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जामा मस्जिद विवाद: नए तथ्य जोड़ने की याचिका खारिज, अब आठ जनवरी को सुनवाई होगी

आगरा जामा मस्जिद मामले में कोर्ट में सुनवाई (Jama Masjid Staircase Shri Krishna idol) हुई. मस्जिद के सीढ़ियों में भगवान के विग्रह के दबे होने के बाद श्रीकृष्ण जन्मभूमि संरक्षित सेवा ट्रस्ट जामा मस्जिद का एएसआई सर्वे कराने की मांग कर रहा है.

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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Dec 19, 2023, 8:09 AM IST

Updated : Dec 19, 2023, 7:02 PM IST

आगरा : दीवानी स्थित न्यायालय सिविल जज (प्रवर खण्ड) में बहुचर्चित आगरा जामा मस्जिद मामले की मंगलवार को सुनवाई हुई. श्रीकृष्ण जन्मभूमि संरक्षित सेवा ट्रस्ट के अधिवक्ता और प्रतिपक्षी पक्ष के अधिवक्ता के मध्य बहस हुई. कोर्ट ने प्रतिवादी पक्ष की दायर की गयी नए तथ्य जोड़ने की याचिका ख़ारिज कर दी. कोर्ट ने इस मामले की अगली सुनवाई की तारीख आठ जनवरी दी है.

श्रीकृष्ण जन्मभूमि संरक्षित सेवा ट्रस्ट के अधिवक्ता विनोद शुक्ला ने बताया कि विपक्ष की ओर से न्यायालय में मामले को टालने के प्रयास किये जा रहे हैं. जबकि, हार्डकोर्ट ने इस बारे में लोअर कोर्ट को 6 माह में निपटारा करने का निर्देश दिए हैं. प्रतिवादी पक्ष ने पूर्व में लगाई गई अपनी याचिका में संशोधन के लिए कोर्ट में याचिका 65 ग लगाई थी. कोर्ट ने संशोधन के पार्ट को ख़ारिज कर दिया है. जबकि, इससे पहले एक प्रतिवादी पक्ष ने यही याचिका दायर की थी. अब अगली सुनवाई आठ जनवरी-2024 को होगी. दरअसल, न्यायालय सिविल जज (प्रवर खण्ड) में आगरा जामा मस्जिद की सीढ़ियों के नीचे दबे भगवान श्रीकृष्ण के विग्रह निकालने का चल रहा है. जिसमें वादी श्रीकृष्ण जन्मभूमि संरक्षित सेवा ट्रस्ट ने अदालत में दायर वाद करके जामा मस्जिद का एएसआई तकनीकी विशेषज्ञों की टीम से सर्वे कराने की मांग की है. जबकि, एक प्रतिवादी पक्ष ने अदालत में प्रार्थना पत्र दाखिल करके अपील की है कि, जामा मस्जिद के मामले में सुनवाई का कोर्ट का क्षेत्राधिकार ही नहीं है.

कथावाचक देवकीनंदन ठाकुर ने किया था दावा : श्रीकृष्ण जन्मभूमि संरक्षित सेवा ट्रस्ट के मशहूर कथावाचक देवकीनंदन ठाकुर का दावा है कि मुगल शासक औरंगजेब ने 1670 में मथुरा कृष्ण जन्मभूमि से भगवान केशवदेव के विग्रह आगरा की जामा मस्जिद (जहांआरा बेगम मस्जिद) की सीढ़ियों के नीचे दबा दिए थे. इसलिए, अदालत पहले जामा मस्जिद की सीढ़ियों से लोगों का आवागमन बंद कराए. इसके साथ ही जामा मस्जिद की सीढ़ियों का एएसआई सर्वे करके वहां से भगवान श्रीकृष्ण की मूर्तियों को निकालें. इसको लेकर कथावाचक ने आगरा में सनातन जागृति सम्मलेन किया था. इसमें सनातनियों को एकजुट करने के साथ ही उन्होंने लोगों से आंदोलन में जुड़ने की अपील की थी. उन्होंने कहा था कि, जब तक वे जामा मस्जिद से आराध्य को आगरा से लेकर नहीं आएंगे, तब तक उनका संघर्ष जारी रहेगा.

एएसआई सर्वे से सच आएगा सामने : श्रीकृष्ण जन्मभूमि संरक्षित सेवा ट्रस्ट के अधिवक्ता विनोद शुक्ला का कहना है कि हमने पहले ही कोर्ट से मांग की है कि, जामा मस्जिद का सच सबके सामने लाने के लिए एएसआई सर्वे कराया जाना चाहिए. एएसआई की सर्वे रिपोर्ट से विवाद खत्म किया जा सकता है.सर्वे रिपोेर्ट से हकीकत सामने आएगी. जबकि, प्रतिवादी पक्ष ने जिला जज की अदालत में प्रार्थना पत्र देकर अपील की है कि, जामा मस्जिद के मामले में सुनवाई करना कोर्ट का क्षेत्राधिकार नहीं है. आज इस पर ही सुनवाई होगी.

