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Lithium deposits found in JK: जम्मू कश्मीर में मिला लिथियम और सोने का बड़ा भंडार, EV उद्योग को मिलेगा सबसे अधिक फायदा - JK lithium gold

जम्मू कश्मीर के रियासी इलाके में लिथियम का बड़ा भंडार मिला है. यह देश के लिए बहुत बड़ी खबर है. ऐसा इसलिए है, क्योंकि अभी भारत लिथियम के लिए पूरी तरह से दूसरे देशों पर निर्भर है. लिथियम का उपयोग रिचार्जेबल बैटरी के लिए किया जाता है. लिथियम के इस भंडार से इलेक्ट्रिक व्हीकल उद्योग को काफी फायदा मिलेगा.

For the first time in the country, 59 lakh tonnes of lithium reserves were found in Jammu and Kashmir (symbolic photo)
देश में पहली बार जम्मू कश्मीर में 59 लाख टन लिथियम का भंडार पाया गया ( प्रतीकात्मक फोटो)
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Published : Feb 10, 2023, 9:12 AM IST

Updated : Feb 10, 2023, 2:06 PM IST

नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने कहा कि देश में पहली बार जम्मू-कश्मीर में 59 लाख टन लिथियम का भंडार पाया गया है. लिथियम एक अलौह धातु है और इसका उपयोग मोबाइल, इलेक्ट्रिक वाहन वगैरह की बैटरी में व्यापक स्तर पर इस्तेमाल किया जाता है. खनन मंत्रालय ने गुरुवार को कहा, 'भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण ने पहली बार जम्मू-कश्मीर के रियासी जिले के सलाल-हैमाना क्षेत्र में 59 लाख टन के लिथियम अनुमानित संसाधन (जी3) की स्थापना की है.'

62वीं सेंट्रल जियोलॉजिकल प्रोग्रामिंग बोर्ड (सीजीपीबी) की बैठक के दौरान 15 अन्य संसाधनों वाली भूवैज्ञानिक रिपोर्ट और 35 भूवैज्ञानिक ज्ञापनों के साथ यह रिपोर्ट संबंधित राज्य सरकारों को सौंपी गई. इन 51 खनिज ब्लॉकों में से पांच ब्लॉक सोने से संबंधित हैं और अन्य ब्लॉक पोटाश, मोलिब्डेनम, बेस मेटल आदि वस्तुओं से संबंधित हैं, जो 11 राज्यों जम्मू और कश्मीर, आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़, गुजरात, झारखंड, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, ओडिशा, राजस्थान, तमिलनाडु और तेलंगाना में फैले हुए हैं.

यह ब्लॉक भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (जीएसआई) द्वारा 2018-19 से अब तक के फील्ड सीजन में किए गए कार्य के आधार पर तैयार किए गए थे. इनके अलावा 7,897 मिलियन टन के कुल संसाधन वाले कोयले और लिग्नाइट की 17 रिपोर्टें भी कोयला मंत्रालय को सौंपी गईं. बैठक के दौरान विभिन्न विषयों और हस्तक्षेप क्षेत्रों जिसमें जीएसआई संचालित होता है, पर सात प्रकाशन भी जारी किए गए.

बैठक के दौरान आगामी फील्ड सीजन 2023-24 के लिए प्रस्तावित वार्षिक कार्यक्रम भी प्रस्तुत किया गया और चर्चा की गई. 2023-24 के दौरान, जीएसआई ने 12 समुद्री खनिज जांच परियोजनाओं सहित 318 खनिज अन्वेषण परियोजनाओं सहित 966 कार्यक्रमों को शुरू करने की योजना बनाई है. रणनीतिक-महत्वपूर्ण और उर्वरक खनिजों की खोज पर विशेष बल दिया गया है.

ये भी पढ़ें- President Droupadi Murmu Odisha Visit : राष्ट्रपति आज से दो दिवसीय ओडिशा दौरे पर रहेंगी

सीजीपीबी जीएसआई का एक महत्वपूर्ण मंच है, जिसमें जीएसआई के वार्षिक क्षेत्र मौसम कार्यक्रम (एफएसपी) को तालमेल के लिए और काम के दोहराव से बचने के लिए चर्चा के लिए रखा गया है. सीजीपीबी के सदस्य और अन्य हितधारक जैसे राज्य सरकारें, केंद्र और राज्य सरकार खनिज अन्वेषण एजेंसियां, जीएसआई के साथ सहयोगात्मक कार्य के लिए अपने अनुरोध करते हैं. केंद्र द्वारा निर्धारित प्राथमिकताओं और सदस्यों और हितधारकों द्वारा प्रस्तुत प्रस्तावों के महत्व और तात्कालिकता के आधार पर जीएसआई के वार्षिक कार्यक्रम को अंतिम रूप दिया जाता है.

