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170 साल पहले मुंबई-ठाणे के बीच शुरू हुई ट्रेन सेवा ने अब तक तय की लंबी दूरी - indias first rain

आज ही के दिन 16 अप्रैल 1953 को मुंबई और ठाणे के बीच पहली पैसेंजर ट्रैन चली थी. पहली ट्रेन को साहिब, सिंध और सुल्तान नाम के तीन इंजनों द्वारा खींचा गया था.

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Published : Apr 16, 2023, 3:28 PM IST

मुंबई : सार्वजनिक परिवहन में एक नए युग की शुरुआत करते हुए, एशिया की पहली यात्री ट्रेन 16 अप्रैल, 1853 को मुंबई और ठाणे के बीच 34 किमी के एक छोटे से खंड पर संचालित की गई थी, जो अगले 17 दशकों में देश की प्रगति और समृद्धि के लिए एक लंबी छलांग साबित हुई. ट्रेन को बोरीबंदर स्टेशन से हरी झंडी दिखाई गई, जहां अब यूनेस्को की विश्व धरोहर छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस खड़ा है. पहले दिन 14 नए लकड़ी के डिब्बों में 400 लोगों ने यात्रा की.

पहली ट्रेन को तीन इंजनों द्वारा खींचा गया था. इनमें नाम 'साहिब', 'सिंध' और 'सुल्तान' रखे गए थे. तेज सीटी, गाढ़ा धुआं और भाप के साथ अपराह्न् 3.35 बजे ऐतिहासिक यात्रा शुरू हुई. इस दौरान 21 तोपों की सलामी दी गई और तालियों की गड़गड़ाहट के साथ ट्रेन आगे बढ़ी. इस युग परिवर्तन यात्रा की तैयारी मद्रास में एक प्रायोगिक रेलवे लाइन के साथ लगभग 30 साल पहले शुरू हुई थी. कई अन्य देशों के विपरीत, भारतीयों ने जल्दी से रेल यात्रा के त्वरित, सस्ते और सुरक्षित तरीके को अपना लिया.

रेलवे ने शीघ्र ही भारत के अन्य भागों में अपना विस्तार कर लिया. पूर्व में पहली यात्री ट्रेन 15 अगस्त, 1854 को हावड़ा और हुगली के बीच 39 किमी की दूरी के बीच चली. इसके बाद, 1 जुलाई, 1856 को दक्षिण (मद्रास प्रेसीडेंसी) में वेयासरपांडी और वालाजाह रोड और उत्तर में हाथरस रोड और मथुरा कैंट के बीच 19 अक्टूबर, 1875 को 53 किमी के रास्ते पर चली. इसके बाद रेलवे ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा.

अपने शुभारंभ के लगभग 27 वर्षों में 1880 तक, भारतीय उपमहाद्वीप में 9 हजार किमी रेलवे नेटवर्क था. 1857, और 90 वर्षों तक चलने वाले आधुनिक विश्व इतिहास में सबसे बड़े स्वतंत्रता आंदोलनों में से एक को भी रेलवे ने प्रेरित किया. पिछले 170 वर्षों में भारतीय रेलवे एक मल्टी-गेज के रूप में विकसित हुई है, जो दुनिया में दूसरी सबसे बड़ी 108,000 किमी से अधिक लंबी लाइनों के साथ, यात्रियों, जानवरों और सामानों को मैदानों, जंगलों, रेगिस्तानों व बर्फीले पहाड़ों को पार करते हुए देश के दूरस्थ इलाकों तक सुरक्षित रूप से पहुंचाती है.

भारी व अत्यधिक प्रदूषणकारी भाप इंजनों से शुरू करते हुए भारतीय रेलवे ने फरवरी 1925 में मुंबई के विक्टोरिया टर्मिनस (अब, सीएसएमटी) और कुर्ला हार्बर के बीच पहले विद्युतीकृत 15 किमी ट्रैक पर सेवाएं शुरू कीं. अगस्त 1955 में यह डीजल लोको में भी स्थानांतरित हो गई. विद्युतीकरण ने गति पकड़ी और 2022 तक के आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, भारतीय रेलवे 80 प्रतिशत विद्युतीकृत हो गई है, जो सस्ता, पर्यावरण के अनुकूल और तेज विकल्प प्रदान करता है.