शाहजहां की सबसे प्रिय बेटी ने बनवाई थी जामा मस्जिद : वरिष्ठ इतिहासकार राजकिशोर 'राजे' बताते हैं कि, मुगल शहंशाह शाहजहां के 14 संतानें थीं. जिसमें मेहरून्निसा बेगम, जहांआरा, दारा शिकोह, शाह शूजा, रोशनआरा, औरंगजेब, उमेदबक्श, सुरैया बानो बेगम, मुराद लुतफुल्ला, दौलत आफजा और गौहरा बेगम शामिल थे. जबकि एक बच्चा और 1 बच्चे पैदा होते ही मर गए थे. शाहजहां की सबसे प्रिय बेटी जहांआरा थी. उसने अपने वजीफा की रकम पांच लाख रुपये से सन 1643 से 1648 के बीच जामा मस्जिद का निर्माण कराया था.

औरंगजेब लाया था विग्रह और पुरावशेष : वरिष्ठ इतिहासकार राजकिशोर 'राजे' बताते हैं कि, 16 वीं शताब्दी के सातवें दशक में मुगल बादशाह औरंगजेब ने मथुरा के केशवदेव मंदिर को ध्वस्त किया था. वह केशवदेव मंदिर की मूर्तियों के साथ ही तमाम पुरावशेष आगरा लेकर आया था. उसने मूर्तियों और पुरावशेष को जामा मस्जिद की सीढ़ियों के नीचे दबाया था. यह तमाम इतिहासकारों ने अपनी पुस्तकों में लिखा है. इसमें औरंगजेब के सहायक रहे मुहम्मद साकी मुस्तइद्दखां ने अपनी पुस्तक 'मआसिर-ए-आलमगीरी' में, प्रसिद्ध इतिहासकार जदुनाथ सरकार की पुस्तक 'ए शॉर्ट हिस्ट्री ऑफ औरंगजेब' में, मेरी पुस्तक 'तवारीख़-ए-आगरा' में और मथुरा के महशहूर साहित्यकार प्रो. चिंतामणि शुक्ल की पुस्तक ' मथुरा जनपद का राजनीतिक इतिहास' में भी जामा मस्जिद की सीढ़ियों के नीचे मूर्तियां दबाने का विस्तार से जिक्र किया है.

यह भी पढ़ें : ज्ञानवापी मस्जिद से जुड़ी पांच याचिकाओं पर इलाहाबाद हाईकोर्ट का फैसला आज

आगरा : दीवानी स्थित न्यायालय सिविल जज (प्रवर खण्ड) में बहुचर्चित आगरा जामा मस्जिद मामले की मंगलवार को सुनवाई हुई. श्रीकृष्ण जन्मभूमि संरक्षित सेवा ट्रस्ट के अधिवक्ता और प्रतिपक्षी पक्ष के अधिवक्ता के मध्य बहस हुई. कोर्ट ने प्रतिवादी पक्ष की दायर की गयी नए तथ्य जोड़ने की याचिका ख़ारिज कर दी. कोर्ट ने इस मामले की अगली सुनवाई की तारीख आठ जनवरी दी है.

श्रीकृष्ण जन्मभूमि संरक्षित सेवा ट्रस्ट के अधिवक्ता विनोद शुक्ला ने बताया कि विपक्ष की ओर से न्यायालय में मामले को टालने के प्रयास किये जा रहे हैं. जबकि, हार्डकोर्ट ने इस बारे में लोअर कोर्ट को 6 माह में निपटारा करने का निर्देश दिए हैं. प्रतिवादी पक्ष ने पूर्व में लगाई गई अपनी याचिका में संशोधन के लिए कोर्ट में याचिका 65 ग लगाई थी. कोर्ट ने संशोधन के पार्ट को ख़ारिज कर दिया है. जबकि, इससे पहले एक प्रतिवादी पक्ष ने यही याचिका दायर की थी. अब अगली सुनवाई आठ जनवरी-2024 को होगी. दरअसल, न्यायालय सिविल जज (प्रवर खण्ड) में आगरा जामा मस्जिद की सीढ़ियों के नीचे दबे भगवान श्रीकृष्ण के विग्रह निकालने का चल रहा है. जिसमें वादी श्रीकृष्ण जन्मभूमि संरक्षित सेवा ट्रस्ट ने अदालत में दायर वाद करके जामा मस्जिद का एएसआई तकनीकी विशेषज्ञों की टीम से सर्वे कराने की मांग की है. जबकि, एक प्रतिवादी पक्ष ने अदालत में प्रार्थना पत्र दाखिल करके अपील की है कि, जामा मस्जिद के मामले में सुनवाई का कोर्ट का क्षेत्राधिकार ही नहीं है.

