नई दिल्ली : भारतीय वायुसेना के प्रमुख एयर चीफ मार्शल विवेक राम चौधरी ने मंगलवार को कहा कि भारत के सैन्य संसाधनों के सर्वोत्तम उपयोग के लिए भारतीय वायुसेना तीनों सेनाओं की संयुक्त कमान की पहल के लिए प्रतिबद्ध है. साथ ही उन्होंने जोर दिया कि इसमें सभी सेवाओं की ताकत और उनकी आवश्यकताओं को शामिल किया जाना चाहिए.
वायुसेना के नवनियुक्त प्रमुख ने भारतीय वायुसेना की आधुनिकीकरण योजना, भूराजनीतिक घटनाक्रम के मद्देनजर उत्पन्न नयी सुरक्षा चुनौतियों से निपटने, अज्ञात ड्रोन आदि से निपटने के लिए बल की क्षमता को बढ़ाने और मिग-21 जैसे पुराने लड़ाकू विमानों को सेवा से हटाने सहित विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की.
पुराने लड़ाकू विमानों को हटाने और उनकी जगह नए विमान लाने के संबंध में बात करते हुए वायुसेना प्रमुख ने कहा कि भारतीय वायुसेना के पास अगले दशक तक कम से कम 35 लड़ाकू स्क्वाड्रन होने चाहिए. उन्होंने कहा कि मिग-21 के चार स्क्वाड्रन हैं और इन सभी को अगले तीन-चार साल में रिटायर करने की है.
उन्होंने कहा, तथ्य यह है कि मिग-21 बेड़े में बड़ी संख्या में दुर्घटनाएं हुई हैं, इससे इनकार नहीं किया जा सकता है. लेकिन आंकड़े यह भी बताते हैं कि इस बेड़े में दुर्घटनाओं की संख्या में कमी आई है. मैं आपको विश्वास दिलाता हूं कि हर विमान उड़ान भरने से पहले एक सख्त जांच से गुजरता है.
पाकिस्तान और चीन के बीच करीबी संबंधों के कारण उत्पन्न सुरक्षा चिंताओं के संबंध में सवाल करते हुए एयर चीफ मार्शल चौधरी ने कहा कि उस साझेदारी के बारे में चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है, लेकिन उन्होंने पाकिस्तान के माध्यम से चीन तक पश्चिमी तकनीकों/ प्रौद्योगिकी के पहुंचने की आशंका को लेकर चिंता जताई.
देश को यह आश्वासन देते हुए कि भारतीय वायुसेना सभी परिस्थितियों में देश की सम्प्रभुता और हितों की रक्षा करने के लिए हमेशा तैयार रहेगी, एयर चीफ मार्शल चौधरी ने कहा कि वायुसेना चीन और पाकिस्तान के साथ 'दो मोर्चों' पर युद्ध की किसी भी परिस्थिति से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार है.
पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर चीन द्वारा बुनियादी ढांचा विकास बढ़ाए जाने के संबंध में सवाल करने पर उन्होंने कहा कि भारत को इसकी जानकारी है और रेखांकित किया कि पड़ोसी देश तिब्बत में तीन एयरबेस पर विकास जारी रखे हुए है.
हालांकि उन्होंने कहा कि चीन द्वारा एयरफिल्ड और अन्य बुनियादी ढांचों का निर्माण किए जाने से भारतीय सेना की तैयारियों पर कोई असर नहीं होगा. उन्होंने सलाह दी कि ऊंचाई और क्षेत्र के कारण चीनी सेना प्रतिकूल (डिसएडवांटेज) स्थिति में है. उन्होंने कहा, 'यह उनके लिए कमजोर क्षेत्र है.'
वायुसेना प्रमुख ने कहा, 'हम क्षेत्र में किसी भी परिस्थिति और चुनौती से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार हैं.'
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तीनों सेनाओं की संयुक्त कमान पर उन्होंने कहा कि भारतीय वायु सेना इसके लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है लेकिन नयी संरचनाएं बनाने से पहले चर्चा किए जाने की आवश्यकता है. उन्होंने कहा, 'तीनों सेनाओं के बीच विभिन्न विकल्पों पर चर्चा की जा रही है.'
तीनों सेवाओं की क्षमताओं में समन्वय और उनके संसाधनों का अधिकतम इस्तेमाल करने के लिए थिएटर कमान की योजना बनाई जा रही है.
उन्होंने कहा, कोविड की दूसरी लहर में हमारे ट्रांसपोर्ट फ्लीट ने मेडिकल सप्लाई और ऑक्सीजन को 18 देशों से लाने और ले जाने का काम किया. इसमें हमारी वायु सेना ने करीब 1100 घंटों की उड़ान भरी और भारत में ही 2600 घंटों की उड़ान भरी.
(एजेंसी इनपुट)