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UAPA के तहत 2016-2020 के दौरान 24,134 लोगों के खिलाफ सुनवाई, 212 दोषी साबित

संसद के मानसून सत्र के दौरान सरकार ने सदन में दिए एक बयान में बताया है कि साल 2020 में गैरकानूनी क्रियाकलाप (निवारण) अधिनियम (यूएपीए) के तहत 796 मामले दर्ज किए गए, जिनमें 80 दोषी करार दिए गए जबकि 116 लोग बरी हुए. राज्यसभा में एक सवाल के लिखित जवाब में केंद्रीय गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय ने यह जानकारी दी है.

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Published : Jul 20, 2022, 10:34 PM IST

नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने बुधवार को बताया कि गैरकानूनी क्रियाकलाप (निवारण) अधिनियम (यूएपीए) के तहत साल 2016 से 2020 के बीच 24,134 लोगों के गिरफ्तार किया गया. इनके खिलाफ सुनवाई हुई, लेकिन इनमें से सिर्फ 212 ही दोषी साबित हो सके.

राज्यसभा में एक सवाल के लिखित जवाब में केंद्रीय गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय ने कहा कि इस अधिनियम के तहत 386 आरोपियों को विभिन्न अदालतों ने रिहा कर दिया. उन्होंने कहा कि साल 2016 से 2020 के दौरान यूएपीए के तहत 5,027 मामले दर्ज किए गए थे, जिनमें से विचाराधीन व्यक्तियों की संख्या 24,134 थी. केंद्रीय मंत्री ने कहा कि इस कानून के तहत जिनके खिलाफ मामले चले, उनमें से 212 को दोषी ठहराया गया और 386 को बरी कर दिया गया. इन आंकड़ों के बाद सोशल मीडिया पर यूजर्स ने बरी होने वालों की संख्या का जिक्र करते हुए कानून के दुरुपयोग का आरोप लगाया.

यह भी पढ़ें: ज्ञानवापी केस: अगली सुनवाई 4 जुलाई को होगी, कोर्ट ने सभी पक्षों से मांगा हलफनामा

वहीं, केंद्र सरकार ने कहा कि पिछले कुछ साल में जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा की स्थिति में काफी सुधार हुआ है और आतंकवादी हमलों में भी काफी कमी आई है. हालांकि इस पूर्ववर्ती राज्य में साल 2019 में आर्टिकल-370 को निरस्त किए जाने के बाद 118 आम नागरिकों मारे गए हैं, जिनमें पांच कश्मीरी पंडित और 16 अन्य हिन्दू व सिख समुदाय के थे.

नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने बुधवार को बताया कि गैरकानूनी क्रियाकलाप (निवारण) अधिनियम (यूएपीए) के तहत साल 2016 से 2020 के बीच 24,134 लोगों के गिरफ्तार किया गया. इनके खिलाफ सुनवाई हुई, लेकिन इनमें से सिर्फ 212 ही दोषी साबित हो सके.

राज्यसभा में एक सवाल के लिखित जवाब में केंद्रीय गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय ने कहा कि इस अधिनियम के तहत 386 आरोपियों को विभिन्न अदालतों ने रिहा कर दिया. उन्होंने कहा कि साल 2016 से 2020 के दौरान यूएपीए के तहत 5,027 मामले दर्ज किए गए थे, जिनमें से विचाराधीन व्यक्तियों की संख्या 24,134 थी. केंद्रीय मंत्री ने कहा कि इस कानून के तहत जिनके खिलाफ मामले चले, उनमें से 212 को दोषी ठहराया गया और 386 को बरी कर दिया गया. इन आंकड़ों के बाद सोशल मीडिया पर यूजर्स ने बरी होने वालों की संख्या का जिक्र करते हुए कानून के दुरुपयोग का आरोप लगाया.

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वहीं, केंद्र सरकार ने कहा कि पिछले कुछ साल में जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा की स्थिति में काफी सुधार हुआ है और आतंकवादी हमलों में भी काफी कमी आई है. हालांकि इस पूर्ववर्ती राज्य में साल 2019 में आर्टिकल-370 को निरस्त किए जाने के बाद 118 आम नागरिकों मारे गए हैं, जिनमें पांच कश्मीरी पंडित और 16 अन्य हिन्दू व सिख समुदाय के थे.

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