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कोविड-19 का भारत में मिला स्वरूप 44 देशों में पाया गया

डब्ल्यूएचओ ने कहा कि कोरोना का बी.1.617 स्वरूप चिंताजनक है. यह अब तक 44 देशों में पाया जा चुका है. यह स्वरूप वायरस के मूल रूप से कहीं अधिक खतरनाक होता है.

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Published : May 12, 2021, 3:58 PM IST

नई दिल्ली : विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने कहा कि भारत में पिछले साल पहली बार सामने आया कोरोना वायरस का बी.1.617 स्वरूप 44 देशों में पाया गया है और यह स्वरूप चिंताजनक है.

संयुक्त राष्ट्र की यह संस्था आए दिन इसका आकलन करती है क्या सार्स सीओवी-2 के स्वरूपों में संक्रमण फैलाने और गंभीरता के लिहाज से बदलाव आए हैं या राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकारियों द्वारा लागू जन स्वास्थ्य और सामाजिक कदमों में बदलाव की आवश्यकता है.

डब्ल्यूएचओ ने मंगलवार को प्रकाशित साप्ताहिक महामारी विज्ञान विज्ञप्ति में बी.1.617 को चिंताजनक स्वरूप (वीओए) बताया.

चिंताजनक स्वरूप वे होते हैं जिन्हें वायरस के मूल रूप से कहीं अधिक खतरनाक माना जाता है. कोरोना वायरस का मूल स्वरूप पहली बार 2019 के अंतिम महीनों में चीन में देखा गया था.

किसी भी स्वरूप से पैदा होने वाले खतरे में संक्रमण फैलने की अधिक आशंका, ज्यादा घातकता और टीकों से अधिक प्रतिरोध होता है.

डब्ल्यूएचओ ने कहा कि बी.1.617 में संक्रमण फैलने की दर अधिक है.

उसने कहा, प्रारंभिक सबूत से पता चला है कि इस स्वरूप में कोविड-19 के इलाज में इस्तेमाल मोनोक्लोनल एंटीबॉडी बामलैनिविमैब की प्रभाव-क्षमता घट जाती है.

पढ़ें :- 2-18 आयुवर्ग के लिए कोवैक्सीन टीके के क्लीनिकल परीक्षण की सिफारिश

कोविड-19 का बी.1.617 स्वरूप सबसे पहले भारत में अक्टूबर 2020 में देखा गया. भारत में कोविड-19 के बढ़ते मामलों और मौतों ने इस स्वरूप की भूमिका को लेकर सवाल खड़े कर दिए हैं.

डब्ल्यूएचओं द्वारा भारत में स्थिति के हालिया आकलन में भारत में कोविड-19 के मामले फिर से बढ़ने और तेज होने में कई कारकों का योगदान होने की आशंका जताई गई है.

इनमें सार्स-सीओवी-2 स्वरूपों के संभावित रूप से संक्रमण फैलाने, धार्मिक और राजनीतिक कार्यक्रम, जन स्वास्थ्य एवं सामाजिक कदमों का पालन कम होना शामिल है.

नई दिल्ली : विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने कहा कि भारत में पिछले साल पहली बार सामने आया कोरोना वायरस का बी.1.617 स्वरूप 44 देशों में पाया गया है और यह स्वरूप चिंताजनक है.

संयुक्त राष्ट्र की यह संस्था आए दिन इसका आकलन करती है क्या सार्स सीओवी-2 के स्वरूपों में संक्रमण फैलाने और गंभीरता के लिहाज से बदलाव आए हैं या राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकारियों द्वारा लागू जन स्वास्थ्य और सामाजिक कदमों में बदलाव की आवश्यकता है.

डब्ल्यूएचओ ने मंगलवार को प्रकाशित साप्ताहिक महामारी विज्ञान विज्ञप्ति में बी.1.617 को चिंताजनक स्वरूप (वीओए) बताया.

चिंताजनक स्वरूप वे होते हैं जिन्हें वायरस के मूल रूप से कहीं अधिक खतरनाक माना जाता है. कोरोना वायरस का मूल स्वरूप पहली बार 2019 के अंतिम महीनों में चीन में देखा गया था.

किसी भी स्वरूप से पैदा होने वाले खतरे में संक्रमण फैलने की अधिक आशंका, ज्यादा घातकता और टीकों से अधिक प्रतिरोध होता है.

डब्ल्यूएचओ ने कहा कि बी.1.617 में संक्रमण फैलने की दर अधिक है.

उसने कहा, प्रारंभिक सबूत से पता चला है कि इस स्वरूप में कोविड-19 के इलाज में इस्तेमाल मोनोक्लोनल एंटीबॉडी बामलैनिविमैब की प्रभाव-क्षमता घट जाती है.

पढ़ें :- 2-18 आयुवर्ग के लिए कोवैक्सीन टीके के क्लीनिकल परीक्षण की सिफारिश

कोविड-19 का बी.1.617 स्वरूप सबसे पहले भारत में अक्टूबर 2020 में देखा गया. भारत में कोविड-19 के बढ़ते मामलों और मौतों ने इस स्वरूप की भूमिका को लेकर सवाल खड़े कर दिए हैं.

डब्ल्यूएचओं द्वारा भारत में स्थिति के हालिया आकलन में भारत में कोविड-19 के मामले फिर से बढ़ने और तेज होने में कई कारकों का योगदान होने की आशंका जताई गई है.

इनमें सार्स-सीओवी-2 स्वरूपों के संभावित रूप से संक्रमण फैलाने, धार्मिक और राजनीतिक कार्यक्रम, जन स्वास्थ्य एवं सामाजिक कदमों का पालन कम होना शामिल है.

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