नई दिल्ली : भारत सरकार के वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय ने तूर, मूंग और उड़द के आयात पर लगे हुए प्रतिबंध को हटा लिया है. सरकार के आयात की छूट दिए जाने के निर्णय पर भारतीय किसान संघ ने आपत्ति जताई है.
बुधवार को भारतीय किसान संघ के महामंत्री बद्रीनारायण चौधरी ने मीडिया से वर्चुअल संवाद के दौरान कहा कि सरकार को इस निर्णय पर पुनर्विचार करना चाहिए. दरअसल दाल की ये फसलें खरीफ में पैदा होती हैं और इनके बुआई का समय अब आ चुका है. ऐसे में किसानों के बीच एक असुरक्षा का माहौल बनेगा क्योंकि आयातित दालों के कारण उनको अपनी फसल का पूरा दाम न मिलने की आशंका बनी रहेगी.
भारतीय किसान संघ का कहना है कि सरकार में जिम्मेदार लोग देश को दलहन और तिलहन में आत्मनिर्भर बनाने की बात करते हैं लेकिन समय आने पर कोई उचित निर्णय नहीं लेते है.
किसान संघ का कहना है कि दलहन में देश लगभग आत्मनिर्भर बन चुका है लेकिन वाणिज्य मंत्रालय का हालिया निर्णय किसानों को हतोत्साहित करने वाला है. दालों का आयात आत्मनिर्भरता को प्रभावित करेगा. भारतीय किसान संघ ने मांग की है कि सरकार आयात खोलने के निर्णय को तुरंत वापस ले.
रासायनिक खादों के कीमतों में वृद्धि भी चिंताजनक
वर्ष 2020-21 में IFFCO ने रासायनिक खाद की दरों में डेढ़ गुना तक वृद्धि की है. डीएपी के 50 किलो बैग की कीमत जो पहले 1200 रुपये प्रति बैग होती थी अब 1900 रुपये प्रति बैग हो चुकी है. नई दरों को मई महीने से लागू कर दिया गया है जिससे किसानों के बीच निराशा है.
हालांकि उर्वरक मंत्रालय ने कहा है कि ऐसे समय में रासायनिक खाद बनाने वाली कंपनियां बढ़ी हुई कीमतों पर खाद नहीं बेच सकतीं लेकिन जमीनी हकीकत यही है कि डीलर किसानों को नई कीमत ही वसूल रहे हैं.
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डीलरों की दलील है कि जब उन्होंने महंगा खरीदा है तो वह किसानों को सस्ता कैसे दे सकते हैं? ऐसे में किसानों के बीच भ्रांति फैल रही है. किसान संघ ने सरकार से इस मामले में स्पष्ट घोषणा करने और यह निर्देश जारी करने की मांग की है कि किसानों को पुरानी कीमत पर ही खाद बेची जाए.