी गुणवत्ता वाले देसी पशुओं के उत्पादन में नए आयाम स्थापित कर रहे हैं. इसकी मदद से भविष्य में हमें देश में अच्छी गुणवत्ता वाले पशु मिलेंगे. इससे किसान सीधे लाभान्वित होंगे.

2021 से शुरु हुआ क्लोनिंग का काम- NDRI के मुताबिक गिर, साहीवाल, थारपारकर और रेड सिंधी जैसी देसी नस्लों की गाय दूध उत्पादन और देश के डेयरी उद्योग के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं. इस दिशा में राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान, करनाल ने 2021 में उत्तराखंड लाइवस्टॉक डेवलपमेंट बोर्ड देहरादून के सहयोग से एनडीआरई करनाल के पूर्व निदेशक डॉ. एमएस चौहान की अगुवाई में गिर, रेड-सिंधी और साहीवाल जैसी देसी गायों की नस्ल की क्लोनिंग का कार्य शुरू हुआ. इन देसी गायों की प्रजाति के संरक्षण और आबादी बढ़ाने के लिए पशु क्लोनिंग जैसी तकनीक इजाद करना एक चुनौतीपूर्ण काम रहा.

ये भी पढ़े: NDRI करनाल ने रचा इतिहास, भैंस की पूंछ के सैल से पैदा किए 2 क्लोन, दोगुना होगा दूध उत्पादन

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.