ब्रिटिश शासन के दौरान, रेलवे नेटवर्क के कई मालिक थे, लेकिन स्वतंत्रता के बाद दूरदर्शी रेल मंत्री - जॉन मथाई, एन. गोपालस्वामी अयंगर और लाल बहादुर शास्त्री ने एकीकरण की प्रक्रिया शुरू की. इसकी शुरुआत 1951 में मध्य रेलवे, पश्चिम रेलवे, उत्तर रेलवे, दक्षिणी रेलवे जैसे विभिन्न मंडलों के गठन के साथ हुई, जो जोन में विभाजित हो गए. कंपनियों, रॉयल्टी या रियासतों और विभिन्न क्षेत्रों में अन्य स्वतंत्र संगठनों द्वारा मूल रूप से निजी व्यक्तियों के स्वामित्व वाले कई रेलवे नेटवर्क को एक इकाई, भारतीय रेलवे में विलय/एकीकृत किया गया था, जो व्यावहारिक रूप से पूरे मानकीकृत नेटवर्क को चलाता है.

मध्य रेलवे के मुख्य प्रवक्ता शिवाजी सुतार ने कहा कि 16 अप्रैल, 1853 से शुरू भारतीय रेलवे ने आज एक लंबी दूरी तय की है. इनमें एक सदी से भी अधिक समय से चल रही कुछ सबसे पुरानी सेवाएं शामिल हैं, जिनमें लंबी दूरी की ट्रेनें जैसे यात्री/मेल/एक्सप्रेस, राजधानी, शताब्दी, तेजस, कुलीन पर्यटक स्पेशल (पैलेस ऑन व्हील्स), अद्वितीय खिलौना ट्रेनें या पहाड़ी-ट्रेनें शामिल हैं. वंदे भारत ट्रेनों, उपनगरीय ट्रेनों, सभी-महिला ट्रेनों और यहां तक कि महिला लोको पायलटों को भी शामिल गया है. कुछ वर्षों में, पहली बुलेट ट्रेन अहमदाबाद और मुंबई के बीच तेजी से आगे बढ़ेगी, जो देश के रेल नेटवर्क को हाई-स्पीड ट्रेन यात्रा के अगले युग में ले जाएगी.

ये भी पढ़ें : Exclusive : वंदे भारत ट्रेन में क्या है खास और सुविधाएं, ईटीवी भारत की नजरों से देखिए अंदर का नजारा

(आईएएनएस)

मुंबई : सार्वजनिक परिवहन में एक नए युग की शुरुआत करते हुए, एशिया की पहली यात्री ट्रेन 16 अप्रैल, 1853 को मुंबई और ठाणे के बीच 34 किमी के एक छोटे से खंड पर संचालित की गई थी, जो अगले 17 दशकों में देश की प्रगति और समृद्धि के लिए एक लंबी छलांग साबित हुई. ट्रेन को बोरीबंदर स्टेशन से हरी झंडी दिखाई गई, जहां अब यूनेस्को की विश्व धरोहर छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस खड़ा है. पहले दिन 14 नए लकड़ी के डिब्बों में 400 लोगों ने यात्रा की.

पहली ट्रेन को तीन इंजनों द्वारा खींचा गया था. इनमें नाम 'साहिब', 'सिंध' और 'सुल्तान' रखे गए थे. तेज सीटी, गाढ़ा धुआं और भाप के साथ अपराह्न् 3.35 बजे ऐतिहासिक यात्रा शुरू हुई. इस दौरान 21 तोपों की सलामी दी गई और तालियों की गड़गड़ाहट के साथ ट्रेन आगे बढ़ी. इस युग परिवर्तन यात्रा की तैयारी मद्रास में एक प्रायोगिक रेलवे लाइन के साथ लगभग 30 साल पहले शुरू हुई थी. कई अन्य देशों के विपरीत, भारतीयों ने जल्दी से रेल यात्रा के त्वरित, सस्ते और सुरक्षित तरीके को अपना लिया.

रेलवे ने शीघ्र ही भारत के अन्य भागों में अपना विस्तार कर लिया. पूर्व में पहली यात्री ट्रेन 15 अगस्त, 1854 को हावड़ा और हुगली के बीच 39 किमी की दूरी के बीच चली. इसके बाद, 1 जुलाई, 1856 को दक्षिण (मद्रास प्रेसीडेंसी) में वेयासरपांडी और वालाजाह रोड और उत्तर में हाथरस रोड और मथुरा कैंट के बीच 19 अक्टूबर, 1875 को 53 किमी के रास्ते पर चली. इसके बाद रेलवे ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा.

