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कोरोना पर वार : IIT पटना के वरुण ने बनाई कमाल की मशीन, दो से तीन सेकेंड में वायरस खत्म

कोरोना महामारी को खत्‍म करने के लिए वैज्ञानिक आधार पर लगातार प्रयास किए जा रहे हैं. इसी कड़ी में आईआईटी पटना के वरुण ने एक ऐसी मशीन इजाद की है, जिससे दो से तीन सेकेंड के भीतर वायरस को खत्‍म किया जा सकता है. कैसे काम करेगी यह मशीन, पढ़ें पूरी खबर..

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Published : Oct 30, 2021, 9:35 PM IST

पटना : पटना आईआईटी के छात्र (IIT Patna Student) वरुण कुमार शाही ने फुल बॉडी डिसइंफेक्टेंट मशीन (Full Body Disinfectant Machine) तैयार की है. यह मशीन पटना आईआईटी के इनक्यूबेशन सेंटर के द्वारा विकसित की गई है. पटना एम्स के चिकित्सकों का मशीन बनाने में दिशानिर्देश रहा है. यह मशीन हर तरह के वायरस और बैक्टीरिया को न्यूट्रलाइज करती है और उसे नष्ट कर देती है.

इस मशीन में इंसान के शरीर को डिसइंफेक्ट करने के लिए डब्ल्यूएचओ द्वारा प्रमाणित केमिकल के कॉम्बिनेशन का इस्तेमाल किया गया है. ऐसे में कोरोना के संभावित तीसरे लहर को लेकर यह मशीन काफी उपयोगी मानी जा रही है.

आईआईटी पटना के इंक्यूबेशन सेंटर के मैनेजर जोसेफ पॉल ने बताया कि मेक इन इंडिया प्रोग्राम के तहत जो भी युवा नए स्टार्टअप आईडियाज के साथ उनके पास आते हैं, वह उन्हें टेक्निकल सपोर्ट देते हैं. उद्देश्य यह रहता है कि समाज की बेहतरी हो. ऐसे ही एक आइडिया के साथ किंग शाही इनोवेशन प्राइवेट लिमिटेड के तहत कंपनी के को-फाउंडर वरुण कुमार शाही ने पटना आईआईटी में एक फुल बॉडी डिसइंफेक्टर मशीन तैयार किया है. पटना एम्स के चिकित्सकों का भी इसमें परामर्श रहा है, ताकि यह लोगों के स्वास्थ्य के लिए हितकारी हो.

पटना IIT के छात्रों ने बनाई कमाल की मशीन

पटना एम्स के डिप्टी मेडिकल सुपरिटेंडेंट डॉ. योगेश कुमार ने बताया कि यह मशीन इंसान के शरीर को 2 से 3 सेकेंड में फुल डिसइनफेक्ट कर देगी. इस मशीन की सबसे बड़ी खासियत यह है कि जो डिसइंफेक्टेंट का छिड़काव करने के लिए लिक्विड पोर्स होते हैं, वह काफी छोटी हैं और इससे शरीर पर चोट नहीं लगती है. वाष्प जैसी यह शरीर पर पड़ती है. इसके साथ ही यह मशीन शरीर के गर्दन के नीचे के हिस्से को डिसइनफेक्ट करती है. डिसइंफेक्टेंट आंखों पर और चेहरे पर ना जाएं, इसके लिए सबसे ऊपर में ब्लोअर लगा हुआ रहता है.

"यह डोर फ्रेम डिसइंफेक्टेंट मशीन है जो दिखने में दूसरी अन्य डिसइंफेक्टेंट टनल जैसी ही है, मगर इसकी विशेषताएं अलग हैं. इसका मिस्ट का साइज काफी छोटा है, जिस वजह से डिसइंफेक्टेंट काफी प्रभावी तरीके से काम करता है. डिसइंफेक्टेंट टनल में जो भी मिस्ट क्रिएट हो रहा है, वह गर्दन के नीचे ही है. अगर गलती से कोई मिस्ट गर्दन के ऊपर आ भी जाता है तो उसके लिए ऊपर में ब्लोअर लगा हुआ है, जो ब्लोअर मिस्ट को चेहरे पर जाने से रोकता है."- डॉ. योगेश कुमार, डिप्टी मेडिकल सुपरिटेंडेंट, पटना एम्स

