गुवाहटी: भारतीय विदेश मंत्रालय, भूटान के लिए एक रेल संपर्क बनाने के लिए कमर कस रही है. पिछले काफी समय से चर्चा में रही भारत-भूटान रेल लाइन योजना इस बार साकार होने को है. बता दें कि साल 2005 में, रेल संपर्क परियोजना के कार्यान्वयन के लिए भारत सरकार और भूटान के बीच एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए थे.
समझौते के अनुसार, भारतीय रेलवे ने भूटान-गेलेफू (57.7 किमी), रंगिया-समद्रुप जोंगखर (48 किमी), बानारहाट-संस्ते (23.15 किमी), हासीमारा-फुलसिलिंग (17.52 किमी) और पाठशाला-नंगलम (51.15 किमी) के लिए अध्ययन किया. लेकिन उस अध्ययन ने असम को भूटान से जोड़ने वाले तीन रेलवे मार्गों और पश्चिम बंगाल में दो स्थानों से भूटान को जोड़ने वाली दो प्रस्तावित ट्रेनों की योजना मूर्त रूप में नहीं आ पाई.
सत्रह साल पहले उठाए गए उस कदम को मूर्त रूप क्यों नहीं दिया गया, यह आज भी एक बड़ा सवाल है. लेकिन अब केंद्र सरकार रणनीतिक कारणों से पड़ोसी देश भूटान को रेल संपर्क से कवर करना चाहती है. रेलवे विभाग के एक शीर्ष सूत्र ने ईटीवी भारत को बताया कि केंद्र सरकार के विदेश मंत्रालय ने रेलवे विभाग पर इस रेलवे लाइन के निर्माण के लिए दबाव डाला है. सूत्रों ने बताया कि रेलवे परिषद ने इसका हवाला देते हुए एनएफ रेलवे (नॉर्थ ईस्ट फ्रंटियर रेलवे) के महाप्रबंधक को पत्र भेजा है.
सूत्र के अनुसार, विभाग ने कोकराझार से भूटान के गेलेफू में रेलवे लाइन को जोड़ने से पहले उसकी सामाजिक परिस्थितियों का अध्ययन करने के लिए धन को मंजूरी दे दी है. रेलवे विभाग को अगले जुलाई से शुरू होने वाले महीने की एक तिमाही के भीतर रिपोर्ट तैयार करनी है. केंद्र सरकार को लगता है कि इस रेल लिंक परियोजना से भारत और भूटान के संबंध और मजबूत होंगे. इसके साथ ही, सुरक्षा संबंधी कुछ अन्य मुद्दों पर भी द्विपक्षीय संबंध विशेष आयाम प्रदान करेंगे. हालांकि इस बात की भी खास चर्चा है कि असम के पहाड़ी जिले दीमा हसाओ में प्राकृतिक आपदा के बाद कोकराझार-गेलेफू ब्रॉड गेज रेलवे लाइन के निर्माण का फैसला काफी अहम होगा.