अपने शुभारंभ के लगभग 27 वर्षों में 1880 तक, भारतीय उपमहाद्वीप में 9 हजार किमी रेलवे नेटवर्क था. 1857, और 90 वर्षों तक चलने वाले आधुनिक विश्व इतिहास में सबसे बड़े स्वतंत्रता आंदोलनों में से एक को भी रेलवे ने प्रेरित किया. पिछले 170 वर्षों में भारतीय रेलवे एक मल्टी-गेज के रूप में विकसित हुई है, जो दुनिया में दूसरी सबसे बड़ी 108,000 किमी से अधिक लंबी लाइनों के साथ, यात्रियों, जानवरों और सामानों को मैदानों, जंगलों, रेगिस्तानों व बर्फीले पहाड़ों को पार करते हुए देश के दूरस्थ इलाकों तक सुरक्षित रूप से पहुंचाती है.

भारी व अत्यधिक प्रदूषणकारी भाप इंजनों से शुरू करते हुए भारतीय रेलवे ने फरवरी 1925 में मुंबई के विक्टोरिया टर्मिनस (अब, सीएसएमटी) और कुर्ला हार्बर के बीच पहले विद्युतीकृत 15 किमी ट्रैक पर सेवाएं शुरू कीं. अगस्त 1955 में यह डीजल लोको में भी स्थानांतरित हो गई. विद्युतीकरण ने गति पकड़ी और 2022 तक के आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, भारतीय रेलवे 80 प्रतिशत विद्युतीकृत हो गई है, जो सस्ता, पर्यावरण के अनुकूल और तेज विकल्प प्रदान करता है.

ब्रिटिश शासन के दौरान, रेलवे नेटवर्क के कई मालिक थे, लेकिन स्वतंत्रता के बाद दूरदर्शी रेल मंत्री - जॉन मथाई, एन. गोपालस्वामी अयंगर और लाल बहादुर शास्त्री ने एकीकरण की प्रक्रिया शुरू की. इसकी शुरुआत 1951 में मध्य रेलवे, पश्चिम रेलवे, उत्तर रेलवे, दक्षिणी रेलवे जैसे विभिन्न मंडलों के गठन के साथ हुई, जो जोन में विभाजित हो गए. कंपनियों, रॉयल्टी या रियासतों और विभिन्न क्षेत्रों में अन्य स्वतंत्र संगठनों द्वारा मूल रूप से निजी व्यक्तियों के स्वामित्व वाले कई रेलवे नेटवर्क को एक इकाई, भारतीय रेलवे में विलय/एकीकृत किया गया था, जो व्यावहारिक रूप से पूरे मानकीकृत नेटवर्क को चलाता है.

मध्य रेलवे के मुख्य प्रवक्ता शिवाजी सुतार ने कहा कि 16 अप्रैल, 1853 से शुरू भारतीय रेलवे ने आज एक लंबी दूरी तय की है. इनमें एक सदी से भी अधिक समय से चल रही कुछ सबसे पुरानी सेवाएं शामिल हैं, जिनमें लंबी दूरी की ट्रेनें जैसे यात्री/मेल/एक्सप्रेस, राजधानी, शताब्दी, तेजस, कुलीन पर्यटक स्पेशल (पैलेस ऑन व्हील्स), अद्वितीय खिलौना ट्रेनें या पहाड़ी-ट्रेनें शामिल हैं. वंदे भारत ट्रेनों, उपनगरीय ट्रेनों, सभी-महिला ट्रेनों और यहां तक कि महिला लोको पायलटों को भी शामिल गया है. कुछ वर्षों में, पहली बुलेट ट्रेन अहमदाबाद और मुंबई के बीच तेजी से आगे बढ़ेगी, जो देश के रेल नेटवर्क को हाई-स्पीड ट्रेन यात्रा के अगले युग में ले जाएगी.

ये भी पढ़ें : Exclusive : वंदे भारत ट्रेन में क्या है खास और सुविधाएं, ईटीवी भारत की नजरों से देखिए अंदर का नजारा

(आईएएनएस)

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