डॉ. योगेश कुमार बताते हैं कि इसकी सबसे बड़ी खासियत यह है कि सामान्य डिसइंफेक्टेंट टनल में बॉडी डिसइंफेक्टेशन के बाद जमीन पर काफी पानी जमा होने लगता है और यह कॉन्टैमिनेटेड पानी होता है. इससे संक्रमण फैलने का खतरा और बढ़ जाता है. लेकिन इस डिसइनफेक्टेड टनल में एक सक्शन मशीन लगाया गया है. सक्शन मशीन को एक चेंबर से जोड़ा गया है. यह सक्शन मशीन कॉन्टैमिनेटेड पानी को चेंबर में लाती है और यहां पर पानी को डिसइनफेक्ट किया जाता है. फिर इसे पाइप लाइन के माध्यम से नाली में बहा दिया जाता है. उन्होंने कहा कि आने वाले दिनों में अस्पतालों और बड़े पब्लिक प्लेसेस पर यह मशीन काफी उपयोगी साबित हो सकती है. मशीन का सेंसर सिस्टम काफी डेवलप्ड है.

फुल बॉडी डिसइंफेक्टेंट मशीन तैयार करने वाले आईआईटी पटना के इनोवेटर वरुण कुमार शाही ने बताया कि संक्रमण काल में सरकार की तरफ से दिशानिर्देश मिला कि कोरोना वायरस को खत्म करने और कंट्रोल करने की दिशा में अगर कोई आइडिया है, तो इस पर काम करें. ऐसे में उसी समय पीएमसीएच के एक ही साथ 14 चिकित्सक संक्रमित पाए गए. इस दौरान दिमाग में यह ख्याल आया कि कोरोना मरीजों का इलाज चिकित्सक करते हैं. ऐसे में चिकित्सकों को कैसे कोरोना से बचाया जाए और बचाव के लिए अधिक से अधिक सुरक्षा उपलब्ध कराई जाए. उन्होंने बताया कि इसी दौरान उन्हें यह डिसइंफेक्टेंट मशीन बनाने का आइडिया आया.

"इस मशीन की खासियत यह है कि इस मशीन में एक भी बटन नहीं है और इस मशीन से बच्चे जब क्रॉस करते हैं तो उसे सेंसर कर लेता है. उस वक्त यह मशीन काम नहीं करती है. बच्चों पर डिसइंफेक्टेंट के छिड़काव को लेकर चिकित्सकों ने सहमति नहीं दी और इसी के तहत यह प्रोग्राम तैयार किया गया है."- वरुण कुमार शाही, इनोवेटर, आईआईटी पटना

वरुण ने बताया कि इस मशीन की कम से कम आयु 10 साल है, जबकि प्रत्येक 3 महीने पर इसे सर्विसिंग की आवश्यकता है. मशीन को तैयार करने में लगभग 9 महीने का समय लगा है, जिसमें इस मशीन की टेस्टिंग, मॉडिफिकेशन और अपग्रेडेशन किया गया है. उन्होंने बताया कि शुरू में यह मशीन चिकित्सकों और स्वास्थ्य कर्मियों को ध्यान में रखते हुए अस्पतालों में उपयोग के लिए तैयार किया गया, लेकिन जब यह तैयार हो गया तो यह निष्कर्ष निकला कि यह किसी भी पब्लिक प्लेस जैसे कि सिनेमा हॉल, मॉल इत्यादि के लिए भी काफी ज्यादा लाभदायक है.

वरुण आगे बताते हैं कि पटना आईआईटी में वह अभी और भी कई विषयों पर रिसर्च एंड डेवलपमेंट का काम कर रहे हैं. इस डिसइंफेक्टेंट मशीन को बनाने में पटना एम्स के चिकित्सकों के साथ-साथ आईआईटी पटना के छात्रों का भी साथ मिला है. मशीन फुल ऑटोमेटेड है. अगर मशीन का डिसइंफेक्टेंट कम होता है, तो यह अलार्म के माध्यम से सूचित करता है. इसके साथ ही मशीन के पास से कितने लोग क्रॉस किए हैं. इस बात की भी जानकारी डिस्प्ले बोर्ड से होती है.

वहीं इंडियन मेडिकल एसोसिएशन बिहार के सेक्रेटरी डॉ. सुनील कुमार ने बताया कि यह मशीन काफी बेहतरीन है और इसमें एडवांस टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया गया है. इस मशीन को आईसीएमआर ने भी अप्रूवल दे दिया है. ऐसे में इस मशीन की उपयोगिता को देखते हुए उनका सुझाव है कि अभी के समय में पटना में कई जगहों पर इस मशीन को लगाने की आवश्यकता है. एयरपोर्ट, रेलवे स्टेशन और सरकारी अस्पतालों में इस मशीन को लगाने की जरूरत है, ताकि कोरोना के अलावा अन्य संक्रामक वायरस से भी बचाव हो सके.

