नई दिल्ली : भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) ने आंतों में सूजन संबंधी बीमारी से परेशान रोगियों के टेली-न्यूट्रिशियन के लिए आठ अलग-अलग भारतीय भाषाओं में टूल विकसित किए हैं. यह टूल अखिल भारतीय आईबीडी अनुसंधान में भी मदद करेगा.
2017 में प्रकाशित एक इंटेस्टाइनल डिजीज बर्डन रिसर्च पेपर के अनुसार, भारत में 2010 तक आंतों से बीमारी से जूझने वाले 1.4 मिलियन रोगी थे. संयुक्त राज्य अमेरिका में 1.6 मिलियन मिलियन लोग आईबीडी की समस्या से जूझ रहे थे, जो दुनिया में सबसे अधिक है. आईसीएमआर के अनुसार, आंकड़ों से पता चलता है कि हाल के वर्षों में आंतों में सूजन संबंधी बीमारी (IBD) के मरीजों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है. बीमारी बढ़ने की दर पश्चिमी देशों के बराबर पहुंच गई है.
ICMR के महानिदेशक डॉ बलराम भार्गव ने कहा कि ICMR के सेंटर फॉर एडवांस्ड रिसर्च एंड एक्सीलेंस (CARE) ने टेली न्यूट्रिशन टूल के जरिये आंतों से संबंधित रोग के रिसर्च और क्लिनिकल प्रैक्टिस को बदलने की पहल की है. उन्होंने कहा कि आईबीडी न्यूट्रीकेयर ऐप आईसीएमआर और एम्स, नई दिल्ली के गैस्ट्रोएंट्रोलॉजिस्ट, डायटीशियन और ऐप डेवलपर्स की एक टीम के प्रयास का परिणाम है. डॉ. भार्गव ने कहा कि टूल लॉन्च करते हुए कहा कि स्मार्टफोन एप्लिकेशन (ऐप) के रूप में यह एंड्रॉइड और आईओएस-आधारित डिजिटल स्वास्थ्य मंच विकसित और आहार संबंधी विवरणों की रीयल-टाइम ट्रैकिंग और एक पर डेटा रिकॉर्ड करने के लिए मान्य है. इससे आईबीडी के रोगियों को तो फायदा होगा. इसके जरिये लोगों को आहार संबंधी जानकारी भी दी जाएगी. रीयल टाइम ट्रैकिंग के साथ बड़े पैमाने पर डेटा मिलेगा.
इस ऐप का उद्देश्य उनके जनसांख्यिकी, दवाओं, दैनिक आहार सेवन, क्लिनिकल सिम्टम्स और डिजीज कोर्स पर एक डेटाबेस के लिए पर्सनल पेशेंट रेस्पॉन्स हासि करना है. यह लगभग 650 भारतीय व्यंजनों पर आधारित डाइट वेरिएबल्स की रिकॉर्डिंग प्रदान करता है.
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