भुवनेश्वर: पुरुष हॉकी टीम के खिलाड़ी बीरेंद्र लाकड़ा से पहले आज के ही दिन यानी गुरुवार को देश के बेहतरीन ड्रैग फ्लिकर रुपिंदर पाल सिंह ने भी संन्यास लेने का एलान किया था. लाकड़ा ने भारतीय टीम के लिए 201 मैच खेले हैं.
हॉकी इंडिया ने ट्वीट के माध्यम से उनके संन्यास लेने की जानकारी दी. एचआई ने ट्वीट करते हुए लिखा, एक बेहतरीन डिफेंडर और भारत पुरुष हॉकी टीम के मजबूत सदस्य, ओडिशा के स्टार ने भारत की राष्ट्रीय टीम से संन्यास लेने का फैसला किया है. हैप्पी रिटायरमेंट बीरेंद्र लाकड़ा.
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2️⃣0️⃣1️⃣ Caps
— Hockey India (@TheHockeyIndia) September 30, 2021 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
🥉 Olympic Bronze Medallist
A solid defender and one of the most influential Indian Men's Hockey Team figures, the Odisha star has announced his retirement from the Indian national team.
Happy Retirement, Birendra Lakra. 🙌#IndiaKaGame pic.twitter.com/p8m8KkWDb4
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🥉 Olympic Bronze Medallist
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ओडिशा के राउरकेला के रहने वाले लाकड़ा ने अपने हॉकी कैरियर की शुरुआत सेल हॉकी अकादमी से की. अपने ही राज्य के दिलीप टर्की को अपना आदर्श मानने वाले लाकड़ा ने दिलीप को देख ही हॉकी की ककहरा सीखा.
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लाकड़ा साल 2009 में एफआईएच जूनियर विश्व कप के लिए सिंगापुर गई भारतीय टीम का हिस्सा रहे. उन्होंने पहली बार साल 2007 में जूनियर टीम में कदम रखा था. जूनियर स्तर पर अपने प्रदर्शन से लगातार प्रभावित कर रहे लाकड़ा को अंततः सीनियर टीम में जगह मिली.
भारतीय पुरुष हॉकी टीम ने साल 2012 में चैंपियंस ट्रॉफी और एशिया कप 2013 में रजत पदक अपने नाम किए थे. इन दोनों टूर्नामेंट्स में लाकड़ा टीम का हिस्सा थे. साल 2014 में इंचियोन एशियाई खेलों में भारत ने गोल्ड मेडल जीता था. यहां भी लाकड़ा टीम का हिस्सा थे.
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इसके अलावा जकार्ता एशियाई खेलों में भी वह टीम के साथ गए थे. टीम ने यहां कांस्या पदक जीता. उनके हिस्से ओलंपिक पदक नहीं था, लेकिन इस साल जापान की राजधानी में खेले गए ओलंपिक खेलों में उनका ये सपना भी पूरा हो गया. इससे पहले वे रियो ओलंपिक 2016 में टीम का हिस्सा नहीं थे, क्योंकि उस समय लाकड़ा चोट से जूझ रहे थे. साल 2016 में ही उन्हें घुटने में चोट लगी थी. इसी कारण वह रियो ओलंपिक नहीं खेल पाए.