छिंदवाड़ा। जिले का एक गांव ऐसा है, जहां की आबादी से भी ज्यादा उस गांव में पानी के लिए बनाए गए कुएं और बावड़ियां हैं. ये कुएं और बावड़ियां आज धरोहर के रूप में सहेजी जा रही हैं, जो कभी गोंड राजाओं की राजधानी हुआ करती थीं. दरअसल एक छोटा सा गांव देवगढ़ एक दो नहीं बल्कि हजारों की संख्या में कुओं और बावड़ियों को अपने आंचल में समेटा हुआ है. कहा जाता है कि इलाके में पानी की कमी ना हो, इसलिए राजाओं ने हजारों की संख्या में बावड़ी और कुओं का निर्माण इस राजधानी में कराया था.
सतपुड़ा की वादियों के बीच बसा है देवगढ़: जिले से लगभग 40 किलोमीटर दूर मोहखेड़ विकासखंड के देवगढ़ गांव में सुरम्य पहाड़ियों में देवगढ़ का किला स्थित है. मध्य भारत में गोंडवाना साम्राज्य के वैभव और समृध्दि से जुडा इसका इतिहास आज भी अपनी गौरवशाली विरासत को बयान करता है, यहां तत्कालीन परिस्थिति अनुसार जल संरक्षण की अनेक संरचनाएं देखने को मिलती हैं. लेकिन समय के दौर के साथ ये जल संरचनायें जीर्ण-शीर्ण अवस्था में हैं, जिला प्रशासन के प्रयासों से एकीकृत जल ग्रहण प्रबंधन मिशन और मनरेगा के अंतर्गत इन जल संरचनाओं का जीर्णोध्दार कर उन्हें मूल स्वरूप में ही नया रूप दिया जा रहा है.
16वीं सदी में थी गोंड राजाओं की राजधानी: बताया जाता है कि 16 वीं सदी में गोंड राजाओं की राजधानी देवगढ़ हुआ करती थी, देवगढ़ का किला व उसके आसपास 900 बावड़ी और 800 कुएं हैं, जिन्हें तत्कालीन शासकों ने बनवायें थे. अभी तक 48 बावड़ियों और 12 कुओं की खोज की जा चुकी है, निर्धारित कार्ययोजना में मनरेगा के अंतर्गत प्रथम चरण में 29.18 लाख रूपये की लागत से 7 बावड़ियों का जीर्णोध्दार कार्य किया गया है और दूसरे चरण में 79.35 लाख रूपये की लागत से 14 बावड़ियों का जीर्णोध्दार कार्य किया गया. इस काम से देवगढ़ की जल संरचनाएं सुधरने से इस क्षेत्र में जल संरक्षण की दिशा में एक उल्लेखनीय काम हुआ है, जिससे भविष्य में खेती करने में मदद मिलेगी और पीने के लिए भी पानी की उपलब्धता रहेगी.
मनरेगा से हुआ सुधार का काम: कोरोना महामारी के बीच लगे लॉकडाउन के दौरान प्रवासी मजदूर अपने घरों में लौट रहे थे, उस समय ग्रामीणों को मनरेगा के चलते रोजगार दिया गया, जिससे लोगों के परिवार को भरण पोषण भी हुआ और धरोहरों को भी सहेजने का काम किया गया. ऐतिहासिक बावड़ियों के संरक्षण से जहां जिले के पर्यटन को बढ़ावा मिल रहा है, तो वहीं जलसंरक्षण की दिशा में भी ये एक महत्वपूर्ण काम है.
प्रशासन की पहल से विकसित हो रहा छिंदवाड़ा का पर्यटन: जिला पुरातत्व, पर्यटन व संस्कृति परिषद के नोडल अधिकारी बलराम राजपूत ने बताया कि "देवगढ़ में जंगल, पहाड़, नदी के साथ ही गोंड शासन काल का आलीशान किला भी है, साथ ही सदियों पुरानी बावड़ियां भी देखने योग्य हैं. देवगढ़ के पास अद्भुत लिलाही जलप्रपात भी है, अभी तक पर्यटकों के रुकने की व्यवस्था नहीं होने के कारण लोगों को देवगढ़ से वापस आना पड़ता था, लेकिन मध्यप्रदेश टूरिज्म बोर्ड की होम स्टे योजना का लाभ मिल जाने से 8 होम स्टे बन रहे हैं, जिससे देवगढ़ में रुकना आसान हो जायेगा. गांव में पर्यटकों के रुकने से ग्रामीण अर्थव्यवस्था भी मजबूत होगी, पहले चरण में 3 होम स्टे पर्यटकों के लिए उपलब्ध होंगे. इसके बाद आने वाले कुछ दिनों में सभी उपलब्ध हो जायेंगे."