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तेल उद्योग जगत के नेताओं की बैठक में कच्चे तेल की कीमतों में कटौती पर जोर देगा भारत - कटौती पर जोर देगा भारत

तेल उत्पादक देशों के नेता और ऊर्जा मंत्री और तेल उद्योग के शीर्ष अधिकारियों की इस सप्ताह नई दिल्ली में होने वाली बैठक में भारतीय नेतृत्व अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में कटौती के लिए एक मजबूत मामला बनाएगा. पढ़िए ईटीवी भारत के वरिष्ठ संवाददाता कृष्णानंद त्रिपाठी की रिपोर्ट..

तेल उद्योग
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Published : Oct 19, 2021, 3:30 AM IST

नई दिल्ली : तेल उत्पादक देशों के नेता और ऊर्जा मंत्री और तेल उद्योग के शीर्ष अधिकारियों की इस सप्ताह नई दिल्ली में होने वाली बैठक में भारतीय नेतृत्व अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में कटौती के लिए एक मजबूत मामला बनाएगा.

उक्त जानकारी पेट्रोलियम मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने दी. उन्होंने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि हम ओपेक देशों सहित तेल उत्पादक देशों को कच्चे तेल की कीमतों में कटौती करने के लिए कह रहे हैं क्योंकि यह उनके हित में भी है. उन्होंने कहा कि यदि वैश्विक अर्थव्यवस्था में नाजुक सुधार लड़खड़ाता है तो यह ऊर्जा की मांग को नीचे धकेल देगा और कच्चे तेल की कीमतें नीचे आ जाएंगी जो तेल उत्पादक देशों के लिए अच्छा नहीं होगा.

भारत अपनी ऊर्जा आवश्यकता का लगभग 85 फीसदी विदेशों से आयात करता है और देश इन दिनों एक कठिन दौर से गुजर रहा है क्योंकि अंतरराष्ट्रीय बाजार में भारत द्वारा आयातित कच्चे तेल की कीमतें लगभग 85 डॉलर प्रति बैरल हैं, जो तीन साल के सबसे उच्च स्तर पर हैं.

वहीं पेट्रोलियम मंत्रालय के पास उपलब्ध नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, भारत ने पिछले पांच वर्षों में कच्चे तेल और गैस के आयात पर प्रति वर्ष औसतन 100 अरब डॉलर से अधिक खर्च किए हैं. देश पहले ही चालू वित्त वर्ष (अप्रैल-अगस्त 2021) के पहले पांच महीनों में कच्चे तेल, गैस और अन्य पेट्रोलियम उत्पादों के आयात पर लगभग 50 अरब डॉलर खर्च कर चुका है. बता दें कि तेल उत्पादक देशों और कंपनियों के शीर्ष निर्णय निर्माता IHS मार्किट द्वारा आयोजित CERAWeek सम्मेलन में भाग लेने के लिए इस सप्ताह दो दिनों के लिए नई दिल्ली में जुटेंगे.

ये भी पढ़ें - खाने के तेल की कीमतों ने भी बिगाड़ा किचन का बजट, जानिये क्यों बढ़ रहे दाम और खपत ?

इस दौरान तेल उद्योग के नेताओं में सऊदी अरब के ऊर्जा मंत्री, प्रिंस सलमान बिन अब्दुलअज़ीज़ अल सऊद के अलावा अमेरिकी ऊर्जा सचिव जेनिफर ग्रानहोम, पेट्रोलियम निर्यातक देशों के संगठन (ओपेक) के महासचिव मोहम्मद सानुसी बरकिंडो, सुल्तान अहमद अल जाबेर के अलावा संयुक्त अरब अमीरात के उद्योग और उन्नत प्रौद्योगिकी मंत्री सहित कई अन्य लोग भाग लेंगे. भारतीय पक्ष का प्रतिनिधित्व पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी, सचिव तरुण कपूर, पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव और वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल और अन्य उद्योग जगत के नेता करेंगे. कार्यक्रम से इतर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के तेल उद्योग के नेताओं के साथ बातचीत करने की भी उम्मीद है.

कच्चे तेल की ऊंची कीमतें वैकल्पिक स्रोतों को बढ़ावा देंगी

अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की उच्च कीमतों के कारणों के बारे में बात करते हुए पेट्रोलियम मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि यह मुख्य रूप से तेल उत्पादक देशों में अन्वेषण और उत्पादन गतिविधि में कम निवेश के कारण था, जिसकी वजह से आपूर्ति प्रभावित हुई. अधिकारी ने कहा कि तेल उत्पादक देशों में अन्वेषण और उत्पादन गतिविधियों में निवेश में गिरावट आई है क्योंकि प्रमुख उपभोक्ता सौर, पवन और जल विद्युत जैसे गैर-जीवाश्म ईंधन स्रोतों की ओर बढ़ रहे हैं. उन्होंने कहा कि कई वर्षों से ऊर्जा के गैरस्रोतों में रुचि और निवेश बढ़ रहा है, जिसके कारण पारंपरिक ऊर्जा क्षेत्रों जैसे तेल और गैस में कम निवेश उनके उत्पादन को प्रभावित कर रहा है. आयोजित होने वाले सम्मेलन का शीर्षक 'क्या उच्च कीमतें तेल से दूर संक्रमण को गति देंगी?' रखा गया है. इसमें तेल उद्योग के नेता कच्चे तेल की ऊंची कीमतों के अलावा अन्य पहलुओं पर भी विचार-विमर्श करेंगे.

