श्रीनगर : 2001 की जनगणना के अनुसार जम्मू-कश्मीर की कुल जनसंख्या 12.5 मिलियन थी. लेकिन स्वास्थ्य कर्मियों, विशेष रूप से डॉक्टरों और चिकित्सा प्रौद्योगिकी बुनियादी ढांचे की संख्या में कोई उल्लेखनीय वृद्धि नहीं हुई है.
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) किसी भी जनसंख्या में रोगी व डॉक्टर का अनुपात 1: 1000 करने की सिफारिश करता है. उनका कहना है कि प्रति एक हजार की आबादी पर एक डॉक्टर की नियुक्ति होनी चाहिए. लेकिन जम्मू-कश्मीर में यह संख्या काफी कम है क्योंकि यहां का अनुपात 1: 1880 है. यानि 1880 व्यक्तियों पर एक डॉक्टर हैं.
जम्मू-कश्मीर स्वास्थ्य विभाग में डॉक्टर्स की कुल संख्या 3225 है जिसमें 2100 चिकित्सा अधिकारी, 600 कंसल्टेंट्स और 525 डेंटल सर्जन शामिल हैं. इसके अलावा नेशनल हेल्थ मिशन में 500 डॉक्टर और लगभग 6,500 पैरामेडिक्स हैं. आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार जम्मू और कश्मीर स्वास्थ्य विभाग में 3289 चिकित्सा केंद्र हैं.
जिनमें 20 जिला अस्पताल, 77 सामुदायिक केंद्र, 6 आपातकालीन अस्पताल, 427 प्राथमिक अस्पताल, 2013 उप-केंद्र और 9 मातृ एवं शिशु अस्पताल शामिल हैं. इसके अलावा जम्मू-श्रीनगर में दो पुराने कॉलेजों सहित चार मेडिकल कॉलेज हैं. हालांकि 2013 से सभी पांच नए अस्पताल निर्माणाधीन हैं.
इन चिकित्सा संस्थानों में 2000 से अधिक डॉक्टर हैं. जो रोगियों की भीड़ और यूटी में विशेषज्ञों और सलाहकारों की आवश्यकता को देखते हुए बहुत कम है. डॉक्टर्स, नर्सेज और अन्य पैरामेडिकल स्टाफ की कमी के कारण मरीजों को उचित इलाज नहीं मिल रहा है.
इसके अलावा सरकार ने पुलवामा के सांबा, जम्मू के विजयपुर में दो एम्स की स्थापना को मंजूरी दी है, जो अभी भी निर्माणाधीन हैं. आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार चिकित्सा संस्थानों में 13,000 अस्पताल के बिस्तर और 338 गहन देखभाल (आईसीयू) बेड हैं.
जम्मू-कश्मीर में उपलब्ध स्वास्थ्य सेवाओं की अव्यवस्था के बावजूद केंद्र सरकार ने बजट की घोषणा की. चिकित्सा सुविधाओं और बुनियादी ढांचे के लिए 1268 करोड़ की घोषणा की गई है. सरकार ने कहा कि यह पिछले वित्तवर्ष की तुलना में 500 करोड़ रुपये अधिक है.
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सरकारी चिकित्सा संस्थानों के अलावा जम्मू और कश्मीर में लगभग 50 निजी चिकित्सा केंद्र हैं. जहां ज्यादातर सरकारी डॉक्टर छुट्टी के दिनों और उनके गैर-काम के घंटों के दौरान मरीजों की जांच करते हैं.