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भारत को AI से होने वाली उथल-पुथल का सामना करने के लिए तैयार रहना चाहिए : राजनाथ - Rajnath Artificial Intelligence in Defense Conference

नई दिल्ली में आर्टीफिशियल इंटेलिजेंस इन डिफेंस सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सोमवार को कि मानवता की तरक्की और शांति के लिए एआई का इस्तेमाल करना चाहिए, न कि कोई देश इस तकनीक पर भी अपना प्रभुत्व स्थापित कर ले और बाकी मुल्क इसके लाभ से वंचित रह जाए.

राजनाथ
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Published : Jul 11, 2022, 3:31 PM IST

नई दिल्ली : रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सोमवार को कहा कि भारत को कृत्रिम मेधा (AI) प्रणाली पर बेहद सावधानी के साथ काम करने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि देश को इस तकनीक से होने वाली कानूनी, नीतिसंबंधी, राजनीतिक और आर्थिक उथल-पुथल का सामना करने के लिए तैयार रहना चाहिए. राजनाथ ने कहा, "हमें मानवता की तरक्की और शांति के लिए AI का इस्तेमाल करना होगा. ऐसा नहीं होना चाहिए कि कोई देश या देशों का समूह परमाणु ऊर्जा की तरह ही इस तकनीक पर भी अपना प्रभुत्व स्थापित कर ले और बाकी मुल्क AI का लाभ नहीं उठा पाएं."

रक्षा मंत्री ने नई दिल्ली में आर्टीफिशियल इंटेलिजेंस इन डिफेंस (रक्षा क्षेत्र में कृत्रिम मेधा) सम्मेलन का उद्घाटन करने के बाद यह टिप्पणी की. उन्होंने AI की नीतियों और खतरों पर गंभीरता से विचार करने की सलाह दी. राजनाथ ने कहा, "हम AI की प्रगति को नहीं रोक सकते और हमें इसकी प्रगति रोकने की कोशिश भी नहीं करनी चाहिए. लेकिन इसे लेकर बहुत सावधानी बरतने की जरूरत है." उन्होंने कहा कि जब कोई नई तकनीक व्यापक बदलाव लेकर आती है तो उसका संक्रमण काल भी बेहद लंबा और जटिल होता है.

रक्षा मंत्री ने कहा, "चूंकि, AI एक ऐसी तकनीक है, जो व्यापक बदलाव ला सकती है, लिहाजा हमें इससे होने वाली कानूनी, नीतिसंबंधी, राजनीतिक और आर्थिक उथल-पुथल का सामना करने के लिए तैयार रहना चाहिए. आने वाले समय में हमें AI पर बेहद सावधानी से काम करने की जरूरत है, ताकि यह तकनीक नियंत्रण से बाहर न चली जाए."

राजनाथ ने कहा कि किसी तकनीक की दस्तक घड़ी की सुइयों की तरह है, जो एक बार आगे बढ़ जाएं तो उन्हें पीछे ले जाना संभव नहीं होता है. उन्होंने कहा, "जब भी कोई नयी तकनीक आती है तो समाज उसके हिसाब से ढलने में अपना समय लेता है." रक्षा मंत्री ने यह भी कहा कि देश को इस तकनीक का लोकतांत्रिक इस्तेमाल सुनिश्चित करना चाहिए. उन्होंने कहा, "AI के चलते रक्षा क्षेत्र में महत्वपूर्ण बदलाव हो रहे हैं. इस तकनीक की मदद से जवानों के प्रशिक्षण की प्रक्रिया में सुधार आ रहा है."

कार्यक्रम में राजनाथ ने कृत्रिम मेधा से संचालित 75 रक्षा उत्पाद भी पेश किए. इनमें से कुछ उत्पादों का सशस्त्र बलों द्वारा पहले से ही इस्तेमाल किया जा रहा है, जबकि कुछ को उनमें शामिल करने की प्रक्रिया जारी है. ये 75 उत्पाद रोबोटिक प्रणाली, साइबर सुरक्षा, मानव व्यवहार विश्लेषण, कुशल निगरानी प्रणाली, आपूर्ति शृंखला प्रबंधन, ध्वनि विश्लेषण और सी4आईएसआर (कमान, नियंत्रण, संचार, कंप्यूटर एवं खुफिया निगरानी और टोह) तथा अभियान संबंधी डेटा के विश्लेषण से संबंधित हैं.