पढ़ेंः भारत में कोविड टीके की तीसरी खुराक जरूरी है या नहीं, जानें विशेषज्ञों की राय

पटना : पटना आईआईटी के छात्र (IIT Patna Student) वरुण कुमार शाही ने फुल बॉडी डिसइंफेक्टेंट मशीन (Full Body Disinfectant Machine) तैयार की है. यह मशीन पटना आईआईटी के इनक्यूबेशन सेंटर के द्वारा विकसित की गई है. पटना एम्स के चिकित्सकों का मशीन बनाने में दिशानिर्देश रहा है. यह मशीन हर तरह के वायरस और बैक्टीरिया को न्यूट्रलाइज करती है और उसे नष्ट कर देती है.

इस मशीन में इंसान के शरीर को डिसइंफेक्ट करने के लिए डब्ल्यूएचओ द्वारा प्रमाणित केमिकल के कॉम्बिनेशन का इस्तेमाल किया गया है. ऐसे में कोरोना के संभावित तीसरे लहर को लेकर यह मशीन काफी उपयोगी मानी जा रही है.

आईआईटी पटना के इंक्यूबेशन सेंटर के मैनेजर जोसेफ पॉल ने बताया कि मेक इन इंडिया प्रोग्राम के तहत जो भी युवा नए स्टार्टअप आईडियाज के साथ उनके पास आते हैं, वह उन्हें टेक्निकल सपोर्ट देते हैं. उद्देश्य यह रहता है कि समाज की बेहतरी हो. ऐसे ही एक आइडिया के साथ किंग शाही इनोवेशन प्राइवेट लिमिटेड के तहत कंपनी के को-फाउंडर वरुण कुमार शाही ने पटना आईआईटी में एक फुल बॉडी डिसइंफेक्टर मशीन तैयार किया है. पटना एम्स के चिकित्सकों का भी इसमें परामर्श रहा है, ताकि यह लोगों के स्वास्थ्य के लिए हितकारी हो.

पटना IIT के छात्रों ने बनाई कमाल की मशीन

पटना एम्स के डिप्टी मेडिकल सुपरिटेंडेंट डॉ. योगेश कुमार ने बताया कि यह मशीन इंसान के शरीर को 2 से 3 सेकेंड में फुल डिसइनफेक्ट कर देगी. इस मशीन की सबसे बड़ी खासियत यह है कि जो डिसइंफेक्टेंट का छिड़काव करने के लिए लिक्विड पोर्स होते हैं, वह काफी छोटी हैं और इससे शरीर पर चोट नहीं लगती है. वाष्प जैसी यह शरीर पर पड़ती है. इसके साथ ही यह मशीन शरीर के गर्दन के नीचे के हिस्से को डिसइनफेक्ट करती है. डिसइंफेक्टेंट आंखों पर और चेहरे पर ना जाएं, इसके लिए सबसे ऊपर में ब्लोअर लगा हुआ रहता है.

"यह डोर फ्रेम डिसइंफेक्टेंट मशीन है जो दिखने में दूसरी अन्य डिसइंफेक्टेंट टनल जैसी ही है, मगर इसकी विशेषताएं अलग हैं. इसका मिस्ट का साइज काफी छोटा है, जिस वजह से डिसइंफेक्टेंट काफी प्रभावी तरीके से काम करता है. डिसइंफेक्टेंट टनल में जो भी मिस्ट क्रिएट हो रहा है, वह गर्दन के नीचे ही है. अगर गलती से कोई मिस्ट गर्दन के ऊपर आ भी जाता है तो उसके लिए ऊपर में ब्लोअर लगा हुआ है, जो ब्लोअर मिस्ट को चेहरे पर जाने से रोकता है."- डॉ. योगेश कुमार, डिप्टी मेडिकल सुपरिटेंडेंट, पटना एम्स

डॉ. योगेश कुमार बताते हैं कि इसकी सबसे बड़ी खासियत यह है कि सामान्य डिसइंफेक्टेंट टनल में बॉडी डिसइंफेक्टेशन के बाद जमीन पर काफी पानी जमा होने लगता है और यह कॉन्टैमिनेटेड पानी होता है. इससे संक्रमण फैलने का खतरा और बढ़ जाता है. लेकिन इस डिसइनफेक्टेड टनल में एक सक्शन मशीन लगाया गया है. सक्शन मशीन को एक चेंबर से जोड़ा गया है. यह सक्शन मशीन कॉन्टैमिनेटेड पानी को चेंबर में लाती है और यहां पर पानी को डिसइनफेक्ट किया जाता है. फिर इसे पाइप लाइन के माध्यम से नाली में बहा दिया जाता है. उन्होंने कहा कि आने वाले दिनों में अस्पतालों और बड़े पब्लिक प्लेसेस पर यह मशीन काफी उपयोगी साबित हो सकती है. मशीन का सेंसर सिस्टम काफी डेवलप्ड है.