क्या है जीएसआई का मुख्य काम - इसका मुख्य काम देश के अलग-अलग इलाकों से जियोलॉजिकल सूचनाएं इकट्ठा करना है. वह खनिज संसाधन संबंधित सर्वे करता है. इसमें जमीन से लेकर हवाई और समुद्री सर्वेक्षण शामिल हैं. भू-वैज्ञानिक, भू-तकनीकी, भू-पर्यावरण और प्राकृतिक खतरों के अध्ययन, हिमनद विज्ञान, सिस्मो-टेक्टॉनिक अध्ययन और मौलिक अनुसंधान के माध्यम से जानकारी जुटाई जाती है.(एक्सट्रा इनपुट आईएएनएस)

नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने कहा कि देश में पहली बार जम्मू-कश्मीर में 59 लाख टन लिथियम का भंडार पाया गया है. लिथियम एक अलौह धातु है और इसका उपयोग मोबाइल, इलेक्ट्रिक वाहन वगैरह की बैटरी में व्यापक स्तर पर इस्तेमाल किया जाता है. खनन मंत्रालय ने गुरुवार को कहा, 'भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण ने पहली बार जम्मू-कश्मीर के रियासी जिले के सलाल-हैमाना क्षेत्र में 59 लाख टन के लिथियम अनुमानित संसाधन (जी3) की स्थापना की है.'

62वीं सेंट्रल जियोलॉजिकल प्रोग्रामिंग बोर्ड (सीजीपीबी) की बैठक के दौरान 15 अन्य संसाधनों वाली भूवैज्ञानिक रिपोर्ट और 35 भूवैज्ञानिक ज्ञापनों के साथ यह रिपोर्ट संबंधित राज्य सरकारों को सौंपी गई. इन 51 खनिज ब्लॉकों में से पांच ब्लॉक सोने से संबंधित हैं और अन्य ब्लॉक पोटाश, मोलिब्डेनम, बेस मेटल आदि वस्तुओं से संबंधित हैं, जो 11 राज्यों जम्मू और कश्मीर, आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़, गुजरात, झारखंड, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, ओडिशा, राजस्थान, तमिलनाडु और तेलंगाना में फैले हुए हैं.

यह ब्लॉक भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (जीएसआई) द्वारा 2018-19 से अब तक के फील्ड सीजन में किए गए कार्य के आधार पर तैयार किए गए थे. इनके अलावा 7,897 मिलियन टन के कुल संसाधन वाले कोयले और लिग्नाइट की 17 रिपोर्टें भी कोयला मंत्रालय को सौंपी गईं. बैठक के दौरान विभिन्न विषयों और हस्तक्षेप क्षेत्रों जिसमें जीएसआई संचालित होता है, पर सात प्रकाशन भी जारी किए गए.

बैठक के दौरान आगामी फील्ड सीजन 2023-24 के लिए प्रस्तावित वार्षिक कार्यक्रम भी प्रस्तुत किया गया और चर्चा की गई. 2023-24 के दौरान, जीएसआई ने 12 समुद्री खनिज जांच परियोजनाओं सहित 318 खनिज अन्वेषण परियोजनाओं सहित 966 कार्यक्रमों को शुरू करने की योजना बनाई है. रणनीतिक-महत्वपूर्ण और उर्वरक खनिजों की खोज पर विशेष बल दिया गया है.

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सीजीपीबी जीएसआई का एक महत्वपूर्ण मंच है, जिसमें जीएसआई के वार्षिक क्षेत्र मौसम कार्यक्रम (एफएसपी) को तालमेल के लिए और काम के दोहराव से बचने के लिए चर्चा के लिए रखा गया है. सीजीपीबी के सदस्य और अन्य हितधारक जैसे राज्य सरकारें, केंद्र और राज्य सरकार खनिज अन्वेषण एजेंसियां, जीएसआई के साथ सहयोगात्मक कार्य के लिए अपने अनुरोध करते हैं. केंद्र द्वारा निर्धारित प्राथमिकताओं और सदस्यों और हितधारकों द्वारा प्रस्तुत प्रस्तावों के महत्व और तात्कालिकता के आधार पर जीएसआई के वार्षिक कार्यक्रम को अंतिम रूप दिया जाता है.

क्या है जीएसआई का मुख्य काम - इसका मुख्य काम देश के अलग-अलग इलाकों से जियोलॉजिकल सूचनाएं इकट्ठा करना है. वह खनिज संसाधन संबंधित सर्वे करता है. इसमें जमीन से लेकर हवाई और समुद्री सर्वेक्षण शामिल हैं. भू-वैज्ञानिक, भू-तकनीकी, भू-पर्यावरण और प्राकृतिक खतरों के अध्ययन, हिमनद विज्ञान, सिस्मो-टेक्टॉनिक अध्ययन और मौलिक अनुसंधान के माध्यम से जानकारी जुटाई जाती है.(एक्सट्रा इनपुट आईएएनएस)

Last Updated : Feb 10, 2023, 2:06 PM IST
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