ETV Bharat / bharat

सुप्रीम कोर्ट की कमेटी के सदस्य बोले- एमएसपी पर कानून बना तो भारतीय अर्थव्यवस्था को करना होगा संकट का सामना

घनवत, शेतकारी संगठन के अध्यक्ष हैं. उन्होंने कहा कि यह एक संकट होने जा रहा है क्योंकि न केवल व्यापारियों को बल्कि स्टॉकिस्टों और इससे जुड़े सभी लोगों को भी नुकसान होगा. यहां तक ​​​​कि कमोडिटी बाजार भी परेशान होगा.

भारतीय अर्थव्यवस्था को करना होगा संकट का सामना
भारतीय अर्थव्यवस्था को करना होगा संकट का सामना
author img

By

Published : Nov 23, 2021, 4:23 AM IST

नई दिल्ली: कृषि कानूनों (Farm Laws) पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) द्वारा नियुक्त समिति के सदस्य अनिल घनवत (Anil Ghanwat) ने सोमवार को कहा कि अगर फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की गारंटी के लिए कानून बनाया जाता है, तो भारतीय अर्थव्यवस्था को संकट का सामना करना पड़ेगा. उन्होंने तीन कृषि कानूनों को वापस लेने के फैसले को दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया है.

घनवत ने कहा कि अगर कोई कानून (MSP पर) बनने जा रहा है, तो हम (भारत) एक संकट का सामना करेंगे. कानून के साथ, अगर किसी दिन (खरीद) प्रक्रिया कम हो जाती है, तो कोई भी इसे खरीद के रूप में नहीं खरीद पाएगा. एमएसपी से कम कीमत अवैध होगी और व्यापारीको इसके लिए जेलों में डाल दिया जाएगा.

दूसरे तरीके पर ध्यान देने की जरुरत

घनवत, शेतकारी संगठन के अध्यक्ष हैं. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार और किसान नेताओं, दोनों को कृषि आय को बढ़ावा देने के लिए किसी अन्य तरीके के बारे में सोचना चाहिए और एमएसपी पर कानून कोई समाधान नहीं है. यह एक संकट होने जा रहा है क्योंकि न केवल व्यापारियों को बल्कि स्टॉकिस्टों और इससे जुड़े सभी लोगों को भी नुकसान होगा. यहां तक ​​​​कि कमोडिटी बाजार भी परेशान होगा.

हम एमएसपी के खिलाफ नहीं लेकिन...

घनवत ने कहा कि हम एमएसपी के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन खुली खरीद एक समस्या है. हमें बफर स्टॉक के लिए 41 लाख टन अनाज की आवश्यकता है, लेकिन 110 लाख टन की खरीद की है. यदि एमएसपी कानून बनता है, तो सभी किसान अपनी फसलों के लिए एमएसपी की मांग करेंगे और कोई भी नहीं करेगा उसमें से कुछ भी कमाने की स्थिति में हो.

कानूनों को निरस्त किया जाना दुर्भाग्यपूर्ण

उन्होंने कहा कहा कि कानूनों को निरस्त किया जाना दुर्भाग्यपूर्ण है. किसान पिछले 40 सालों से सुधार की मांग कर रहे थे. यह अच्छा कदम नहीं है. कृषि की मौजूदा व्यवस्था पर्याप्त नहीं है. यहां तक ​​​​कि अगर पेश किए गए नए कानून बहुत सही नहीं थे, तो कुछ खामियां थीं जिन्हें ठीक करने की आवश्यकता थी. मुझे लगता है कि इस सरकार में कृषि में सुधार करने की इच्छा थी क्योंकि पहले की सरकारों में राजनीतिक इच्छाशक्ति नहीं थी. मुझे उम्मीद है कि एक और समिति सभी राज्यों के विपक्षी नेताओं और कृषि नेताओं को मिलाकर बनाया जाएगा और फिर संसद में नए कृषि कानूनों पर चर्चा की जाएगी और इसे पेश किया जाना चाहिए.

घनवत ने कहा कि सरकार को देश चलाना है और राजनीति भी करनी है. कहा कि तीन कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन 'कानून और व्यवस्था की स्थिति भी पैदा कर रहा था'. उन्होंने कहा कि सरकार ने सोचा होगा कि अगर स्थिति ऐसे ही बनी रही, तो आगामी उत्तर प्रदेश चुनाव उनके लिए आसान नहीं होगा और उन्हें नुकसान हो सकता है. इसलिए नुकसान से बचने के लिए उन्होंने यह कदम उठाया होगा. घनवत ने यह भी सुझाव दिया कि किसानों को अपनी उपज में विविधता लानी चाहिए और उच्च मूल्य वाली फसलों के लिए जाना चाहिए जिससे उन्हें अधिक लाभ मिले.

पढ़ें: संसद में निरस्त करें कानून और MSP पर कानूनी गारंटी दें, तब तक संघर्ष जारी रहेगा : पंजाब के ग्रामीण

ईसी एक्ट को बरकरार रखा जाए

उन्होंने कहा कि हमें आवश्यक वस्तु अधिनियम (essential commodity act) को रद्द करना होगा क्योंकि इसका उपयोग किसानों के खिलाफ एक हथियार के रूप में किया जाता है. जब भी कीमतें बढ़ती हैं, तो किसानों को कुछ लाभ मिलता है, सरकार हस्तक्षेप करती है और स्टॉक सीमा में डाल देती है. यह परिवहन सीमाओं पर और भी अधिक ब्याज लगाता है. यह लगाता है निर्यात प्रतिबंध. ये वे हथियार हैं जिनका उपयोग कृषि उपज की कीमतों को कम करने के लिए किया जाता है जो किसानों को नुकसान पहुंचा रहा है. उन्होंने कहा, यह (तीन कृषि कानून) इस सरकार द्वारा कृषि को कुछ स्वतंत्रता देने का एक प्रयास था, लेकिन दुर्भाग्य से, अब हम इसे खो चुके हैं.