पेट्रोल-डीजल की कीमतें रिकॉर्ड ऊंचाई पर

नई दिल्ली में महत्वपूर्ण तेल उद्योग के नेताओं की बैठक ऐसे समय में हो रही है जब देश में पेट्रोल और डीजल की खुदरा कीमतें रिकॉर्ड ऊंचाई पर हैं. राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में जहां पेट्रोल 100 रुपये प्रति लीटर से अधिक बिक रहा है, वहीं डीजल की कीमतें भी कई शहरों में 100 रुपये प्रति लीटर से अधिक हो गई हैं. इसी तरह घरेलू गैस सिलेंडर की कीमत भी 900 रुपये प्रति सिलेंडर के करीब है. वहीं रिकॉर्ड कीमतों ने देश में पेट्रोल और डीजल पर कर ढांचे पर एक तीखी बहस छेड़ दी है क्योंकि केंद्र और राज्य दोनों देश में पेट्रोलियम उत्पादों के उत्पादन और बिक्री से कर लगाते हैं और एकत्र करते हैं.

वहीं दोहरे कर ढांचे को देखते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अक्सर खुदरा कीमतों को कम करने में राज्यों का सहयोग मांगा है. हालांकि, एक संयुक्त रणनीति के अभाव में केंद्र और राज्य दोनों उच्च कर वसूलना जारी रखते हैं जो उनके राजस्व का एक प्रमुख स्रोत है. वहीं केंद्र ने पिछले वित्तीय वर्ष में पेट्रोलियम क्षेत्र से 4.55 लाख करोड़ रुपये से अधिक का संग्रह किया, जिसमें 3.72 लाख करोड़ रुपये से अधिक का उत्पाद शुल्क संग्रह भी शामिल है. इसी तरह राज्यों ने संचयी रूप से 2.17 लाख करोड़ रुपये से अधिक का संग्रह किया. वहीं राज्य वित्त आयोग द्वारा अनुशंसित हस्तांतरण फार्मूले के तहत पेट्रोलियम क्षेत्र से केंद्र के कर संग्रह का 40 फीसदी से अधिक प्राप्त करने के भी हकदार है.

नई दिल्ली : तेल उत्पादक देशों के नेता और ऊर्जा मंत्री और तेल उद्योग के शीर्ष अधिकारियों की इस सप्ताह नई दिल्ली में होने वाली बैठक में भारतीय नेतृत्व अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में कटौती के लिए एक मजबूत मामला बनाएगा.

उक्त जानकारी पेट्रोलियम मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने दी. उन्होंने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि हम ओपेक देशों सहित तेल उत्पादक देशों को कच्चे तेल की कीमतों में कटौती करने के लिए कह रहे हैं क्योंकि यह उनके हित में भी है. उन्होंने कहा कि यदि वैश्विक अर्थव्यवस्था में नाजुक सुधार लड़खड़ाता है तो यह ऊर्जा की मांग को नीचे धकेल देगा और कच्चे तेल की कीमतें नीचे आ जाएंगी जो तेल उत्पादक देशों के लिए अच्छा नहीं होगा.

भारत अपनी ऊर्जा आवश्यकता का लगभग 85 फीसदी विदेशों से आयात करता है और देश इन दिनों एक कठिन दौर से गुजर रहा है क्योंकि अंतरराष्ट्रीय बाजार में भारत द्वारा आयातित कच्चे तेल की कीमतें लगभग 85 डॉलर प्रति बैरल हैं, जो तीन साल के सबसे उच्च स्तर पर हैं.

वहीं पेट्रोलियम मंत्रालय के पास उपलब्ध नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, भारत ने पिछले पांच वर्षों में कच्चे तेल और गैस के आयात पर प्रति वर्ष औसतन 100 अरब डॉलर से अधिक खर्च किए हैं. देश पहले ही चालू वित्त वर्ष (अप्रैल-अगस्त 2021) के पहले पांच महीनों में कच्चे तेल, गैस और अन्य पेट्रोलियम उत्पादों के आयात पर लगभग 50 अरब डॉलर खर्च कर चुका है. बता दें कि तेल उत्पादक देशों और कंपनियों के शीर्ष निर्णय निर्माता IHS मार्किट द्वारा आयोजित CERAWeek सम्मेलन में भाग लेने के लिए इस सप्ताह दो दिनों के लिए नई दिल्ली में जुटेंगे.