(पीटीआई-भाषा)

नई दिल्ली : रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सोमवार को कहा कि भारत को कृत्रिम मेधा (AI) प्रणाली पर बेहद सावधानी के साथ काम करने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि देश को इस तकनीक से होने वाली कानूनी, नीतिसंबंधी, राजनीतिक और आर्थिक उथल-पुथल का सामना करने के लिए तैयार रहना चाहिए. राजनाथ ने कहा, "हमें मानवता की तरक्की और शांति के लिए AI का इस्तेमाल करना होगा. ऐसा नहीं होना चाहिए कि कोई देश या देशों का समूह परमाणु ऊर्जा की तरह ही इस तकनीक पर भी अपना प्रभुत्व स्थापित कर ले और बाकी मुल्क AI का लाभ नहीं उठा पाएं."

रक्षा मंत्री ने नई दिल्ली में आर्टीफिशियल इंटेलिजेंस इन डिफेंस (रक्षा क्षेत्र में कृत्रिम मेधा) सम्मेलन का उद्घाटन करने के बाद यह टिप्पणी की. उन्होंने AI की नीतियों और खतरों पर गंभीरता से विचार करने की सलाह दी. राजनाथ ने कहा, "हम AI की प्रगति को नहीं रोक सकते और हमें इसकी प्रगति रोकने की कोशिश भी नहीं करनी चाहिए. लेकिन इसे लेकर बहुत सावधानी बरतने की जरूरत है." उन्होंने कहा कि जब कोई नई तकनीक व्यापक बदलाव लेकर आती है तो उसका संक्रमण काल भी बेहद लंबा और जटिल होता है.

रक्षा मंत्री ने कहा, "चूंकि, AI एक ऐसी तकनीक है, जो व्यापक बदलाव ला सकती है, लिहाजा हमें इससे होने वाली कानूनी, नीतिसंबंधी, राजनीतिक और आर्थिक उथल-पुथल का सामना करने के लिए तैयार रहना चाहिए. आने वाले समय में हमें AI पर बेहद सावधानी से काम करने की जरूरत है, ताकि यह तकनीक नियंत्रण से बाहर न चली जाए."

राजनाथ ने कहा कि किसी तकनीक की दस्तक घड़ी की सुइयों की तरह है, जो एक बार आगे बढ़ जाएं तो उन्हें पीछे ले जाना संभव नहीं होता है. उन्होंने कहा, "जब भी कोई नयी तकनीक आती है तो समाज उसके हिसाब से ढलने में अपना समय लेता है." रक्षा मंत्री ने यह भी कहा कि देश को इस तकनीक का लोकतांत्रिक इस्तेमाल सुनिश्चित करना चाहिए. उन्होंने कहा, "AI के चलते रक्षा क्षेत्र में महत्वपूर्ण बदलाव हो रहे हैं. इस तकनीक की मदद से जवानों के प्रशिक्षण की प्रक्रिया में सुधार आ रहा है."

कार्यक्रम में राजनाथ ने कृत्रिम मेधा से संचालित 75 रक्षा उत्पाद भी पेश किए. इनमें से कुछ उत्पादों का सशस्त्र बलों द्वारा पहले से ही इस्तेमाल किया जा रहा है, जबकि कुछ को उनमें शामिल करने की प्रक्रिया जारी है. ये 75 उत्पाद रोबोटिक प्रणाली, साइबर सुरक्षा, मानव व्यवहार विश्लेषण, कुशल निगरानी प्रणाली, आपूर्ति शृंखला प्रबंधन, ध्वनि विश्लेषण और सी4आईएसआर (कमान, नियंत्रण, संचार, कंप्यूटर एवं खुफिया निगरानी और टोह) तथा अभियान संबंधी डेटा के विश्लेषण से संबंधित हैं.

(पीटीआई-भाषा)

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