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सोशल मीडिया पर चमकदार तस्वीर पेश करना युवाओं की आदत बन गई है : HC

सोशल मीडिया पर खुद की चमकदार तस्वीर पेश करना आजकल युवाओं की आदत बन गई है. ये टिप्पणी बंबई हाई कोर्ट (Bombay High Court) ने गुजारा भत्ता से जुड़े मामले में की. जानिए क्या है पूरा मामला.

Bombay High Court
बंबई हाई कोर्ट
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Published : Jun 21, 2022, 8:16 PM IST

मुंबई : बंबई उच्च न्यायालय ने कहा कि सोशल मीडिया पर खुद की चमकदार तस्वीर पेश करना आजकल युवाओं की आदत बन गई है, लेकिन इसकी सामग्री हमेशा सच नहीं हो सकती है. अदालत ने इसी के साथ एक व्यक्ति द्वारा उसकी वयस्क बेटी को दी जाने वाली गुजारा राशि में कटौती करने से इनकार कर दिया. न्यायमूर्ति भारती डांगरे की एकल पीठ 16 जून को अनिल मिस्त्री द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें परिवार अदालत के उस आदेश में संशोधन की मांग की गई थी, जिसमें मिस्त्री को अपनी बेटी को भरण-पोषण के लिए 25,000 रुपये का भुगतान करने का निर्देश दिया गया था. आदेश की प्रति मंगलवार को उपलब्ध कराई गई.

मिस्त्री ने अपनी याचिका में दावा किया था कि उसकी बेटी पेशे से मॉडल है और उसके सोशल मीडिया प्रोफाइल को देखकर लगता है कि वह अच्छी कमाई कर रही है. न्यायमूर्ति डांगरे ने हालांकि कहा कि इंस्टाग्राम पर पोस्ट की गई बेटी की तस्वीरें और उसकी 'इंस्टाग्राम बायोग्राफी' यह सिद्ध नहीं करती हैं कि वह आर्थिक रूप से स्वतंत्र है और उसकी पर्याप्त आय है.

उन्होंने कहा, 'यह सर्वविदित तथ्य है कि सोशल मीडिया पर खुद की चमकदार तस्वीरें पोस्ट करना आज के युवाओं की आदत बन गई है. हालांकि, इसकी सामग्री हमेशा सच नहीं होती है.' उच्च न्यायालय ने परिवार अदालत के आदेश में संशोधन करने से इनकार करते हुए मिस्त्री की याचिका खारिज कर दी.याचिकाकर्ता से अलग होने के बाद उसकी पत्नी ने खुद के लिए और अपने दोनों बच्चों के वास्ते गुजारा भत्ते की मांग करते हुए परिवार अदालत का रुख किया था.

मुंबई : बंबई उच्च न्यायालय ने कहा कि सोशल मीडिया पर खुद की चमकदार तस्वीर पेश करना आजकल युवाओं की आदत बन गई है, लेकिन इसकी सामग्री हमेशा सच नहीं हो सकती है. अदालत ने इसी के साथ एक व्यक्ति द्वारा उसकी वयस्क बेटी को दी जाने वाली गुजारा राशि में कटौती करने से इनकार कर दिया. न्यायमूर्ति भारती डांगरे की एकल पीठ 16 जून को अनिल मिस्त्री द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें परिवार अदालत के उस आदेश में संशोधन की मांग की गई थी, जिसमें मिस्त्री को अपनी बेटी को भरण-पोषण के लिए 25,000 रुपये का भुगतान करने का निर्देश दिया गया था. आदेश की प्रति मंगलवार को उपलब्ध कराई गई.

मिस्त्री ने अपनी याचिका में दावा किया था कि उसकी बेटी पेशे से मॉडल है और उसके सोशल मीडिया प्रोफाइल को देखकर लगता है कि वह अच्छी कमाई कर रही है. न्यायमूर्ति डांगरे ने हालांकि कहा कि इंस्टाग्राम पर पोस्ट की गई बेटी की तस्वीरें और उसकी 'इंस्टाग्राम बायोग्राफी' यह सिद्ध नहीं करती हैं कि वह आर्थिक रूप से स्वतंत्र है और उसकी पर्याप्त आय है.

उन्होंने कहा, 'यह सर्वविदित तथ्य है कि सोशल मीडिया पर खुद की चमकदार तस्वीरें पोस्ट करना आज के युवाओं की आदत बन गई है. हालांकि, इसकी सामग्री हमेशा सच नहीं होती है.' उच्च न्यायालय ने परिवार अदालत के आदेश में संशोधन करने से इनकार करते हुए मिस्त्री की याचिका खारिज कर दी.याचिकाकर्ता से अलग होने के बाद उसकी पत्नी ने खुद के लिए और अपने दोनों बच्चों के वास्ते गुजारा भत्ते की मांग करते हुए परिवार अदालत का रुख किया था.

पढ़ें- कामकाजी तलाकशुदा महिला को भी गुजारा भत्ता पाने का अधिकार है: बॉम्बे हाईकोर्ट

(पीटीआई-भाषा)

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