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सिलेब्रिटी, नेताओं को कोविड-19 रोधी दवाएं कैसे मिल रही हैं: अदालत

बंबई उच्च न्यायालय ने महाराष्ट्र सरकार और केंद्र सरकार को शपथपत्र दायर करके यह बताने का निर्देश दिया है कि सिलेब्रिटी और नेता कोविड-19 रोधी दवाएं, चिकित्सकीय ऑक्सीजन कैसे खरीद रहे हैं. कोर्ट 25 मई को जनहित याचिकाओं पर आगे सुनवाई करेगी.

बंबई उच्च न्यायालय
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Published : May 19, 2021, 10:37 PM IST

मुंबई : बंबई उच्च न्यायालय ने महाराष्ट्र सरकार और केंद्र सरकार को शपथपत्र दायर करके यह बताने का बुधवार को निर्देश दिया कि सिलेब्रिटी और नेता कोविड-19 रोधी दवाएं, चिकित्सकीय ऑक्सीजन और कोरोना वायरस मरीजों संबंधी अन्य राहत सामग्रियां कैसे खरीद रहे हैं.

मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति जीएस कुलकर्णी की पीठ ने महाराष्ट्र सरकार और केंद्र से पिछले सप्ताह भी इस संबंध में जानकारी मांगी थी. अदालत ने उसके पहले के आदेशों का पालन नहीं करने के कारण महाराष्ट्र सरकार और केंद्र को फटकार लगाई.

पढ़ें - अदालत ने बीएमसी से पूछा, क्या चुनिंदा समूह के लिए घर घर जाकर टीकाकरण कर सकते हैं?

राज्य सरकार ने बुधवार को एक रिपोर्ट दाखिल की, जिसमें केवल यह बताया गया कि उसने कांग्रेस विधायक जीशान सिद्दीकी और सूद चैरिटी फाउंडेशन (अभिनेता सोनू सूद का एक एनजीओ) को (कोविड-19 राहत सामग्री की खरीद पर) कारण बताओ नोटिस जारी किया है, लेकिन अभी तक उनका जवाब प्राप्त नहीं हुआ है.

अतिरिक्त महाधिवक्ता अनिल सिंह ने अदालत को बताया कि केंद्र सरकार ने कोई रिपोर्ट दाखिल नहीं की है, क्योंकि रेमडेसिविर और चिकित्सकीय ऑक्सीजन समेत अन्य सामग्रियों की खरीदारी एवं वितरण राज्य के विशेषाधिकार हैं और केंद्र ने राज्यों की मांगों के आधार पर ऐसे संसाधनों को उन्हें केवल आवंटित किया.

पीठ ने राज्य और केंद्र सरकार के जवाबों पर आपत्ति जताई. उसने कहा कि उसने बेहतर जवाबों और उसके पहले के आदेशों का पालन किए जाने की उम्मीद की थी.

अदालत ने कहा, 'इन लोगों (सिलेब्रिटी) के पास (कोविड-19 दवाएं, चिकित्सकीय ऑक्सीजन खरीदने के लिए) कोई लाइसेंस नहीं है, ऐसे में गारंटी कौन लेगा? रिपोर्ट दाखिल की जानी चाहिए थी.'

उसने कहा, 'आपने (राज्य सरकार ने) केवल कारण बताओ नोटिस जारी किए. हमने कहा था कि इस मामले में रिपोर्ट दाखिल करें. हम इससे नाखुश हैं.' पीठ ने कहा कि उसकी मुख्य चिंता यह है कि जरूरतमंदों को राहत से वंचित नहीं रखा जाना चाहिए, क्योंकि सभी सोशल मीडिया पर अपील करने की स्थिति में नहीं है.

पढ़ें - सार्वजनिक करें पीएम केयर्स फंड का ब्योरा, सुप्रीम कोर्ट पहुंचे आरटीआई कार्यकर्ता

उसने कहा, 'केंद्र सरकार आवंटन करती है, राज्य इन्हें एकत्र करते हैं, तो ये हस्तियां कैसे सामग्री एकत्र करती और खरीदती हैं? हमें यही चिंता है?' अदालत ने राज्य और केंद्र सरकारों को अगले सप्ताह तक शपथपत्र दायर करके विस्तृत जवाब देने का निर्देश दिया.

उसने महाराष्ट्र सरकार को यह भी बताने को कहा कि उसे राज्य में चिकित्सकीय ऑक्सीजन और रेमडेसिविर समेत अन्य सामग्रियों की कितनी मात्रा की आवश्यकता है और उसे केंद्र एवं अन्य प्रतिष्ठानों से कितनी आपूर्ति हो रही है.