कथावाचक देवकीनंदन ठाकुर ने किया था दावा : श्रीकृष्ण जन्मभूमि संरक्षित सेवा ट्रस्ट के मशहूर कथावाचक देवकीनंदन ठाकुर का दावा है कि मुगल शासक औरंगजेब ने 1670 में मथुरा कृष्ण जन्मभूमि से भगवान केशवदेव के विग्रह आगरा की जामा मस्जिद (जहांआरा बेगम मस्जिद) की सीढ़ियों के नीचे दबा दिए थे. इसलिए, अदालत पहले जामा मस्जिद की सीढ़ियों से लोगों का आवागमन बंद कराए. इसके साथ ही जामा मस्जिद की सीढ़ियों का एएसआई सर्वे करके वहां से भगवान श्रीकृष्ण की मूर्तियों को निकालें. इसको लेकर कथावाचक ने आगरा में सनातन जागृति सम्मलेन किया था. इसमें सनातनियों को एकजुट करने के साथ ही उन्होंने लोगों से आंदोलन में जुड़ने की अपील की थी. उन्होंने कहा था कि, जब तक वे जामा मस्जिद से आराध्य को आगरा से लेकर नहीं आएंगे, तब तक उनका संघर्ष जारी रहेगा.

एएसआई सर्वे से सच आएगा सामने : श्रीकृष्ण जन्मभूमि संरक्षित सेवा ट्रस्ट के अधिवक्ता विनोद शुक्ला का कहना है कि हमने पहले ही कोर्ट से मांग की है कि, जामा मस्जिद का सच सबके सामने लाने के लिए एएसआई सर्वे कराया जाना चाहिए. एएसआई की सर्वे रिपोर्ट से विवाद खत्म किया जा सकता है.सर्वे रिपोेर्ट से हकीकत सामने आएगी. जबकि, प्रतिवादी पक्ष ने जिला जज की अदालत में प्रार्थना पत्र देकर अपील की है कि, जामा मस्जिद के मामले में सुनवाई करना कोर्ट का क्षेत्राधिकार नहीं है. आज इस पर ही सुनवाई होगी.

शाहजहां की सबसे प्रिय बेटी ने बनवाई थी जामा मस्जिद : वरिष्ठ इतिहासकार राजकिशोर 'राजे' बताते हैं कि, मुगल शहंशाह शाहजहां के 14 संतानें थीं. जिसमें मेहरून्निसा बेगम, जहांआरा, दारा शिकोह, शाह शूजा, रोशनआरा, औरंगजेब, उमेदबक्श, सुरैया बानो बेगम, मुराद लुतफुल्ला, दौलत आफजा और गौहरा बेगम शामिल थे. जबकि एक बच्चा और 1 बच्चे पैदा होते ही मर गए थे. शाहजहां की सबसे प्रिय बेटी जहांआरा थी. उसने अपने वजीफा की रकम पांच लाख रुपये से सन 1643 से 1648 के बीच जामा मस्जिद का निर्माण कराया था.

औरंगजेब लाया था विग्रह और पुरावशेष : वरिष्ठ इतिहासकार राजकिशोर 'राजे' बताते हैं कि, 16 वीं शताब्दी के सातवें दशक में मुगल बादशाह औरंगजेब ने मथुरा के केशवदेव मंदिर को ध्वस्त किया था. वह केशवदेव मंदिर की मूर्तियों के साथ ही तमाम पुरावशेष आगरा लेकर आया था. उसने मूर्तियों और पुरावशेष को जामा मस्जिद की सीढ़ियों के नीचे दबाया था. यह तमाम इतिहासकारों ने अपनी पुस्तकों में लिखा है. इसमें औरंगजेब के सहायक रहे मुहम्मद साकी मुस्तइद्दखां ने अपनी पुस्तक 'मआसिर-ए-आलमगीरी' में, प्रसिद्ध इतिहासकार जदुनाथ सरकार की पुस्तक 'ए शॉर्ट हिस्ट्री ऑफ औरंगजेब' में, मेरी पुस्तक 'तवारीख़-ए-आगरा' में और मथुरा के महशहूर साहित्यकार प्रो. चिंतामणि शुक्ल की पुस्तक ' मथुरा जनपद का राजनीतिक इतिहास' में भी जामा मस्जिद की सीढ़ियों के नीचे मूर्तियां दबाने का विस्तार से जिक्र किया है.

यह भी पढ़ें : ज्ञानवापी मस्जिद से जुड़ी पांच याचिकाओं पर इलाहाबाद हाईकोर्ट का फैसला आज

Last Updated : Dec 19, 2023, 7:02 PM IST
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