नई दिल्ली: कृषि कानूनों (Farm Laws) पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) द्वारा नियुक्त समिति के सदस्य अनिल घनवत (Anil Ghanwat) ने सोमवार को कहा कि अगर फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की गारंटी के लिए कानून बनाया जाता है, तो भारतीय अर्थव्यवस्था को संकट का सामना करना पड़ेगा. उन्होंने तीन कृषि कानूनों को वापस लेने के फैसले को दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया है.

घनवत ने कहा कि अगर कोई कानून (MSP पर) बनने जा रहा है, तो हम (भारत) एक संकट का सामना करेंगे. कानून के साथ, अगर किसी दिन (खरीद) प्रक्रिया कम हो जाती है, तो कोई भी इसे खरीद के रूप में नहीं खरीद पाएगा. एमएसपी से कम कीमत अवैध होगी और व्यापारीको इसके लिए जेलों में डाल दिया जाएगा.

दूसरे तरीके पर ध्यान देने की जरुरत

घनवत, शेतकारी संगठन के अध्यक्ष हैं. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार और किसान नेताओं, दोनों को कृषि आय को बढ़ावा देने के लिए किसी अन्य तरीके के बारे में सोचना चाहिए और एमएसपी पर कानून कोई समाधान नहीं है. यह एक संकट होने जा रहा है क्योंकि न केवल व्यापारियों को बल्कि स्टॉकिस्टों और इससे जुड़े सभी लोगों को भी नुकसान होगा. यहां तक ​​​​कि कमोडिटी बाजार भी परेशान होगा.

हम एमएसपी के खिलाफ नहीं लेकिन...

घनवत ने कहा कि हम एमएसपी के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन खुली खरीद एक समस्या है. हमें बफर स्टॉक के लिए 41 लाख टन अनाज की आवश्यकता है, लेकिन 110 लाख टन की खरीद की है. यदि एमएसपी कानून बनता है, तो सभी किसान अपनी फसलों के लिए एमएसपी की मांग करेंगे और कोई भी नहीं करेगा उसमें से कुछ भी कमाने की स्थिति में हो.

कानूनों को निरस्त किया जाना दुर्भाग्यपूर्ण

उन्होंने कहा कहा कि कानूनों को निरस्त किया जाना दुर्भाग्यपूर्ण है. किसान पिछले 40 सालों से सुधार की मांग कर रहे थे. यह अच्छा कदम नहीं है. कृषि की मौजूदा व्यवस्था पर्याप्त नहीं है. यहां तक ​​​​कि अगर पेश किए गए नए कानून बहुत सही नहीं थे, तो कुछ खामियां थीं जिन्हें ठीक करने की आवश्यकता थी. मुझे लगता है कि इस सरकार में कृषि में सुधार करने की इच्छा थी क्योंकि पहले की सरकारों में राजनीतिक इच्छाशक्ति नहीं थी. मुझे उम्मीद है कि एक और समिति सभी राज्यों के विपक्षी नेताओं और कृषि नेताओं को मिलाकर बनाया जाएगा और फिर संसद में नए कृषि कानूनों पर चर्चा की जाएगी और इसे पेश किया जाना चाहिए.

घनवत ने कहा कि सरकार को देश चलाना है और राजनीति भी करनी है. कहा कि तीन कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन 'कानून और व्यवस्था की स्थिति भी पैदा कर रहा था'. उन्होंने कहा कि सरकार ने सोचा होगा कि अगर स्थिति ऐसे ही बनी रही, तो आगामी उत्तर प्रदेश चुनाव उनके लिए आसान नहीं होगा और उन्हें नुकसान हो सकता है. इसलिए नुकसान से बचने के लिए उन्होंने यह कदम उठाया होगा. घनवत ने यह भी सुझाव दिया कि किसानों को अपनी उपज में विविधता लानी चाहिए और उच्च मूल्य वाली फसलों के लिए जाना चाहिए जिससे उन्हें अधिक लाभ मिले.

पढ़ें: संसद में निरस्त करें कानून और MSP पर कानूनी गारंटी दें, तब तक संघर्ष जारी रहेगा : पंजाब के ग्रामीण

ईसी एक्ट को बरकरार रखा जाए

उन्होंने कहा कि हमें आवश्यक वस्तु अधिनियम (essential commodity act) को रद्द करना होगा क्योंकि इसका उपयोग किसानों के खिलाफ एक हथियार के रूप में किया जाता है. जब भी कीमतें बढ़ती हैं, तो किसानों को कुछ लाभ मिलता है, सरकार हस्तक्षेप करती है और स्टॉक सीमा में डाल देती है. यह परिवहन सीमाओं पर और भी अधिक ब्याज लगाता है. यह लगाता है निर्यात प्रतिबंध. ये वे हथियार हैं जिनका उपयोग कृषि उपज की कीमतों को कम करने के लिए किया जाता है जो किसानों को नुकसान पहुंचा रहा है. उन्होंने कहा, यह (तीन कृषि कानून) इस सरकार द्वारा कृषि को कुछ स्वतंत्रता देने का एक प्रयास था, लेकिन दुर्भाग्य से, अब हम इसे खो चुके हैं.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.