ये भी पढ़ें - खाने के तेल की कीमतों ने भी बिगाड़ा किचन का बजट, जानिये क्यों बढ़ रहे दाम और खपत ?

इस दौरान तेल उद्योग के नेताओं में सऊदी अरब के ऊर्जा मंत्री, प्रिंस सलमान बिन अब्दुलअज़ीज़ अल सऊद के अलावा अमेरिकी ऊर्जा सचिव जेनिफर ग्रानहोम, पेट्रोलियम निर्यातक देशों के संगठन (ओपेक) के महासचिव मोहम्मद सानुसी बरकिंडो, सुल्तान अहमद अल जाबेर के अलावा संयुक्त अरब अमीरात के उद्योग और उन्नत प्रौद्योगिकी मंत्री सहित कई अन्य लोग भाग लेंगे. भारतीय पक्ष का प्रतिनिधित्व पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी, सचिव तरुण कपूर, पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव और वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल और अन्य उद्योग जगत के नेता करेंगे. कार्यक्रम से इतर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के तेल उद्योग के नेताओं के साथ बातचीत करने की भी उम्मीद है.

कच्चे तेल की ऊंची कीमतें वैकल्पिक स्रोतों को बढ़ावा देंगी

अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की उच्च कीमतों के कारणों के बारे में बात करते हुए पेट्रोलियम मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि यह मुख्य रूप से तेल उत्पादक देशों में अन्वेषण और उत्पादन गतिविधि में कम निवेश के कारण था, जिसकी वजह से आपूर्ति प्रभावित हुई. अधिकारी ने कहा कि तेल उत्पादक देशों में अन्वेषण और उत्पादन गतिविधियों में निवेश में गिरावट आई है क्योंकि प्रमुख उपभोक्ता सौर, पवन और जल विद्युत जैसे गैर-जीवाश्म ईंधन स्रोतों की ओर बढ़ रहे हैं. उन्होंने कहा कि कई वर्षों से ऊर्जा के गैरस्रोतों में रुचि और निवेश बढ़ रहा है, जिसके कारण पारंपरिक ऊर्जा क्षेत्रों जैसे तेल और गैस में कम निवेश उनके उत्पादन को प्रभावित कर रहा है. आयोजित होने वाले सम्मेलन का शीर्षक 'क्या उच्च कीमतें तेल से दूर संक्रमण को गति देंगी?' रखा गया है. इसमें तेल उद्योग के नेता कच्चे तेल की ऊंची कीमतों के अलावा अन्य पहलुओं पर भी विचार-विमर्श करेंगे.

पेट्रोल-डीजल की कीमतें रिकॉर्ड ऊंचाई पर

नई दिल्ली में महत्वपूर्ण तेल उद्योग के नेताओं की बैठक ऐसे समय में हो रही है जब देश में पेट्रोल और डीजल की खुदरा कीमतें रिकॉर्ड ऊंचाई पर हैं. राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में जहां पेट्रोल 100 रुपये प्रति लीटर से अधिक बिक रहा है, वहीं डीजल की कीमतें भी कई शहरों में 100 रुपये प्रति लीटर से अधिक हो गई हैं. इसी तरह घरेलू गैस सिलेंडर की कीमत भी 900 रुपये प्रति सिलेंडर के करीब है. वहीं रिकॉर्ड कीमतों ने देश में पेट्रोल और डीजल पर कर ढांचे पर एक तीखी बहस छेड़ दी है क्योंकि केंद्र और राज्य दोनों देश में पेट्रोलियम उत्पादों के उत्पादन और बिक्री से कर लगाते हैं और एकत्र करते हैं.

वहीं दोहरे कर ढांचे को देखते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अक्सर खुदरा कीमतों को कम करने में राज्यों का सहयोग मांगा है. हालांकि, एक संयुक्त रणनीति के अभाव में केंद्र और राज्य दोनों उच्च कर वसूलना जारी रखते हैं जो उनके राजस्व का एक प्रमुख स्रोत है. वहीं केंद्र ने पिछले वित्तीय वर्ष में पेट्रोलियम क्षेत्र से 4.55 लाख करोड़ रुपये से अधिक का संग्रह किया, जिसमें 3.72 लाख करोड़ रुपये से अधिक का उत्पाद शुल्क संग्रह भी शामिल है. इसी तरह राज्यों ने संचयी रूप से 2.17 लाख करोड़ रुपये से अधिक का संग्रह किया. वहीं राज्य वित्त आयोग द्वारा अनुशंसित हस्तांतरण फार्मूले के तहत पेट्रोलियम क्षेत्र से केंद्र के कर संग्रह का 40 फीसदी से अधिक प्राप्त करने के भी हकदार है.

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