अदालत ने कोविड-19 से जुड़ी समस्याओं के प्रबंधन संबंधी जनहित याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान यह आदेश दिया. उसने ऑक्सीजन और कोविड-19 रोधी दवाओं की खरीदारी, उत्पादन एवं भंडारण और संक्रमण से निपटने के लिए मुंबई महानगर पालिका द्वारा तैयार किए गए मॉडल की प्रशंसा की.

अदालत 25 मई को जनहित याचिकाओं पर आगे सुनवाई करेगी.

मुंबई : बंबई उच्च न्यायालय ने महाराष्ट्र सरकार और केंद्र सरकार को शपथपत्र दायर करके यह बताने का बुधवार को निर्देश दिया कि सिलेब्रिटी और नेता कोविड-19 रोधी दवाएं, चिकित्सकीय ऑक्सीजन और कोरोना वायरस मरीजों संबंधी अन्य राहत सामग्रियां कैसे खरीद रहे हैं.

मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति जीएस कुलकर्णी की पीठ ने महाराष्ट्र सरकार और केंद्र से पिछले सप्ताह भी इस संबंध में जानकारी मांगी थी. अदालत ने उसके पहले के आदेशों का पालन नहीं करने के कारण महाराष्ट्र सरकार और केंद्र को फटकार लगाई.

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राज्य सरकार ने बुधवार को एक रिपोर्ट दाखिल की, जिसमें केवल यह बताया गया कि उसने कांग्रेस विधायक जीशान सिद्दीकी और सूद चैरिटी फाउंडेशन (अभिनेता सोनू सूद का एक एनजीओ) को (कोविड-19 राहत सामग्री की खरीद पर) कारण बताओ नोटिस जारी किया है, लेकिन अभी तक उनका जवाब प्राप्त नहीं हुआ है.

अतिरिक्त महाधिवक्ता अनिल सिंह ने अदालत को बताया कि केंद्र सरकार ने कोई रिपोर्ट दाखिल नहीं की है, क्योंकि रेमडेसिविर और चिकित्सकीय ऑक्सीजन समेत अन्य सामग्रियों की खरीदारी एवं वितरण राज्य के विशेषाधिकार हैं और केंद्र ने राज्यों की मांगों के आधार पर ऐसे संसाधनों को उन्हें केवल आवंटित किया.

पीठ ने राज्य और केंद्र सरकार के जवाबों पर आपत्ति जताई. उसने कहा कि उसने बेहतर जवाबों और उसके पहले के आदेशों का पालन किए जाने की उम्मीद की थी.

अदालत ने कहा, 'इन लोगों (सिलेब्रिटी) के पास (कोविड-19 दवाएं, चिकित्सकीय ऑक्सीजन खरीदने के लिए) कोई लाइसेंस नहीं है, ऐसे में गारंटी कौन लेगा? रिपोर्ट दाखिल की जानी चाहिए थी.'

उसने कहा, 'आपने (राज्य सरकार ने) केवल कारण बताओ नोटिस जारी किए. हमने कहा था कि इस मामले में रिपोर्ट दाखिल करें. हम इससे नाखुश हैं.' पीठ ने कहा कि उसकी मुख्य चिंता यह है कि जरूरतमंदों को राहत से वंचित नहीं रखा जाना चाहिए, क्योंकि सभी सोशल मीडिया पर अपील करने की स्थिति में नहीं है.

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उसने कहा, 'केंद्र सरकार आवंटन करती है, राज्य इन्हें एकत्र करते हैं, तो ये हस्तियां कैसे सामग्री एकत्र करती और खरीदती हैं? हमें यही चिंता है?' अदालत ने राज्य और केंद्र सरकारों को अगले सप्ताह तक शपथपत्र दायर करके विस्तृत जवाब देने का निर्देश दिया.

उसने महाराष्ट्र सरकार को यह भी बताने को कहा कि उसे राज्य में चिकित्सकीय ऑक्सीजन और रेमडेसिविर समेत अन्य सामग्रियों की कितनी मात्रा की आवश्यकता है और उसे केंद्र एवं अन्य प्रतिष्ठानों से कितनी आपूर्ति हो रही है.

अदालत ने कोविड-19 से जुड़ी समस्याओं के प्रबंधन संबंधी जनहित याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान यह आदेश दिया. उसने ऑक्सीजन और कोविड-19 रोधी दवाओं की खरीदारी, उत्पादन एवं भंडारण और संक्रमण से निपटने के लिए मुंबई महानगर पालिका द्वारा तैयार किए गए मॉडल की प्रशंसा की.

अदालत 25 मई को जनहित याचिकाओं पर आगे सुनवाई करेगी.

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