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पाक को छोड़कर इन देशों को भारत देगा कोरोना का टीका

केंद्र सरकार ने पाकिस्तान को छोड़कर अन्य पड़ोसी देशों को कोरोना टीका निर्यात करने का निर्णय लिया है. इन देशों को कोरोना टीका की पहली खेप फ्री में दी जाएगी. इसके बाद निर्यात वाणिज्यिक आधार पर किया जाएगा. हालांकि इन देशों में पाकिस्तान को शामिल नहीं किया गया है. इस बात की जानकारी सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम नहीं छापने की शर्त पर दी. विस्तार से पढ़ें पूरी खबर...

कोरोना टीका करेगा निर्यात
कोरोना टीका करेगा निर्यात
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Published : Jan 18, 2021, 9:56 PM IST

नई दिल्ली : केंद्र सरकार ने भूटान, बांग्लादेश, म्यांमार, नेपाल सहित पड़ोसी देशों को कोरोना वैक्सीन नि:शुल्क में देने का फैसला किया है. हालांकि, इसमें सरकार ने पाकिस्तान का नाम नहीं शामिल किया है.

ईटीवी भारत से सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि वैक्सीन को लेकर पाकिस्तान की तरफ से कोई अनुरोध नहीं किया गया है.

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने सोमवार को विदेश मंत्रालय और रासायनिक और उर्वरक मंत्रालय के प्रतिनिधियों के साथ एक बैठक की. इस दौरान टीके के निर्यात के मुद्दे पर चर्चा की गई. बैठक में भारत बायोटेक और सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (SII) के प्रतिनिधि भी मौजूद रहे.

हालांकि, बैठक के बाद कोई आधिकारिक बयान नहीं जारी किया गया, लेकिन सूत्रों ने कहा कि कोवैक्सीन को मंगोलिया, ओमान, म्यांमार, बहरीन, फिलीपींस, मालदीव और मॉरिशस में भेजा जाएगा. वहीं कोविशील्ड को अफगानिस्तान, भूटान, बांग्लादेश, नेपाल और सेशेल्स में निर्यात किया जाएगा.

अधिकारी ने कहा कि घरेलू उपयोग के लिए वैक्सीन की उपलब्धता सुनिश्चित करने के बाद यह निर्णय लिया गया है. टीकों का निर्यात इसलिए किया जाएगा, ताकि जरूरत वाले देश अपनी प्रारंभिक आवश्यकताओं को पूरा कर सकें.

देशों को उनकी आवश्यकताओं के अनुसार टीके दिए जाएंगे. अधिकारियों ने कहा कि कम विकसित देशों को निर्यात की पहली खेप नि:शुल्क दी जाएगी और बाद में निर्यात वाणिज्यिक आधार पर किया जाएगा.

इससे पहले, केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने कहा कि कोरोना टीकों के निर्यात पर कोई प्रतिबंध नहीं लगाया गया है.

यह भी पढ़ें- कोरोना टीकाकरण : देशभर में अब तक 3.81 लाख से अधिक लोगों को लगी वैक्सीन

बता दें कि इससे पहले भारत ने कई देशों को हाइड्रोक्सीक्लोरोक्विन का निर्यात किया था.

गौरतलब है कि भारत ने पिछले सप्ताह आपातकालीन उपयोग के लिए स्वीकृत दो टीकों को मंजूरी दे दी है - एक ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय और एस्ट्राजेनेका द्वारा विकसित किया गया है, जबकि दूसरा भारत बायोटेक और भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद द्वारा विकसित किया गया है.

16 जनवरी से भारत सरकार की योजना लगभग 30 करोड़ उच्च-प्राथमिकता वाले लोगों को टीका लगाना है, जिनमें स्वास्थ्यकर्मी, बुजुर्ग और अगस्त तक उच्च कोमोरबिडिटी वाले लोग शामिल हैं.

नई दिल्ली : केंद्र सरकार ने भूटान, बांग्लादेश, म्यांमार, नेपाल सहित पड़ोसी देशों को कोरोना वैक्सीन नि:शुल्क में देने का फैसला किया है. हालांकि, इसमें सरकार ने पाकिस्तान का नाम नहीं शामिल किया है.

ईटीवी भारत से सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि वैक्सीन को लेकर पाकिस्तान की तरफ से कोई अनुरोध नहीं किया गया है.

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने सोमवार को विदेश मंत्रालय और रासायनिक और उर्वरक मंत्रालय के प्रतिनिधियों के साथ एक बैठक की. इस दौरान टीके के निर्यात के मुद्दे पर चर्चा की गई. बैठक में भारत बायोटेक और सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (SII) के प्रतिनिधि भी मौजूद रहे.

हालांकि, बैठक के बाद कोई आधिकारिक बयान नहीं जारी किया गया, लेकिन सूत्रों ने कहा कि कोवैक्सीन को मंगोलिया, ओमान, म्यांमार, बहरीन, फिलीपींस, मालदीव और मॉरिशस में भेजा जाएगा. वहीं कोविशील्ड को अफगानिस्तान, भूटान, बांग्लादेश, नेपाल और सेशेल्स में निर्यात किया जाएगा.

अधिकारी ने कहा कि घरेलू उपयोग के लिए वैक्सीन की उपलब्धता सुनिश्चित करने के बाद यह निर्णय लिया गया है. टीकों का निर्यात इसलिए किया जाएगा, ताकि जरूरत वाले देश अपनी प्रारंभिक आवश्यकताओं को पूरा कर सकें.

देशों को उनकी आवश्यकताओं के अनुसार टीके दिए जाएंगे. अधिकारियों ने कहा कि कम विकसित देशों को निर्यात की पहली खेप नि:शुल्क दी जाएगी और बाद में निर्यात वाणिज्यिक आधार पर किया जाएगा.

इससे पहले, केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने कहा कि कोरोना टीकों के निर्यात पर कोई प्रतिबंध नहीं लगाया गया है.

यह भी पढ़ें- कोरोना टीकाकरण : देशभर में अब तक 3.81 लाख से अधिक लोगों को लगी वैक्सीन

बता दें कि इससे पहले भारत ने कई देशों को हाइड्रोक्सीक्लोरोक्विन का निर्यात किया था.

गौरतलब है कि भारत ने पिछले सप्ताह आपातकालीन उपयोग के लिए स्वीकृत दो टीकों को मंजूरी दे दी है - एक ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय और एस्ट्राजेनेका द्वारा विकसित किया गया है, जबकि दूसरा भारत बायोटेक और भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद द्वारा विकसित किया गया है.

16 जनवरी से भारत सरकार की योजना लगभग 30 करोड़ उच्च-प्राथमिकता वाले लोगों को टीका लगाना है, जिनमें स्वास्थ्यकर्मी, बुजुर्ग और अगस्त तक उच्च कोमोरबिडिटी वाले लोग शामिल हैं.

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