फुल बॉडी डिसइंफेक्टेंट मशीन तैयार करने वाले आईआईटी पटना के इनोवेटर वरुण कुमार शाही ने बताया कि संक्रमण काल में सरकार की तरफ से दिशानिर्देश मिला कि कोरोना वायरस को खत्म करने और कंट्रोल करने की दिशा में अगर कोई आइडिया है, तो इस पर काम करें. ऐसे में उसी समय पीएमसीएच के एक ही साथ 14 चिकित्सक संक्रमित पाए गए. इस दौरान दिमाग में यह ख्याल आया कि कोरोना मरीजों का इलाज चिकित्सक करते हैं. ऐसे में चिकित्सकों को कैसे कोरोना से बचाया जाए और बचाव के लिए अधिक से अधिक सुरक्षा उपलब्ध कराई जाए. उन्होंने बताया कि इसी दौरान उन्हें यह डिसइंफेक्टेंट मशीन बनाने का आइडिया आया.

"इस मशीन की खासियत यह है कि इस मशीन में एक भी बटन नहीं है और इस मशीन से बच्चे जब क्रॉस करते हैं तो उसे सेंसर कर लेता है. उस वक्त यह मशीन काम नहीं करती है. बच्चों पर डिसइंफेक्टेंट के छिड़काव को लेकर चिकित्सकों ने सहमति नहीं दी और इसी के तहत यह प्रोग्राम तैयार किया गया है."- वरुण कुमार शाही, इनोवेटर, आईआईटी पटना

वरुण ने बताया कि इस मशीन की कम से कम आयु 10 साल है, जबकि प्रत्येक 3 महीने पर इसे सर्विसिंग की आवश्यकता है. मशीन को तैयार करने में लगभग 9 महीने का समय लगा है, जिसमें इस मशीन की टेस्टिंग, मॉडिफिकेशन और अपग्रेडेशन किया गया है. उन्होंने बताया कि शुरू में यह मशीन चिकित्सकों और स्वास्थ्य कर्मियों को ध्यान में रखते हुए अस्पतालों में उपयोग के लिए तैयार किया गया, लेकिन जब यह तैयार हो गया तो यह निष्कर्ष निकला कि यह किसी भी पब्लिक प्लेस जैसे कि सिनेमा हॉल, मॉल इत्यादि के लिए भी काफी ज्यादा लाभदायक है.

वरुण आगे बताते हैं कि पटना आईआईटी में वह अभी और भी कई विषयों पर रिसर्च एंड डेवलपमेंट का काम कर रहे हैं. इस डिसइंफेक्टेंट मशीन को बनाने में पटना एम्स के चिकित्सकों के साथ-साथ आईआईटी पटना के छात्रों का भी साथ मिला है. मशीन फुल ऑटोमेटेड है. अगर मशीन का डिसइंफेक्टेंट कम होता है, तो यह अलार्म के माध्यम से सूचित करता है. इसके साथ ही मशीन के पास से कितने लोग क्रॉस किए हैं. इस बात की भी जानकारी डिस्प्ले बोर्ड से होती है.

वहीं इंडियन मेडिकल एसोसिएशन बिहार के सेक्रेटरी डॉ. सुनील कुमार ने बताया कि यह मशीन काफी बेहतरीन है और इसमें एडवांस टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया गया है. इस मशीन को आईसीएमआर ने भी अप्रूवल दे दिया है. ऐसे में इस मशीन की उपयोगिता को देखते हुए उनका सुझाव है कि अभी के समय में पटना में कई जगहों पर इस मशीन को लगाने की आवश्यकता है. एयरपोर्ट, रेलवे स्टेशन और सरकारी अस्पतालों में इस मशीन को लगाने की जरूरत है, ताकि कोरोना के अलावा अन्य संक्रामक वायरस से भी बचाव हो सके.

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