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कौमी एकता की मिसाल इस मजार पर हिंदू-मुस्लिमों ने खूब खेली होली, टूटे जाति-धर्म के बंधन - देवा शरीफ की मजार का इतिहास

बाराबंकी की देवा शरीफ की मजार में हर वर्ष लोग उत्साह के साथ होली खेलते है. कहा जाता है कि ये दुनिया की इकलौती मजार है, जहां होली खेली जाती है. इसकी शुरुआत हाजी वारिस अली शाह साहब के जमाने से ही हुई थी.

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Published : Mar 8, 2023, 7:28 PM IST

बाराबंकी: होली का पर्व देशभर में बड़े ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है. विशेषकर काशी, मथुरा, ब्रज की होली विश्वभर में काफी प्रसिद्ध है. लेकिन क्या आप जानते है उत्तर प्रदेश के बाराबंकी में एक ऐसी दरगाह है. जहां होली का पर्व बड़े ही उल्लास के साथ मनाया जाता है. जी हां देवा शरीफ की मजार पर हर वर्ष होली मनाई जाती है. इस मजार में होली के दिन हर धर्म के लोग रंगों से सराबोर नजर आते हैं. दावा है कि ये दुनिया की इकलौती मजार है जहां होली खेली जाती है. खास बात यह कि यहा किसी जाति और धर्म का भेद नहीं है. इतना ही नहीं यहां पर होली खेलना लोग अपना सौभाग्य मानते हैं. इस बार भी होली के मौके पर यहां हिंदू मुस्लिमों ने एक-दूसरे को जमकर अबीर गुलाल लगाया और गले मिले.

बाराबंकी की देवा शरीफ की मजार पर खूब खेली गई होली.

बाराबंकी का हाजी वारिस अली शाह बाबा का देवा शरीफ मजार मोहम्मद इकबाल द्वारा लिखी हुई पंक्तियों को सच करता है. जिसमें उन्होंने कहा है कि 'मजहब नहीं सिखाता आपस में बैर रखना'. हर साल होली के दिन यहां लोगों में अलग ही उत्साह होता है. दूरदराज से लोग होली खेलने के लिए आते हैं. यहां किसी भी जाति और धर्म का भेद नहीं है. सभी मिलजुलकर गुलाल और फूलों से जमकर होली खेलते हैं. दुनिया की ये अकेली मजार है, जहां होली खेली जाती है.

कहा जाता है कि इस मजार पर होली खेलने की परंपरा हाजी वारिस अली शाह साहब के जमाने से ही शुरू हुई थी. उस वक्त होली के दिन उनके चाहने वाले गुलाल और गुलाब के फूल लाते थे. उनके कदमो में रखकर होली खेलते थे तभी से ये परम्परा चली आ रही है. होली के दिन यहां कौमी एकता गेट से गाजे बाजे के साथ एक जुलूस निकाला जाता है फिर कस्बे से होता हुआ यह जुलूस मजार पर पहुंचता है. महिला हो या पुरुष हर कोई इस सतरंगी होली में शरीक होने से खुद को रोक नहीं पाता.

यह भी पढ़ें- Holi In Mathura: पूर्व ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा ने जमकर खेली, रसिया गाते हुए किया डांस

बाराबंकी: होली का पर्व देशभर में बड़े ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है. विशेषकर काशी, मथुरा, ब्रज की होली विश्वभर में काफी प्रसिद्ध है. लेकिन क्या आप जानते है उत्तर प्रदेश के बाराबंकी में एक ऐसी दरगाह है. जहां होली का पर्व बड़े ही उल्लास के साथ मनाया जाता है. जी हां देवा शरीफ की मजार पर हर वर्ष होली मनाई जाती है. इस मजार में होली के दिन हर धर्म के लोग रंगों से सराबोर नजर आते हैं. दावा है कि ये दुनिया की इकलौती मजार है जहां होली खेली जाती है. खास बात यह कि यहा किसी जाति और धर्म का भेद नहीं है. इतना ही नहीं यहां पर होली खेलना लोग अपना सौभाग्य मानते हैं. इस बार भी होली के मौके पर यहां हिंदू मुस्लिमों ने एक-दूसरे को जमकर अबीर गुलाल लगाया और गले मिले.

बाराबंकी की देवा शरीफ की मजार पर खूब खेली गई होली.

बाराबंकी का हाजी वारिस अली शाह बाबा का देवा शरीफ मजार मोहम्मद इकबाल द्वारा लिखी हुई पंक्तियों को सच करता है. जिसमें उन्होंने कहा है कि 'मजहब नहीं सिखाता आपस में बैर रखना'. हर साल होली के दिन यहां लोगों में अलग ही उत्साह होता है. दूरदराज से लोग होली खेलने के लिए आते हैं. यहां किसी भी जाति और धर्म का भेद नहीं है. सभी मिलजुलकर गुलाल और फूलों से जमकर होली खेलते हैं. दुनिया की ये अकेली मजार है, जहां होली खेली जाती है.

कहा जाता है कि इस मजार पर होली खेलने की परंपरा हाजी वारिस अली शाह साहब के जमाने से ही शुरू हुई थी. उस वक्त होली के दिन उनके चाहने वाले गुलाल और गुलाब के फूल लाते थे. उनके कदमो में रखकर होली खेलते थे तभी से ये परम्परा चली आ रही है. होली के दिन यहां कौमी एकता गेट से गाजे बाजे के साथ एक जुलूस निकाला जाता है फिर कस्बे से होता हुआ यह जुलूस मजार पर पहुंचता है. महिला हो या पुरुष हर कोई इस सतरंगी होली में शरीक होने से खुद को रोक नहीं पाता.

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